रायगढ़——-अगले 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में रायगढ़ से भाजपाई प्रत्याशी को लेकर जमकर रस्साकशी देखने को मिल सकती है। भाजपा के कद्दावर नेता रोशनलाल के निधन हों जाने से पार्टी में अनिश्चितता की स्थिति आ गई है। धीरे धीरे भाजपा कई गुटो में बंट सकती है। कद्दावर नेता गिरधर गुप्ता अपने परम मित्र स्व.रोशनलाल के सुपुत्र “गौतम” के लिए लाबिंग कर एडिचोटी का जोर लगा सकते है तो हर मोर्चे में विफल जिला भाजपा अध्यक्ष उमेश अग्रवाल अपने विधायक बनने के सपने को साकार करने यूथ आइकॉन ओ पी चौधरी का सहारा ले सकते है।वहीं गुरूपाल भल्ला अपने प्रदेशतरीय नेताओ से जान पहचान का फायदा उठाने से नही चुकने वाले,ग्रामीण क्षेत्र कोलता समाज के धाकड़ नेता “विलिस गुप्ता” शायद इस बार जातिय कार्ड खेलकर अपना वजूद दमदारी से पेश कर सकते है। रही बात ओ पी चौधरी की तो अगर वे रायगढ़ विधानसभा क्षेत्र से अपने चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर कर देवेंगे तो सभी अटकलों पर विराम लग सकता है परंतु इस बार भाजपा अपना अच्छा प्रदर्शन कर पुनः सत्ता में लौटने का प्रयास करेगी तो हो सकता है कि ओ पी चौधरी को चन्द्रपुर,जांजगीर, चाम्पा, किसी अन्य विधानसभा से अपना प्रत्याशी बनकर चुनावी मैदान में उतार दे।
वैसे रायगढ़ विधानसभा में अग्रवाल समाज का ही दबदबा रहता है। इस हिसाब से भाजपा पूर्व विधायक विजय अग्रवाल को पार्टी में वापस लेकर उन्हें प्रत्याशी बना दे क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में विजय अग्रवाल ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप मे चुनाव लड़कर लगभग 50 हजार मत प्राप्त कर भाजपा प्रत्याशी स्व.रोशनलाल की जीत पर बेरियर डाल दिया था। विजय अग्रवाल संघ एवं भाजपा से सन 1975 से जुड़े हुए है। जब शहर में कांग्रेस सरकार के विपक्ष में किसी ने हिम्मत नही जुटाई थी तब रोशन,विजय की जोड़ी ने हलधर किसान का झंडा बुलन्दी से थामा था और पूर्व सांसद नरहरि साय को ऐतिहासिक जीत दर्ज करवाने में अपनी महत्ती भूमिका निभाई थी। रोशनलाल के निधन के पश्चात विजय अग्रवाल का पार्टी से निलंब समाप्त किया जाना माना जा सकता है। इस दशा में विजय अग्रवाल के आगे प्रत्याशी की दौड़ में शामिल सभी लोगो के मंसूबो पर पानी फिर सकता है। यह तभी संभव हो सकता है। जब विजय अग्रवाल पुनः चुनाव लड़ने की मानसिकता बना ले।विजय अग्रवाल में वह क्षमता है कि वे अपने किसी समर्थक को पार्टी से टिकट दिलवाकर विधानसभा में पंहुचा सकते है। अब बात आती है नये चेहरों पर तो रायगढ़ विधानसभा में तो कोई ऐसा युवा चेहरा सामने नही आ रहा कि जिसपर भाजपा दांव खेल सके केवल “शक्ति अग्रवाल” ही ऐसे युवक है जिनको इसका लाभ मिल सके,शक्ति अग्रवाल के मौसा भाजपा के कद्दावर नेता एवं पूर्वमंत्री बृजमोहन अग्रवाल है। जिनके रायगढ़ विधानसभा में हस्तक्षेप करने से शक्ति अग्रवाल को लाभ मिल सकता है। डी पी एस स्कूल रायगढ़ के डायरेक्टर,समाजसेवी,सहज,मिलनसार,युवाओ के बीच लोकप्रिय शक्ति अग्रवाल को यदि भाजपा अपना प्रत्याशी बना देगी तो मुकाबला काफी रोमांचक हो सकता है। वैसे भी किसी भी प्रत्याशी की हार जीत का फैसला शहरी एवं अग्रवाल वोटर तय करते है। पिछले चुनाव में रोशनलाल एवं विजय अग्रवाल के बीच वोटो के विभाजन के कारण भाजपा को हार का सामना करना पड़ गया था। बृजमोहन अग्रवाल खेमे से शक्ति अग्रवाल को टिकट मिल जाने पर उनका विरोध करने का साहस शायद ही कोई भाजपाई कर पायेगा। गुटो में बटी भाजपा को एक प्लेटफार्म पर आना ही पड़ जायेगा। वैसे भी चुनावो में युवा वोटरो का झुकाव भाजपा की तरफ होने की वजह से शक्ति अग्रवाल को इसका फायदा स्पष्ट तौर पर मिल सकता है।