🏹 टिल्लू शर्मा 🖋️टूटी कलम रायगढ़। NR उद्योग की ओर से अपना उद्योग लगाने के नाम पर हजारों पेड़ों की बलि लेने के लिए अनुमति मांगी जा रही है । संबंधित विभागों की ओर से भी प्रस्तावित भूमि पर लगे पेड़ों की जांच करने में अनदेखी की बात सामने आ रही है । इस उद्योग के लिए कुल 31 खसरा नंबरों की जमीन चाहिए लेकिन 31 में से यदि हम केवल दो खसरा नंबरों की ही बात करें तो केवल इतनी ही जमीन में 200 अलग-अलग प्रजातियों के फलदार सहित अन्य बेशकीमती पेड़ लगे हुए हैं जिनकी संख्या 22607 है । अब ऐसे में आप कल्पना कीजिए कि अन्य 29 खसरा नंबरों में और कितने हजार पेड़ लगे हुए होंगे औद्योगिक विकास के नाम पर पेड़ों की इतनी बड़ी बली रायगढ़ को मंजूर नहीं है । हां यह बात जरूर है कि पर्यावरण प्रेमियों को पेड़ों की हरियाली से ज्यादा नोटों की हरियाली दिख रही है ।
एनआर आयरन एंड पॉवर लिमिटेड ने ग्राम शिवपुरी में उद्योग के विस्तार के लिए प्रस्तावित स्थल में पेड़ कटाई के लिए आवेदन लगाया है। जिसमें सिर्फ दो खसरे में ही 200 विभिन्न प्रजातियों के 22 हजार 607 पेड़ लगे हुए हैं। जबकि प्रस्तावित उद्योग के लिए 31 खसरे में लगे पेउ़ों की कटाई के लिए अनुमति मांगी गई है।
एनआर आयरन एंड पॉवर लिमिटेड ने पेड़ कटाई की अनुमति के लिए जो आवेदन लगाया है उसमें कुल 31 खसरा नंबर में 299 हेक्टेयर भूमि बताया गया है। इसमें पूर्व में उद्योग विभाग के सीएसआईडीसी को आवंटित भूमि खसरा नंबर 12/5 में 109.498 हेक्टेयर व २८/२ में 68.270 हेक्टेयर भूमि है उक्त दोनो खसरे में 177.765 हेक्टेयर भूमि है जो कि पूर्व में मेसर्स श्याम इंडस को आवंटित हुआ था लेकिन किसी कारण से प्लांट नहीं लग पाया और अब एनआर आयरन एंड पॉवर ने उक्त खसरे को उद्योग के विस्तार के लिए प्रस्तावित भूमि के पेड़ कटाई की अनुमति में दर्ज किया है। वर्ष 2015 में श्याम इंडस को आवंटित करने के पूर्व दोनो खसरे का सत्यापन किया गया था जिसमें खसरा नंबर 12/5 में 18500 और 28/2 में 4607 पेड़ों की गणना की गई थी। इसमें किमती शॉल के अलावा फलदार व अन्य प्रजातियों के वृक्ष मिले थे। वर्तमान में 31 खसरे के करीब 299 हेक्टेयर में उक्त खसरे को मिलाकर पेड़ कटाई की अनुमति मांगी गई है। शेष खसरा नंबर जो कि सिंधु फर्म से क्रय किया गया है उक्त भूमि भी आम व अन्य फलदार पेड़ों के बगीचा के रूप में जाना जाता है। इस हिसाब से शेष खसरा में भी हजारों की संख्या में पेड़ होना बताया जा रहा है।
प्रजाति के नाम पर खेला जा रहा खेल
उद्योग विभाग की जमीन में लगे पेड़ों की गिनती वर्ष 2015 में हो चुकी है जिसके अनुसार 22 हजार 607 पेड़ है, वहीं निजी भूमि में खरीदी के दौरान रजिस्ट्री के पूर्व पेड़ों की संख्या दर्ज किया गया है। इसके बाद भी मांगी गई अनुमति में पेड़ों की संख्या न लिखकर 200 विभिन्न प्रजातियों के वृक्षों को काटने के लिए अनुमति मांगा गया है। यहां पर शुरू से पेड़ों की संख्या को कम कर छिपाने का प्रयास किया जा रहा है।
बिना अनुमति के भी पूर्व में काट दिए गए हैं कई पेड़
एक ओर जहां उद्योग प्रबंधन द्वारा वर्तमान में पेड़ कटाई की अनुमति के लिए आवेदन लगाया गया है वहीं दूसरी ओर देखा जाए तो मौके पर बाउंड्रीवॉल का काम पहले ही शुरू कर दिया गया है। ऐसे में बाउंड्रीवॉल करने के दौरान कई पेड़ों को बिना अनुमति के काटने की बात भी सामने आ रही है।
राजस्व का भी हुआ नुकसान
रजिस्ट्री के दौरान भूमि में लगे पेड़ों की संख्या के हिसाब से स्टांप शुल्क और पंजीयन शुल्क तय होता है। यहां पर बिक्री नकल में ही पेड़ों की संख्या को कम कर दिया गया है। राजस्व अधिकारियों के सांठ-गांठ से शुरू से खेले गए इस खेल में सरकार को पंजीयन के दौरान भी काफी राजस्व की हानि पहुंचाई गई है।
पेड़ों की संख्या प्रजातिवार
प्रजाति ख. नं.12/5 में ख. नं. 28/2 में
महुआ 15086
अन्य मिश्रित 4207 2129
साल 241 74
साल 2902 87
साल 384 279
अन्य मिश्रित 43281952