रायगढ़: रायगढ़ तमनार स्थित अंबुजा कोयला खदान 4/8 में स्थापित होने वाली कोल वाशरी की पर्यावरणीय स्वीकृति एनजीटी ने रद्द करने केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को आदेश दिया है | किसी व्यक्ति की याचिका पर 24.06.2021 को एनजीटी ने अहम् फैसला सुनाया | वर्ष 2014 में सुप्रीमकोर्ट द्वारा देश भर में कोल माइंस का आबंटन रद्द करने के पूर्व जायसवाल निको के पास तमनार में गारे 4/4 व् 4/8 कोल माइंस थी |
2013 में जायसवाल निको को कोल वाशरी लगाने पर्यावरणीय स्वीकृति पर्यावरण मंत्रालय द्वारा दी गई थी |

नीलामी में गारे 4/8 कोयला खदान अंबुजा सीमेंट को मिल गई | अंबुजा सीमेंट द्वारा इसी जायसवाल निको को मिली स्वीकृति को अपने नाम से एक्सटेंट करने आवेदन दिया था | न तो अंबुजा सीमेंट ने बताया और न ही केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने ध्यान दिया कि वर्तमान में केवल एक ही खदान अंबुजा के पास है जबकि पूर्व में दो खदानों के आधार पर स्वीकृति दी गई थी | यही नहीं कोल वाशरी से निकलने वाले फाइनस व् रिजेक्ट्स के उपयोग हेतु हमीरपुर में 600 मेगावाट का पावर प्लांट भी प्रस्तावित किया गया था जो कि कभी लगा ही नहीं |
इस मामले में पर्यावरण मंत्रालय ने एनजीटी के उस आदेश की भी अनदेखी की जिसमें घरघोड़ा और तमनार में नये उद्योग लगाने पर पाबंदी लगा दी है |
याचिका की पहली सुनवाई 16.03.2021 को ही एनजीटी ने मामला ओवरसाईट कमेटी को जांच हेतु सौंप दिया | एनजीटी द्वारा गठित इस कमेटी में कई केन्द्रीय विभागों के साथ साथ रायगढ़ जिला कलेक्टर भी शामिल हैं |
एनजीटी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में ओवरसाईट कमेटी ने कहा की प्रस्तुत याचिका के तथ्य पूर्णतया सत्य हैं और केन्द्रीय वन पर्यावरण और क्लाइमेट चेंज मंत्रालय को स्वीकृति रद्द कर दी चाहिये |
कमेटी की रिपोर्ट मिलने पर एनजीटी ने पर्यावरण मंत्रालय को स्वीकृति रद्द करने 24.06.2021 को आदेश पारित कर दिया |
पूरे मामले में एक बात तो साफ है कि जन सुनवाई और इ. आई. ऐ. से बचने उद्योग तरह तरह के हथकंडे अपनाते हैं जिसमें मंत्रालय की भूमिका भी अहम् होती है |