👁️ टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम रायगढ़ छत्तीसगढ़… कोई जाते-जाते पूरा पैसा समेट कर ले जाता है तो कोई कर्मचारी अपने अधिकारी के आगमन से पूर्व ही सफलता बस लाने की कोशिश करते हैं… आज इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण मिल गया की कुछ कर्मचारी ऐसे होते हैं जो कि अपने अधिकारी के आगमन से पूर्व ही उनकी सफलता की इबारत लिखना शुरू कर देते हैं और कुछ अधिकारी ऐसे भी होते हैं की जाते-जाते अपने वरिष्ठ अधिकारियों को भी बदनाम करने से नहीं चूकते हैं.
थाना चक्रधर नगर के थाना प्रभारी शनिप रात्रे के द्वारा कोतवाली थाने की कमाल संभालने के बाद लाइन हाजिर थानेदार प्रवीण मिंज को चक्रधर नगर थाना का सौंपा गया है। जिनके आगमन को लेकर पूरा चक्रधर नगर थाना सुबह से ही पलक पावडे बिछाए और पटाको की जप्ती करे बैठा था। ताकि उनका भव्य स्वागत किया जा सके,परंतु अपने वरिष्ठ अधिकारी के आगमन को लेकर स्थिति स्पष्ट होने पर अंततः अधीनस्थ कर्मचारियों के द्वारा कार्रवाई करनी ही पड़ गई. जिन्होंने सिंधी कॉलोनी के दुकानदार पर कार्रवाई करते हुए लाखों रुपए का अवैध पटाखा जप्त कर थानेदार को उपहार स्वरूप सफलता देने की कोशिश की गई. मीडिया में पटाखों की जब्ती के समाचार चलते ही थानेदार को समझ में आया की उक्त मामला उनके थाना क्षेत्र का है. इसलिए आनन-फानन में उनको शाम के समय अपनी आमद देनी पड़ गई. जबकि पटाखों की जब्ती में थाना प्रभारी की कोई भूमिका नहीं रही है। जब चक्रधर नगर थाना के हेड कांस्टेबल लोमेश राजपूत और सतीश पाठक कार्रवाई कर रहे थे तब थानेदार नींद में गाफिल थे.
मीडिया ने पूरा खेल बिगाड़ डाला… चक्रधर नगर थाना क्षेत्र में अवैध पटाखों के भंडारण एवं विक्रय की जानकारी मीडिया को मिलने पर उक्त समाचार को प्रमुखता से चलाया गया. जिस वजह से पुलिस के द्वारा किसी भी तरह की लीपापोती नहीं की जा सकी. जबकि पुलिस के द्वारा उक्त गंभीर अपराध को दबाने का भरसक प्रयास किया गया एवं सजातीय कुछ मीडिया कर्मियों ने पुलिस पर दबाव बनाने का प्रयास भी किया गया किंतु तीर तरकश से निकल चुका था इसलिए मीडिया कर्मियों ने अपने अपने घरों पर ही रहना मुनासिब समझा. पुलिस के द्वारा जप्त किए गए पटाखों को दिखाने में भरपूर आनाकानी एवं झूठ का सहारा लेना पड़ा था. खबर चलने के बाद पुलिस के पास उक्त मामले को दबाने का कोई विकल्प नहीं रह गया था क्योंकि खबर के वायरल होते ही मीडियाकर्मियों का जमावड़ा चक्रधर नगर थाने में लग गया था. कुछ मीडिया कर्मियों को दीपावली पर कुछ पटाखे उपहार स्वरूप देने के आश्वासन के बाद विदा किया गया. तो कुछ मीडिया वाले लोमेश सिंह राजपूत एवं सतीश पाठक को अपनी घर की मुर्गी समझकर फोन पर बतियाते एवं हिदायत देते सुने गए. जबकि उनका स्वयं का कोई वजूद नहीं है.