चक्रधरनगर पुलिस ने ध्वस्त किया कच्ची शराब का नेटवर्क,लगभग 832 लोगो को बेवड़े होने से वंचित कर दिया।
रायगढ़—– पुलिस आखिर करे तो क्या करे ? देश मे लाकडाउन क्या हुआ मानो समस्त सरकारी विभागों की लाटरी लग गई।विभागों के चपरासी,बाबुओं से लेकर ड्राईवर, अधिकारी तक पूरा आइसोलेशन ले रहे है। तमाम तरह की समस्या से मात्र पुलिस विभाग ही जूझ रहा है। किसी महिला की डिलिवरी का मामला हो कि भोजन वितरण का मामला हो,बाजार खुलवाना हो कि बंद करवाना हो,शराब पकड़नी हो कि अपराधों पर नियंत्रण रखना हो तमाम झंझावात से पुलिस को ही सामना करना पड़ रहा है।
आबकारी उड़नदस्ता की भूमिका पुलिस विभाग बखूबी से निभा रहा है। जिसे देखकर लगता है कि आबकारी विभाग को विलोपित कर पुलिस विभाग को ही उत्तरदायित्व सौप देना चाहिये। जिले के सभी थानों में कच्ची शराब बनाने,बेचने वालों पर पुलिस ताबड़तोड़ कार्यवाही कर रही है। चक्रधरनगर थाने में 4 लोगो पर अपना शिकंजा कस 108 लीटर महुआ शराब की जप्ती कर अपराध कायम किया गया।
पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार सिंह के निर्देश एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक वर्मा, नगर पुलिस अधीक्षक अविनाश ठाकुर के मार्गदर्शन में चक्रधरनगर थाना के धाकड़ प्रभारी विवेक पाटले ने हमराह स्टाफ के साथ रेगड़ा क्षेत्र में दबिश देकर कच्ची शराब निर्माताओं की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।जो लोग शराब बनाकर,बेचकर लाकडाउन में फायदा उठाना चाहते थे अब उन्हें जेल के लाकडाउन में रहना पड़ेगा तब सही लाकडाउन का अर्थ मालूम चल पायेगा। इस संकट की घड़ी में जो लोग देश से बढ़कर पैसे को अहमियत दे रहे है।सामानों की हेराफेरी कर रहे है,अनाधिकृत दुकाने खोलकर सामान बेच रहे है,ब्लैकमेलिंग का धंधा कर रहे है,गरीबो के ठेले,गुमटियों बंद होने पर समोसा,बड़ा,आलूचाप,ब्रेडपकोडा, चाय,काफी बेच रहे है वे कभी देशप्रेमी नही हो सकते। उनको कोरोना से वास्ता न होकर अपने घर भरो से वास्ता है।
विवेक पाटले का नाम आज इज्जत,आदर,तमीज से लिया जाता है।लोगो के सुख में कम, दुख में अक्सर खड़े रहने वाले इस थानेदार में मानवता कुट कुट कर भरी हुई है।लाकडाउन में इन्होंने दर्जनों ऐसे समाजिक,परोपकारी कार्य कर दिखलाये जिससे लोगो के मन मे पुलिस की छवि मे इजाफा ही हुआ है।अगर ये 1 रुपया कमाते है तो 50 पैसे दुसरो पर खर्च भी करते है अन्य की तरह नही की 1 रूपया कमाकर 2 रुपया कैसे कमाऊ की उधेड़बुन में लग जाते है।