@टिल्लू शर्मा◾टूटी कलम डॉट कॉम#रायगढ़…. पिछले दिनों प्रदेश के सर्वाधिक लोकप्रिय, जनप्रिय,चुम्बकीय व्यक्तित्व के धनी स्व.नंदकुमार पटेल की प्रतिमा का अनावरण प्रदेश के दर्जन भर मंत्रियों,उमड़े हजारों लोगो के जनसमुदाय की उपस्थिति में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कर कमलों द्वारा काफी उत्साहित माहौल में हुआ था। टूटी कलम

कार्यक्रम की सफलता के पश्चात कुछ लोगो के पेट मे ऐंठन होना स्वभाविक प्रकिया है। ये वही लोग है जो हर अवसर पर कमियां ढूंढने में ही सिद्धस्त कहलाते है। जैसे कि इनमें से वैज्ञानिकों ने यह ढूंढ निकाला कि मंच,शहर में लगे बैनरों से कांग्रेस आलाकमान राहुल,सोनिया की गायब थी तो कुछ वैज्ञानिको ने यह खोज निकाला कि मंचस्थ लोगो मे जोगी कांग्रेस के लोगो को प्रमुखता दी गई एवँ नगर पालिका अध्यक्ष राधा सुनील शर्मा के अतिरिक्त अन्य सैकड़ो कद्दावर कांग्रेसी नेताओं को तवज्जो नही दी गई। कुछ एक वैज्ञानिकों ने यह खोज निकाला कि कांग्रेस सेवादल के नेता गोपाल सिंह जूदेव की फोटो बैनरों में नही थी। टूटी कलम

यहां यह बतलाना न्यायसंगत नही होगा कि उक्त अवसर पर शहीद नंदकुमार पटेल का परिवार भी मंचस्थ नही था क्यूंकि उक्त कार्यक्रम पूर्ण रूप से शासकीय था। जिसमे प्रोटोकॉल को ध्यान रखा में रखा गया था। वैसे नंदू भैया के हजारों समर्थक है किन किन लोगों का ध्यान रखा जाता। अगर ऐसा किया जाता तो कार्यक्रम महीनों चल सकता था।तब जाकर कहीं प्रतिमा का अनावरण हो पाता। हजारों लोग ऐसे थे जिन्हें नंदू भैया बकायदा नाम लेकर पुकारते थे। इसका मतलब यह नही की उनको भी मंचस्थ किया जाना था और बैनर,पोस्टरों में उनकी भी फोटो लगानी चाहिए थी।यदि लोगो को इतना ही फोटो प्रेम है तो वे अंटी ढीली कर अपने नाम एवं फोटो सहित बैनर,पोस्टर बनवाकर खरसिया शहर की गलियों को पाट देते।इसके लिए तो कोई भी मनाही नही थी। टूटी कलम

रहा सवाल जोगी कांग्रेस के लोगो को मंचस्थ करने का तो वह समय कभी का जा चुका है जब वे जोगी खेमे के कहलाते थे। फिलहाल वे जिला कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी है। उमेश नंकुमार पटेल को राजनीति विरासत में मिली है। इसलिए उनको सलाह देना मानो सूर्य को दिया दिखलाना है। वे इतने वर्षों में राजनीति के चतुर सुजान बन चुके है। उनकी सोच एवँ उनके लक्ष्य को समझ पाना अच्छे अच्छो के बूते से बाहर की बात है। उमेश पटेल पूरी तरह से नंदू भैया के नक्शे कदम पर चल रहे है। उनसे कुछ ऊंच नीच हो जाये यह कल्पनीय है। राजनीति के चाणक्य उमेश लोगो के मन की बात जान लेने में भी दक्षता हासिल कर चुके है। टूटी कलम

ग्रामीणों का हाँथ सदैव से कांग्रेस के हैं सांथ—हमेशा से भाजपा ने तरह तरह के प्रयोग कर अलग अलग जाति के लोगो को बदल बदल कर चुनावी समर में उतारकर नंदू भैया को शिकस्त देने की रणनीति बनाई मगर लोगो से अपनत्व के कारण उनको हर चुनावो में बढ़ते वोट से जीत मिलती ही गई। छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक वोटो से जीत का गौरव हासिल किया था। भाजपाई दिग्गज गिरधर गुप्ता,लख्खीराम अग्रवाल,लक्ष्मी पटेल को पटखनी देने पर यह साबित हो गया कि खरसिया विधानसभा से जातिवादी,धनबल,बाहुबल से ज्यादा सादगी,कर्मयोगी,शालीनता से चुनाव जीता जा सकता है। आजादी के बाद से ही इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा कायम है। उमेश पटेल को घेरने के लिए भाजपा ने जातिवादी कार्ड खेल कर जवाहर नायक एवं ओ पी चौधरी सरीखे कद्दावर प्रत्याशी उतारकर कर कांग्रेस के अभेद गढ़ को भेदने का असफल प्रयास किया गया था। टूटी कलम

उमेश पटेल ने नये नवेले कांग्रेसी होने के बावजूद लगातार दूसरी बार जीत दर्ज कर यह साबित कर दिया कि उनकी किस्मत का फैसला ग्रामीण समर्थक एवँ वोटर करते है न कि कुबेर नगरी के लक्ष्मी पुत्र। इस बार उमेश के सामने कोई ऐसा चेहरा भाजपा से नजर नही आ रहा है। जो अपनी जमानत भी बचा सके। इसलिए सम्भवतया ओ पी चौधरी पर ही पुनः दांव खेला जा सकता है। टूटी कलम