🎤 टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम रायगढ़ छत्तीसगढ़.. 29 मई को हमारा देश इतिहास लिखने जा रहा है। इस दिन मेक इन इंडिया संसद भवन का विधिवत उद्घाटन होना है। देश की 138 करोड़ जनता चाहती है कि उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर मोदी के हाथों से होना चाहिए। 138 करोड़ लोगों ने सांसदो को जितवाकर प्रत्यक्ष रूप से नरेंद्र मोदी को चुन कर दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में सत्ता की बागडोर सौंपी है एवं 2024 में तीसरी बार नरेंद्र मोदी को ही प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहती है।
पुराने संसद भवन का निर्माण सन 1927 में 83 लाख रुपया खर्च कर अंग्रेजों ने बनवाया था. जिसका उद्घाटन वॉइस राय के द्वारा किया गया था उस समय संसद भवन को काउंसलिंग हाउस कहा जाता था. उद्घाटन समारोह में स्वर्गीय मोतीलाल नेहरू अतिथि के रूप में उपस्थित हुए थे। 1947 में देश आजाद होने के बाद आज तक अंग्रेजो के द्वारा बनाए गए इसी भवन में संसद के कार्य होते रहे हैं एवं संसद- राज्यसभा सत्र इसी भवन में होते रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इच्छा थी कि अंग्रेजो के द्वारा बनाए गए इस भवन को छोड़कर “मेक इन इंडिया” सांसद भवन में सदन के कार्य होने चाहिए. जिसके लिए सन 2020 में संसद भवन की नीव रखी गई जो अब बंद कर तैयार हो चुका है और उसका उद्घाटन किया जाना बाकी है। नरेंद्र मोदी के हाथों उद्घाटन किए जाने का विरोध पूरा विपक्ष 21 दलों सहित कर रहा है परंतु यदि तुलनात्मक दृष्टि से देखा जाए तो भाजपा का पलड़ा 21 दलो पर भारी पड़ रहा है. पूरा विपक्ष नरेंद्र मोदी के हाथों से उद्घाटन करने का विरोध कर राजनीति अस्थिरता पैदा कर रहा है। इसके लिए विपक्ष के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है जिसमें औचित्यहीन तर्कों का सहारा लिया गया है। जब जब देश में बड़े कामों पर बात आती है तो पूरा विपक्ष एक होकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर देता है। राजनीति ज्ञानियों का कहना है कि यदि सारे कार्य में सुप्रीम कोर्ट की अनुमति ली जाती है तो देश में चुनाव करवाने का क्या औचित्य रह जाता है।
क्या संसद भवन का उपयोग केवल मोदी के द्वारा ही किया जाएगा. सबसे बड़ा सवाल यह है कि भारत सरकार के पैसों से निर्मित नए संसद भवन का निर्माण क्या मोदी ने अपने उपयोग करने के लिए करवाया है। इसका उपयोग पक्ष विपक्ष से चुनकर आए सांसद एवं राज्यसभा सदस्य कर सकेंगे। यदि भविष्य में केंद्र में भाजपा की सरकार नहीं आएगी तो इसका उपयोग क्या विपक्ष के द्वारा नहीं किया जाएगा। 1200 करोड़ रूपया खर्च कर मोदी सरकार के द्वारा देश को एक बहुमूल्य चीज सौपी जा रही है। जो राष्ट्र की संपत्ति है और भारत का गौरव भी है।