
💣 टिल्लू शर्मा ✍️ टूटी कलम रायगढ़ छत्तीसगढ़ कंप्यूटर क्रांति लोगों के लिए जितनी सुविधाजनक है उतनी ही कष्टदायक है। देश में बढ़ते साइबर अपराध इसी क्रांति का दुष्परिणाम है। मोबाइल एवं कंप्यूटर के एक बटन के उपयोग से ही बहुत कुछ उलटफेर किया जा सकता है। कंप्यूटर बनाने वाले एवं संचार क्रांति लाने वाले ने भी यह नहीं सोचा होगा कि इसका उपयोग दुरुपयोग में ज्यादा इस्तेमाल किया जाने लगेगा। महानगरों एवं बड़े शहरों मैं बकायदा कॉल सेंटर के जरिए अच्छे खासे पढ़े लिखे को भी चुटकी में मूर्ख बना दिया जाता है और उसके द्वारा संचित की गई धनराशि को मिनटों में ही अन्य खातों में ट्रांसफर कर दिया जाता है। धोखा घड़ी हेरा फेरी करने के लिए शहद जैसी मीठी आवाज वाली कन्याओं का सहारा लिया जाता है क्योंकि कन्याओं की आवाज सुनकर अच्छे-अच्छे विश्वामित्रों का भी ध्यान भटक जाता है और वह धूर्त चालाकी चालबाजी वाली मीठी आवाज वालियों के सपने में खोकर अपने दिमाग में गोबर भर लेता है। उसका दिमाग तब ठिकाने आता है जब उसे मालूम चलता है कि उसके बैंक अकाउंट की सारी रकम किसी अनजान व्यक्ति के खाते में ट्रांसफर हो चुकी है। जिसके बाद उसकी सारी उम्मीदें पुलिस पर टिक जाती है परंतु साइबर ठगी करने वाले पुलिस से कई हाथ आगे रहते हैं। यदा-कदा पुलिस के द्वारा साइबर ठाकुर को पकड़ा जाता है किंतु लोगों से की गई ठगी की रकम निकलवाने में पुलिस भी नाकाम रहती है।

एक ऐसा ही दिलचस्प वाकया सामने आया है की किसी अज्ञात तत्व के द्वारा रायगढ़ कलेक्टर रानू साहू के द्वारा दिए गए आदेश की मूल प्रति में काट छांट करते हुए रायगढ़ जिले में वायरल कर दिया गया। जब संबंधित लोगों के द्वारा उक्त आदेश की पुष्टि करनी चाही तब जाकर या भेद खुला की कलेक्टर के द्वारा आदेश कुछ और दिए गए थे और अज्ञात तत्वों के द्वारा आदेश मैं काट छांट कर पूरा विषय ही बदल डाला था। अब यह जरूरी हो गया है कि इस बात का पता लगाया जाए कि आखिर किसके द्वारा कलेक्टर के आदेश को मिटा कर अपना आदेश जारी कर दिया था। इस तरह का कार्य एक गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। जिसका पता लगाकर आरोपी को सजा दिलवाना जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन के लिए नितांत आवश्यक है ताकि भविष्य में कोई अन्य तत्व इस तरह के सरकारी आदेश की धज्जिया ना उड़ा सके।











