टी.डी.आर. घोटाला में प्रदेश आयोग ने स्टेट बैंक चक्रधरनगर के तर्क को मानने से किया इंकार
बैंक की अपील हुई खारिज
बैंक के खिलाफ मिश्रा चेम्बर रायगढ़ के सीनियर एडवोकेट अशोक कुमार-आशीष कुमार मिश्रा ने पेश किया तर्क
राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग ने प्रतिष्ठित व्यापारी सुनील रामदास के विरुद्ध भारतीय स्टेट बैंक शाखा चक्रधरनगर द्वारा पेश की गई उस अपील को खारिज कर दिया है, जिसमें बैंक ने टी.डी.आर. की रकम मिले बिना टी.डी.आर. जारी करने एवं सुनील राम दास को बैंक का उपभोक्ता न होने का तर्क पेश करते हुए सुनील राम दास को टी.डी.आर. की रकम देने से इंकार कर दिया था।
सुनील रामदास की ओर से मिश्रा चेम्बर रायगढ़ के सीनियर एडवोकेट अशोक कुमार-आशीष कुमार मिश्रा ने बैंक की अपील का विरोध करते हुए आयोग में तर्क पेश किया कि बैंक का यह तर्क माना ही नहीं जा सकता है कि उसने बिना रकम लिये टी.डी.आर. बना कर ग्राहक को दे दिया था । यदि बैंक से ऐसी भूल हुई होती, तो बैंक इस टी.डी.आर. को रद्द भी कर सकता था लेकिन वर्ष 2004 में जारी टी.डी.आर. आज तक रद्द नहीं किया गया एवं इस टी.डी.आर. की रकम वापसी के लिये जब एडवोकेट ने दिनांक 10/01/2020 को शाखा प्रबंधक को कानूनी नोटिस दिया, तब भी बैंक ने न तो टी.डी.आर. को रद्द किया, न नोटिस का कोई जवाब दिया, जिससे स्पष्ट है कि बैंक ने बिना रकम लिये टी.डी.आर. जारी करने का ग्राउण्ड अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिये बाद में सोच विचार कर तैयार किया है।
आयोग के समक्ष अशोक कुमार मिश्रा ने यह भी दर्शाया कि यदि बैंक के इस तर्क को स्वीकार कर लिया गया, तो भविष्य में बैंक द्वारा जारी पासबुक में रकम जमा होने की एन्ट्री के बारे में भी बैंक यही दलील देगा कि उसने जमाकर्ता से रकम लिये बिना ही पासबुक में रकम जमा होने की एन्ट्री कर दिया है एवं यह स्थिति उपभोक्ता के हितों के लिये गंभीर खतरा है। अशोक मिश्रा ने यह भी तर्क पेश किया कि व्यापारी होने के कारण सुनील रामदास को उभोक्ता की परिभाषा से बाहर नहीं किया जा सकता है।
प्रदेश आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति गौतम चैरड़िया एवं सदस्य प्रमोद कुमार वर्मा ने मामले में पूरी सुनवाई पश्चात भारतीय स्टेट बैंक शाखा चक्रधरनगर की अपील खारिज कर दिया । अब भारतीय स्टेट बैंक के विरुद्ध टी.डी.आर. की रकम की 5.25 % वार्षिक की दर से ब्याज सहित वसूली की जावेगी एवं यह रकम सुनील रामदास को वापस प्राप्त होगी।
व्यापारी सुनील रामदास की ओर से अशोक कुमार-आशीष कुमार मिश्रा, नीतेश श्रीवास एवं कुमारी प्रीति माहेश्वरी ने पैरवी किया एवं बैंक के तर्कों का खण्डन करते हुए इसे सुनियोजित टी.डी.आर. घोटाला बताया।
आयोग के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नीतेश श्रीवास एवं कुमारी प्रीति माहेश्वरी ने कहा कि बैंक जैसी संस्थाएं जब ग्राहक से रकम जमा कराने के बाद और रकम जमा होने के प्रामाणिक दस्तावेज जारी करने के बाद अपने ग्राहक के साथ ऐसा अन्याय करने लगें और रकम वापसी से इंकार करने लगें, तो आने वाले समय में ’’अराजकता वाद’’ की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी।
इन हालातों में प्रदेश आयोग का यह निर्णय उपभोक्ता के हितों की रक्षा की दिशा तय करने के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण और सराहनीय कदम है।








