🔱टिल्लू शर्मा ✒️ टूटी कलम 🎤 न्यूज़ रायगढ़ 🌍 सक्ती.. रायगढ़ जिला अस्पताल में कार्यरत परिवीक्षा अवधि के चिकित्सा अधिकारी डॉ पूजा अग्रवाल को नियम विरुद्ध स्थानांतरण व पदोन्नत करते हुए शासन द्वारा जिला सक्ती में प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर बैठाया गया है ज्ञात हो कि स्थानांतरण नीति के अनुसार परिवीक्षा अवधि में कार्यरत अधिकारी कर्मचारियों का स्थानांतरण पर पूरी तरह से प्रतिबंधित है, बावजूद इसके डॉ पूजा अग्रवाल को नियम विरुद्ध स्थानांतरण के साथ साथ जिला सक्ती के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का प्रभारी बनाया गया है । डॉ पूजा अग्रवाल परिवीक्षा चिकित्सा अधिकारी के जिला में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी प्रभार पर काम करना कहां तक न्यायोचित है ये शासन के वरिष्ठ अधिकारी ही समझ सकते है। परंतु डॉ पूजा अग्रवाल जब से जिला सक्ती में प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी प्रभार को ग्रहण की है तब से स्वास्थ्य व्यवस्था मानो कोमा में चली गई है, परिवीक्षा अवधि के कार्यकाल में नव सिखिया अधिकारी द्वारा राज्य और केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यक्रमों को धरातल में लाकर उन्हें शून्यता पर ला दिया गया है, बता दें कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) का शुभारंभ किया, जो एक अभिनव और महत्वाकांक्षी पहल है जो बाल स्वास्थ्य जांच और प्रारंभिक पहचान के आधार पर प्रारंभिक हस्तक्षेप सेवाओं की परिकल्पना करता है, एक प्रणालीगत दृष्टिकोण है। देखभाल, सहायता और उपचार से जोड़ता है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) बच्चों के जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार करने के लिए अपनी तरह का एक अनूठा कार्यक्रम है, जो सभी बच्चों को अपनी पूरी क्षमता हासिल करने में सक्षम बनाता है; और समुदाय के सभी बच्चों को व्यापक देखभाल भी प्रदान करता है। कार्यक्रम में जन्म से 18 वर्ष की आयु के बच्चों में 32 सामान्य स्वास्थ्य स्थितियों की जांच शामिल है, जिसमें 4 डी – जन्म दोष, रोग, कमी और विकासात्मक देरी, प्रारंभिक पहचान और तृतीयक स्तर पर सर्जरी सहित मुफ्त इलाज और प्रबंधन शामिल है। प्रारंभिक हस्तक्षेप सेवाएं और अनुवर्ती देखभाल जिला स्तर पर पहचानी गई चयनित स्वास्थ्य स्थितियों से पीड़ित बच्चों को प्रदान की जाती बच्चों की जाँच को सुगम बनाने के लिए, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के साथ आंगनवाड़ी केंद्रों में नामांकित 0-6 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों की जाँच के लिए और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ सरकारी एवं सहायता प्राप्त स्कूलों में नामांकित बच्चों की जाँच के लिए एक समझौता किया गया है। इस दिशा में व्यापक अभिसरण है। स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों द्वारा और घर-घर जाकर आशा (परिधीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता) द्वारा नवजात शिशुओं की जन्मजात विकृतियों की जाँच की जाती है। यह कार्य बहुत बड़ा है, लेकिन आरबीएसके द्वारा परिकल्पित व्यवस्थित दृष्टिकोण से यह संभव है। यदि इसे सही ढंग से लागू किया जाए, तो यह हमारे बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा और संवर्धन में महत्वपूर्ण योगदान देगा। लेकिन शासन के मंशा के विपरीत प्रभारी सीएमएचओ द्वारा इस योजना को धरातल में पूरी तरह से धता बताते हुए पूरी योजना को ठप्प कर दिया गया है, जिससे लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है, जब से डॉ पूजा अग्रवाल ने पदभार ग्रहण किया है तब से अब तक स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा सी गई है, सूत्रों की मानें तो जिले के चारों ब्लॉक के चिकित्सा अधिकारियों सहित स्वास्थ्य विभाग कर्मचारियों द्वारा सीएमएचओ की प्रताड़ना के खिलाफ कलेक्टर सक्ती से शिकायत भी की गई है, चिकित्सा अधिकारियों का आरोप है कि प्रभारी सीएमएचओ अपने पद का दुरुपयोग करते हुए लगातार हमें डराती व चमकाती हैं, जबकि अधिकांश चिकित्सा अधिकारी प्रभारी सीएमएचओ से काफ़ी वरिष्ठ और योग्य भी हैं।
लोगों का कहना है कि प्रभारी सीएमएचओ डॉ पूजा अग्रवाल के कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान लग ही रहा है साथ ही छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग पर भी सवाल उठ रहें हैं कि आखिर क्या मजबूरी थी कि सक्ती जिले सहित प्रदेश में वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों के रहते एक कनिष्ठ और परिवीक्षा अवधि के डॉक्टर को शासन की इतनी महत्वपूर्ण और जिम्मेदार वाले पद पर बैठा दिया है ।
राम कुमार यादव , विधायक चंद्रपुर
शासन स्तर पर जिस तरह से एक परिवीक्षा अवधि वाले डॉक्टर को प्रभारी सीएमएचओ बनाया गया है वह समझ से परे है, जिले में वरिष्ठ अधिकारी होने के बाद भी एक कनिष्ठ को यहां जिला स्तर के बड़े पद पर बैठाया गया है, जिसके कारण पूरा स्वास्थ्य विभाग का कार्य ठप्प पड़ गया है, भाजपा सरकार को इसपर जवाब देना चाहिए, की आखिर क्या कारण है?








