💣 टिल्लू शर्मा ✍️ टूटी कलम रायगढ़ छत्तीसगढ़ जी हां समाचार का शीर्षक पढ़कर जरूर अटपटा सा महसूस होगा परंतु आने वाले समय का सच शायद यही होगा क्योंकि पुलिस की पहचान आरक्षक के रूप में होती है ना कि अधिकारियों के रूप में, गली मोहल्ले,चौक चौराहों पर तैनात आरक्षको को देखकर बच्चे भी बोल पड़ते हैं कि पुलिस वाले खड़े है। सन 2000 14- 15 के बाद पुलिस महकमे में आरक्षक पदों की भर्तियां नहीं हो पाई है. लेकिन पुलिस के नियमानुसार 7 वर्षों में पदोन्नतियां मिलने पर कांस्टेबल हेड कांस्टेबल बन गए, हेड कांस्टेबल एएसआई बन गए, एएसआई सब इंस्पेक्टर बन गए, सब इंस्पेक्टर टीआई बन गए, टी आई डीएसपी बन गए। समय-समय पर पुलिस विभाग की नौकरियां करते करते कर्मचारी सेवा निवृत होते जा रहे हैं परंतु उनके स्थान पर किसी अन्य की नियुक्तियां नहीं हो पा रही है। जिस वजह से पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश में पुलिस बल की अत्यंत कमी देखी जा रही है। पुलिस के सभी विभाग में आरक्षकों की कमी से पूरे प्रदेश की कानून व्यवस्था छिन्न-भिन्न होते जा रही है। जिला मुख्यालयो के थानों तक में बल की कमी की वजह से अपराधी पनप रहे हैं और अपराध गति पकड़ रहे हैं।
साउथ इंडियन फिल्म के हीरो की तरह होंगे छत्तीसगढ़ के पुलिस वाले आमतौर पर दक्षिण भारत की फिल्मों में एक साधारण से पुलिस इस्पेक्टर पर पूरी फिल्म में यह दिखलाया जाता है कि इंस्पेक्टर ना अपने अधिकारियों की सुनता है और ना ही किसी नेता के सामने झुक कर कार्य करता है। तमिल फिल्मों में स्पेक्टर सब कुछ करने योग्य पात्र होता है वह ड्राइवर भी होता है विवेचक भी होता है पायलट भी होता है तैयार आज भी होता है और माफियाओं के अड्डों पर जाकर अकेला तहस-नहस कर देने वाला भी होता है। शायद इसी तरह के दिन छत्तीसगढ़ पुलिस के आने वाले हैं की पुलिस के अधिकारियों को घटनास्थल पर जाकर विवेचना करनी पड़ सकती है और उनके द्वारा ड्राइविंग भी स्वयं के द्वारा की जा सकती है। चोरी, छेड़छाड़, डकैती, राहजनी, लूट,हत्या आदि सभी मामलों की विवेचना पुलिस के आला अधिकारियों के द्वारा करनी पड़ सकती है क्योंकि घटते क्रम में पुलिस विभाग आरक्षक विहीन बन जाएगा पोस्टमार्टम करवाने, चिकित्सा जांच करवाने, आदि सभी में अधिकारियों को जाना पड़ सकता है।
जिन युवकों को आरक्षक बनना था वे अब अपराधी बन रहे हैं बच्चों के मन में चाह होती है कि वह बड़ा होकर पुलिसवाला बनेगा और लोगों के साथ मारपीट कर अपना सिक्का जमाएगा, किंतु गत कई वर्षों से पुलिस विभाग में आरक्षको की भर्तियां नहीं हो पा रही है। जिस वजह से आरक्षक बनने का ख्वाब पाले युवक अपना कदम अपराध की दिशा में बढ़ा रहे हैं क्योंकि पुलिस बल की कमी होने से उन पर किसी भी किस्म की आंच नहीं आ सकती एवं पुलिस बनकर जो दबंगई वह करना चाहते थे वह अब अपराधी बनकर कर रहे हैं।







