- क्रिकेट किट, बिजली उपकरणों,बैशाखी, व्हीलचेयर, श्रवण यंत्र के नाम पर और अब फिनायल के नाम पर
रायगढ़ जिले के आदिवासी विभाग में कुछ अधिकारी मिली भगत कर करोड़ों रुपए डकार चुके हैं। ताजा मामला फिनायल में भ्रष्टाचार का है। जो कोरोना काल में शायद कागजो में ही खरीदा गया था। रायगढ़ जिले के लिए 22,000 लीटर फिनायल की खरीदी सूरजपुर जिले से की गई थी। इतनी बड़ी मात्रा में फिनायल खरीद कर इस विभाग ने रिकार्ड ही कायम कर दिया है।
समय देखकर भ्र्ष्टाचार करने की कला में दक्ष आदिवासी विकास विभाग के पूर्व सहायक आयुक्त एवं कुछ अधिकारियों ने ऐसा एक भी मौका नहीं छोड़ा कि जब उन्होंने भ्र्ष्टाचार के दलदल में डुबकी न लगाई हो। कोरोना काल में जब सभी विभागों की खरीदी बंद थी उस मौके पर भी आदिवासी विकास विभाग में पदस्थ अधिकारियों ने भ्र्ष्टाचार की ईबादत लिख दी। शुरुआत क्रिकेट किट से हुई है और खेल चलता ही गया है। रिमोट वाले पंखों की खरीदी में भ्रष्टाचार के बाद अब फिनायल खरीदी में भ्रष्टाचार सहित,बैशाखी, श्रवण यंत्र,टेबल,कुर्सी और न जाने कितने भ्र्ष्टाचार के खेल इस विभाग की फाइलों में मौजूद हैं। पोल खुलने के डर से पूर्व सहायक आयुक्त ने अपना स्थानांतरण करवा लिया था।वहीं अब वर्तमान सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग हेतराम चौहान जांच कराने की बात कह रहे हैं। कलेक्टर भीम सिंह को इस विभाग में हुए भ्र्ष्टाचार पर संज्ञान लेने की आवश्यकता है।
गौरवतलब है कि इस विभाग के अधिकारियों ने अपने चहेते व्यवसाइयों से सांठगांठ कर ऊंची दरों पर टेंडर पास कर दिए थे। जबकि कम दरों वाले अम्बिकापुर एवं रायगढ़ के व्यवसाइयों के टेंडर लिए ही नही गए। पूर्व सहायक आयुक्त फिल्मी हीरो के नाम वाले गुप्ता जी से पूछने पर गुप्ता जी आप खाते हो कि पीते हो तब गुप्ता जी कहते कि मैं खाता भी तगड़ा हूँ और पिता भी छक कर हूँ