नंबर वन की तरफ तेजी से बढ़ रहा *टूटी कलम समाचार* पत्रकारिता करना हमारा शौक है, जुनून है, आदत है, दिनचर्या है, कमजोरी है,लगन है,धुन है, पागलपन है ,पत्रकारिता करना हमारे पेट भरने का साधन नहीं है, और ना ही ब्लैकमेलिंग, धमकी,चमकी,देकर, विज्ञापन के नाम पर उगाही,वसूली करने का लाइसेंस मिला हुआ है, संपादक टिल्लू शर्मा लेखक, विश्लेषक, कवि,व्यंगकार,स्तंभकार, विचारक, माता सरस्वती का उपासक,परशुराम का वंशज,रावण भक्त,कबीर से प्रभावित,कलम का मास्टरमाइंड, सही और कड़वी सच्चाई लिखने में माहिर, जहां से लोगों की सोचना बंद कर देते है हम वहां से सोचना शुरू करते है, टिल्लू शर्मा के ✍️समाचार ज्यों नाविक के तीर,🏹 देखन म छोटे लागे, घाव करे गंभीर, लोगों की पहली पसंद टूटी कलम समाचार बन चुका है, सरकार एवं जिला प्रशासन का व्यवस्थाओं समस्याओं पर ध्यान आकर्षण करवाना हमारा पहला कर्तव्य है
🔱टिल्लू शर्मा ✍️टूटी कलम 🎤 न्यूज रायगढ़ 🌍 छत्तीसगढ़ 🏹.. अग्रवाल समाज के विषय में मैंने पूर्व में भी दो–चार समाचार लिखकर समाज को एकजुट रहने पर अपने विचार व्यक्त किए थे. मगर समाज के द्वारा संज्ञान नहीं लिया गया. इसलिए समाज का रुतबा रशुख घटता ही जा रहा है. जिसका एकमात्र कारण है
नई उमर की नई फसल … समय के साथ पूरी दुनिया ने काफी तरक्की की है और तरक्की जारी है. समाज के लोगों का भी लिविंग स्टैंडर्ड बहुत बढ़ गया है परंतु इसके साथ ही मान, मर्यादा,इज्जत, बड़े छोटे का लिहाज,आदर, सम्मान में गिरावट भी यू ही तेजी से आई है. अब तो घर की महिलाओं की इज्जत भी गिरने घटाने में कोई पीछे नहीं है रहा है. जिस वजह से अन्य समाज के लोग मजा लेने लगे हैं. औद्योगिक विकास के साथ बुद्धि भ्रष्ट होते जा रही है.
समाज में पंचों का निर्णय मान्य होता था… जब किसी परिवार पर कोई विपत्ति आती थी या आपसी मतभेद हुआ करते थे तो पुलिस एवं न्यायालय की अपेक्षा समाज के कर्णधारों का सहारा लिया जाता था और पूरा फैसला देने का अधिकार उन पर छोड़ दिया जाता था। उनके फैसलों की बाकायदा इज्जत रखी जाती थी. समाज में मातुराम जी अग्रवाल, रामकुमार जी वकील, रामस्वरूपदास रतेरिया जी, हरिश्चंद्र अग्रवाल (आर जे )महावीर वकील, महावीर बेरीवाल रामकुमार अग्रवाल (विधायक), सत्यनारायण जी अग्रवाल (बट्टी मार)आदि की शरण में जाकर विवादित पारिवारिक एवं सामाजिक हर तरह के मामले रखे जाते थे.उनके निष्कर्ष समझे और माने भी जाते थे, परंतु आज का हर युवा धन को महत्व देने लगा है और उटपटांग हरकते करने लगा है क्योंकि अब समझ में पंचों की कोई पूछ परख नहीं होती है। उन्हें असहाय एवं वृद्ध आउट डेटेड समझा जाने लगा है जो कि कंप्यूटर क्रांति की देन है. आज का युवा स्वयं को बहुत आगे समझता है. युवा अपने आप को जितना आगे समझता है होशियार समझता है. समाज उतने ही तेजी से गर्त में गिरता जा रहा है.
बहू बेटियों की इज्जत की चिंता नहीं. समाज में गिरावट इतनी तेजी से आई है कि अब घर की बहू बेटियों की इज्जत भी खराब कर दी जा रही है. किसी की भी बेटी एवं बहू का नाम किसी भी उद्योगपति प्रतिष्ठित व्यवसाई के साथ जोड़कर मनोरंजन का कार्य समझा जाने लगा है। सोशल मीडिया के माध्यम से हर तरह की बिना सिर पैर के बगैर प्रामाणिकता के आपत्तिजनक बातें वायरल कर दी जाती है और लोग एक दूसरे से जानकारी लेते रहते हैं और चटकारे ले लेकर चहुंओर फैलाने में लग जाते है। वे शायद यह भूल जाते हैं कि उनके घरों में भी बहु,बेटी, भाभी, पत्नी रहती है। मजाक उड़ाने वाले कल को आपका भी मजाक ना उड़ने लग जाए इस चीज को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए और समाज की बातों को वायरल ना कर छुपाने का,समझाने का, प्रयास किया जाना चाहिए।









