💣 टिल्लू शर्मा ✍️ टूटी कलम रायगढ़ छत्तीसगढ़ गत दीपावली के अगले दिन मयंक मित्तल नामक युवक के द्वारा आत्महत्या कर ली गई थी. बताया जा रहा है कि मयंक मित्तल क्रिकेट मैच एवं 52 परियों की लत से बुरी तरह से ग्रस्त था. उसके द्वारा काफी लंबे समय से क्रिकेट मैच पर सट्टे का दांव लगाया जाता था साथ ही शहर की बड़ी बड़ी होटलों में और बड़ी-बड़ी जुआ फड़ो में जाकर मोटी रकम लगाई जाती थी। जुआ सट्टा मे मगधीरा कॉम प्रतिदिन किस्मत का धनी इंसान भी रोजाना नहीं जीता करता है। एक दो शुरुआती जीत के बाद व्यक्ति का लगाव इस बुराई की ओर बढ़ते जाता है और वह इसे शॉर्टकट तरीके से कम समय में अधिक धन कमाने के लालच में आ जाता है और जब वह हारना शुरू होता है तो उसका परिणाम मयंक मित्तल सरीखे निकलता है। जब इंसान के द्वारा जुआ सट्टा से लाखों रुपए नगद रकम जीत कर घर लाई जाती है तो घरवाले उसके इस बुराई का विरोध ना कर उल्टे प्रोत्साहित करते हैं एवं खुश होते हैं की उनका बेटा लाखों रुपया कमा कर लाता है और जब वही बेटा रकम हारने पर घरवालों से आर्थिक सहायता मांगता है तो परिवार वाले उससे कन्नी काटने लग जाते हैं जिस वजह से व्यक्ति मानसिक तनाव से गुजरने लगता है और उसके द्वारा समस्त जंजालों से मुक्ति पाने का एक ही मार्ग आगे पीछे दिखने लगता है।
टूटी कलम के द्वारा लिखे गए समाचार को दलील के रूप में उच्च न्यायालय में पेश किया गया जिस वजह से जमानत होना आसान हुआ। टूटी कलम के द्वारा पूर्व में यह लिखा था कि मयंक मित्तल अपनी दुकान एवं घर बिकने की सोच की वजह से मानसिक तनाव में आ गया था एवं परिजनों के द्वारा सहायता करने में अपनी असमर्थता जताई थी क्योंकि परिजनों के द्वारा पूर्व में लंबी चौड़ी आर्थिक मदद की गई थी। इसलिए उसके सामने विकल्प नहीं था।
विशेष सूत्रों से यह भी मालूम हुआ है कि दीपावली के दिन मयंक मित्तल करण के घर जाकर उसके माता-पिता के चरण छू कर आशीर्वाद लिया था और करण मयंक मित्तल के घर जाकर उसके माता पिता का आशीर्वाद लिया था। इससे यह जाहिर होता है कि इन दोनों के बीच केवल दोस्ती यारी का ही संबंध ना होकर पारिवारिक संबंध भी बना हुआ था। समय समय पर मयंक मित्तल करण से हाथ उधारी भी लिया करता था। दीपावली के बाद 10 – 12 इनके ग्रुप के लोगों के द्वारा राजस्थान जाने की फ्लाइट की टिकट भी बनवा ली गई थी। मगर होनी को कुछ और ही मंजूर था.
मयंक मित्तल ने लंबी चौड़ी रकम हार जाने की वजह से अपने परिजनों से आर्थिक सहायता मांगी थी परंतु परिजनों के द्वारा असमर्थता जलाने पर उसने भी आत्महत्या करने का मार्ग चुन लिया और दुनिया से विदा हो गया। इसके बाद जुआरियों एवं सटोरियों के नजदीकी लोगों ने जुआ सट्टा के विरुद्ध अभियान छेड़ दिया यहां तक की मयंक मित्तल की शव यात्रा के दौरान जुआ सट्टा विरोधी हाथों में तख्तियां थामे वे लोग ज्यादा दिखलाई दिए जिनका नाता जुआ और सट्टा से रहा है। समाज के कुछ लोगों एवं धार्मिक संगठन ने पुलिस पर दबाव बनाना शुरू कर दिया गया था। जिस वजह से पुलिस ने शहर के चार युवकों करण चौधरी, अफजल, शाहनवाज, धर्मेंद्र शर्मा पर कार्रवाई करते हुए जेल निरुद्ध करवाकर कुछ लोगों के क्षणिक आक्रोश को फ्रीजर में डाल दिया। उसके बाद मामला पूरी तरह से ठंडा पड़ गया और क्रिकेट सट्टे का व्यवसाय पहले की तरह शुरू हो गया।
बतलाया जा रहा है कि करण चौधरी की तरफ से प्रदेश के नामी-गिरामी अधिवक्ता भादुड़ी के द्वारा पैरवी की गई। माननीय उच्च न्यायालय ने अधिवक्ता भादुड़ी के तर्कों को मानते हुए चारों युवकों की जमानत अर्जी स्वीकार कर ली। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कुछ लोगों के द्वारा जमानत अर्जी पर आपत्ति दर्ज करवाई थी किंतु विद्वान न्यायाधीश ने आपत्ती को अस्वीकार करते हुए जमानत देने के आदेश जारी कर दिए। जो रायगढ़ आ चुका है और आज शाम को चारों युवकों को संध्या 5:50 पर जेल से बाहर कर दरवाजा अंदर से बंद कर लिया गया।
यदि कोई इंसान किसी का पैसा उधार लग रहा है तो सामने वाले के द्वारा रुपए वापसी के लिए तगादा मारने पर कोई आत्महत्या क्यों करेगा ? उसके द्वारा पुलिस से मदद ली जा सकती है। यदि उधार की रकम दो नंबरी ना हो तो, अगर ऐसे ही लोग तगादा के कारण आत्महत्या करने लग जाए तो आधी दुनिया तगादे से परेशान होकर आत्महत्या कर लेगी और आधी दुनिया आत्महत्या के लिए प्रेरित करने की खातिर जेल में बंद हो जाएगी। पूरी दुनिया लेनदेन के व्यवसाय पर चल रही है।









