टूटी कलम समाचार—स्व.सेठ किरोड़ीमल धर्मादा ट्रस्ट की अजगर अवस्था के कारण धीरे धीरे शहर से किरोड़ीमल जी का नाम विलुप्त होते जा रहा है। एक के बाद सेठ किरोड़ीमल जी की धरोहरों को ट्रस्टी बेच खा रहे है या फिर जीर्णशीर्ण हो रहे भवनों को जीर्णोद्धार के नाम पर निजी हांथो को सौपा जा रहा है। सेठ किरोड़ीमल कालोनी को आज कोई जानता नही होगा कि कहां पर है ? के जी एच यानि किरोड़ीमल गवर्नमेंट हॉस्पिटल का नाम मेकाहारा किया जा चुका है। अविभाजित मध्यप्रदेश के स्कूल भवनों में नटवर स्कूल का नाम प्रथम स्थान पर आता था। सेवाकुंज मार्ग में कतारबद्ध घर हुआ करते थे। जो अब खंडहर होकर पारिवारिक विवाद में फंस गए है। सेवाकुंज कब का बिक चुका है। सेठ किरोड़ीमल कालोनी के घर टूटकर बड़े बड़े भवन बन चुके है। अनाथालय दुर्गा मंदिर के पीछे काम्प्लेक्स बनकर भूतल प्रथम तल पर कब्जे किये जा चुके है। अंदर के गोदामो पर रशुखदारों का कब्जा हो चुका है। पालीटेक्निक कालेज की दोनो हॉस्टल अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे है। टूटी कलम समाचार
अब बारी है अशर्फी देवी महिला चिकित्सालय(रूपेंद्र पटेल हॉस्पिटल) की—-पिछले कई वर्षों से उक्त हॉस्पिटल को हड़पने की सुनियोजित तैयारी चल रही है। पूर्व में किसी सेठ ने लगभग 90 लाख रुपये खर्च कर हॉस्पिटल में सुविधाएं बढ़ाने का आश्वासन दिया था। मगर बनने के बाद उक्त स्थल डाक्टर,ट्रस्ट,प्रशासन के बीच उलझकर रह गया। कलेक्टर भीम सिंह ने भी निरीक्षण कर साफ सफाई करवा कर उपयोग में लाने के आदेश दिए थे। जो केवल कागजी आदेश साबित हुआ। अब इस अस्पताल को मात्र सवा करोड़ खर्च कर बनाने का बीड़ा एक उद्योग ने उठाकर वाहवाही तो बटोर ली परन्तु यह ऊंट के मुंह मे जीरा डालने समान है। अरबो रुपये की भूमि को सवा करोड़ खर्च कर अपना हक जतलाने का प्रयास के अतिरिक्त और कुछ नही है। जितनी भूमि पर निर्माण कार्य करवाया जायेगा उस पर हक आधिपत्य उद्योग जतला सकता है। इस भूमि पर सौ करोड़ रुपये खर्च हो जाने पर कम ही होंगे। उद्योग जो खर्च करने की मंशा जतला रहा है। वह शायद सी एस आर मद के लाभ से मिले हो सकते है।जिसपर शहर वासियों का ही हक एवँ अधिकार है। इस शहर से जितना धन उद्योग वाले कमाते है। उसमें से कुछ प्रतिशत लोकहित,जनहित में खर्च करना इनकी मजबूरी होती है कोई एहसान नही होता है। लोग बढ़ा चढ़ा कर लिखते है कि फलां उद्योग फलां कार्य के लिए फलां रकम खर्च करेगा। जबकि इसकी एवज में वह अपने उद्योग का ,परिवार का नाम आगे कर देता है। टूटी कलम समाचार
आसमान छूते जमीनों के भाव पर इस तरह का खर्च करना सस्ता सौदा है—- शहर की जमीनों के भाव मे आग लगी हुई है। अभी कुछ समय पहले ही इस अस्पताल के सामने की नजूल जमीनों की नीलामी की गई थी। जो रुपये प्रतिवर्ग फिट के मूल्य से नीलाम हुई। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अशर्फी देवी महिला चिकित्सालय की जमीन कितने अरब रुपयों की होगी। जिसपर सवा करोड़ रुपए खर्च कर कितने करोड़ रुपये की जमीन पर कब्जा किया जा सकता है। टूटी कलम समाचार
प्रशासन को चाहिए कि उद्योग से निकलने वाले सी एस आर मद का लाभांश नगद लेकर स्वयं कार्य करवाये ताकि किसी उद्योग का उसपर कोई हक न रह सके। टूटी कलम समाचार