💣 टिल्लू शर्मा ✍️टूटी कलम रायगढ़ छत्तीसगढ़ 🔱 गत अक्टूबर माह के आखिरी में दीपावली के पश्चात रायगढ़ शहर के क्रिकेट सट्टा प्रेमी “मयंक मित्तल” के द्वारा देनदारी से बचने के लिए आत्महत्या कर ली थी. जिसके बाद समाज विशेष के कतिपय लोगों के द्वारा उक्त मामले को तुल देते हुए। मयंक मित्तल के शव यात्रा के दौरान जुआ एवं सट्टा के विरोध में पुलिसिया कार्रवाई की मांग की गई थी एवं सर्व समाज के बैनर पुलिस पर दबाव बनाने के लिए राजनीति हावी करने की कोशिश की गई थी। जिसके लिए धार्मिक संस्थान श्री श्याम मंडल के सदस्योंका भी सहारा लिया गया था। पुलिस के द्वारा उक्त मामले को शांत करने के लिए शहर के 4 युवकों को सट्टा खाईवाल बताते हुए चिन्हांकित कर 3 लोगों की गिरफ्तारी करते हुए उन्हें 15 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल निरुद्ध करवा कर एक आरोपी को फरार घोषित होना बतला दिया गया था ताकि विरोध करने वाले की जुबान बंद की जा सके।
15 दिन की न्यायिक हिरासत पूरी हुई और उधर चौथे आरोपी की गिरफ्तारी हुई….. इससे सहयोग माना जाना चाहिए या फिर पूर्ण रूप से प्री प्लान की गई प्लानिंग मानी जानी चाहिए कि जेल निरुद्ध तीन आरोपियों के द्वारा 15 दिन के बाद जमानत याचिका लगाई जाएगी किंतु आरोपी की संख्या पूरी ना होने पर उनकी जमानत होना मुश्किल में पड़ जाती है। इसलिए रायगढ़ पुलिस के द्वाराफरार चल रहे चौथे आरोपी शाहबाज खान को 12 दिन के बाद गिरफ्तार कर लिया गया जाना बतलाया गया। जो कि आरोपियों को मिलने वाली जमानत में सहायक सिद्ध होगी क्योंकि पूरे आरोपियों को ना पकड़े जाने की दशा में किसी भी आरोपी की जमानत होना कठिन हो जाता। इसलिए चौथे आरोपी को भी पुलिस के द्वारा गिरफ्तार कर जेल निरुद्ध करवा दिया गया। जिस वजह से सारे आरोपियों की न्यायालय से जमानत होने से कोई नहीं रोक सकता। जबकि पुलिस के द्वारा घोषित फरार आरोपी कहीं भी फरार नहीं हुआ था । उसे प्रतिदिन शहर के विभिन्न मोहल्लों में बेनकाब घूमते फिरते देखा गया है .
शाहबाज को मीडिया के द्वारा हीरो बनाने की कोशिश की….. अपनी गली के छूट भैया,टपोरी, छिछोरे, युवक शाहबाज को मीडिया के द्वारा बाउंसर, वसूलीबाज, गुंडा, मवाली और ना जाने क्या क्या बतलाया गया। जबकि चूहे के द्वारा बर्तन गिरा देने से भी डरने वाले युवक को शहर का रंगबाज घोषित करने की कोशिशें की गई थी. अब जेल से बाहर आने के बाद शाहबाज पूर्ण रूप से असामाजिक तत्व, गुंडा,मवाली,दादा,भैया के रूप में देखा जाना, जाना पहचाना चेहरा बन जाएगा । जिस तरह से कुछ चेहरों को शहर का बाहुबली बना दिया गया है। शाहबाज के द्वारा न्यायालय में आत्मसमर्पण करने के पश्चात मीडिया पुलिस की वाहवाही करने से भी नहीं चुकी. शाहबाज के द्वारा आत्मसमर्पण करने के बाद पूरी मीडिया पुलिस के पाले में जा घुसी क्योंकि जैसा जगजाहिर है कि पुलिस और पत्रकार का आपसी बहुत याराना होता है।