नंबर वन की तरफ तेजी से बढ़ रहा *टूटी कलम समाचार* पत्रकारिता करना हमारा शौक है, जुनून है, आदत है, दिनचर्या है, कमजोरी है,लगन है,धुन है, पागलपन है ,पत्रकारिता करना हमारे पेट भरने का साधन नहीं है, और ना ही ब्लैकमेलिंग, धमकी,चमकी,देकर, विज्ञापन के नाम पर उगाही,वसूली करने का लाइसेंस मिला हुआ है, संपादक टिल्लू शर्मा लेखक, विश्लेषक, कवि,व्यंगकार,स्तंभकार, विचारक, माता सरस्वती का उपासक,परशुराम का वंशज,रावण भक्त,कबीर से प्रभावित,कलम का मास्टरमाइंड, सही और कड़वी सच्चाई लिखने में माहिर, जहां से लोगों की सोचना बंद कर देते है हम वहां से सोचना शुरू करते है, टिल्लू शर्मा के ✍️समाचार ज्यों नाविक के तीर,🏹 देखन म छोटे लागे, घाव करे गंभीर, लोगों की पहली पसंद टूटी कलम समाचार बन चुका है, सरकार एवं जिला प्रशासन का व्यवस्थाओं समस्याओं पर ध्यान आकर्षण करवाना हमारा पहला कर्तव्य है
🔱टिल्लू शर्मा ✍️टूटी कलम 🎤 न्यूज 🌍 रायगढ़ छत्तीसगढ़ 🏹.. चक्रधर समारोह के दौरान एक से बढ़कर एक बोर कर देने वाले कार्यक्रमों की सूची में प्रादेशिक कवि सम्मेलन सिरमौर बन गया. कार्यक्रम में रात 11:00 बजे शिरकत करने आए तो ऐसा लगा कि यह कवि सम्मेलन अखिल भारतीय कवि सम्मेलन को पछाड़ देगा. कार्यक्रम की शुरुआत बोरियत भरे तरीके से शुरू हुई. कवियों को इतनी प्रस्तुति देने के लिए 1 घंटे का समय दिया गया था. जिस वजह से कवियों ने क्या कथा वाचन किया यह केवल वे लोग ही समझ सकते थे.
बारिश के पानी ने बांधे रखा.. कम से खून टपक देने वाले कवियों की कविताओं को सुनकर उपस्थित सवा सौ डेढ़, सौ श्रोता भागने की फिराक में थे किंतु इंद्रदेव की मेहरबानी से इतनी तेज बारिश हो रही थी कि श्रोताओं को कुर्सियों पर पसर कर झेलाऊ कविताओं का पाठ सुनना किसी किसी सदा से कम नहीं था. मजबूत दिल वाले श्रोताओं ने हिम्मत दिखाते हुए मैदान छोड़कर भाग गए.
रायगढ़ के कवि समर्थकों ने इज्जत बचा कर रखी… कार्यक्रम में रायगढ़ के कवि की भी प्रस्तुति थी इस वजह से कवि ने नेताओं की तर्ज पर अपने 40 50 समर्थकों को बुला रखा था. जिनके द्वारा कविता पाठ की प्रत्येक लाइनों पर जमकर ताली बजाई जा रही थी. जिसका फायदा अन्य कवियों को भीड़ के रूप में उपस्थित बुलाए गए श्रोताओं को वह देखकर राहत मिल गई
स्थानीय लोग गायब रहे.. चक्रधर समारोह को खराब करने की नीयत से जो लोग क्षेत्रीय एवं स्थानीय लोगों को मौका दिए जाने की पैरवी कर रहे थे. उनमें से कोई एक भी अड़ंगा डालने वाला कला प्रेमी उपस्थित नहीं हुआ.
कवि राम गोपाल शुक्ला चक्कर काटते रहे… स्थानीय कवि को स्थान मिलने के समाचार पढ़कर स्वयं को अखिल भारतीय कवि मानने वाले राम गोपाल शुक्ला दो दिनों से मैदान का चक्कर लगा रहे थे ताकि किसी भी जान पहचान वाले के द्वारा उनके नाम को प्रस्तावित किया जा सके किंतु इससे राम गोपाल शुक्ला को कोई फायदा नहीं हुआ और उन्हें मंच पर स्थान नहीं दिया गया.