🎤टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम रायगढ़ छत्तीसगढ़ राज परिवार ने चक्रधर समारोह पर लगे ग्रहण को देखते हुए अपनी इज्जत बचाने के लिए सही फैसला लिया है। वैसे भी पिछले कई वर्षों से चक्रधर समारोह नहीं हो रहा है। जिस वजह से राज्य सरकार के करोड़ों रुपए बच रहे हैं एवं बंदरबांट नहीं हो पा रही है। चक्रधर समारोह की अपेक्षा राष्ट्रीय रामायण का कार्यक्रम किया जाना चाहिए राष्ट्रीय रामायण कार्यक्रम को लेकर जनता के मन में कांग्रेश के प्रति विश्वास बढ़ा है। राष्ट्रीय रामायण कार्यक्रम होने की वजह से भाजपा के द्वारा प्रभु श्रीराम पर जो हक जताया जा रहा था। उस पर भूपेश बघेल ने पूरा पानी फेर दिया। चक्रधर समारोह में खाली पड़ी दर्शकों की कुर्सियां कार्यक्रम की सफलता नहीं है। वही राष्ट्रीय रामायण में खचाखच दर्शकों से भरा मैदान ने इतिहास रच डाला है। पूर्व कलेक्टर रानू साहू के द्वारा सन 2022 के नवंबर या दिसंबर माह में चक्रधर समारोह करवाने की बातें मीडिया के सम्मुख कहीं गई थी परंतु नवंबर दिसंबर में चक्रधर समारोह आयोजन समिति के द्वारा किसी भी तरह की पहल नहीं की गई इस वजह से समारोह आयोजित नहीं किया जा सका था। इस साल राज परिवार के कुंवर भानु प्रताप सिंह का निधन हो जाने की वजह से राज परिवार चक्रधर समारोह करवाने के पक्ष में नहीं है और यदि पक्ष में होंगे तब भी आगामी विधानसभा चुनाव की वजह से आयोजन किया जाना संभव ना हो पाएगा। भाजपा के जो लोग आज चक्रधर समारोह करवाने की बातें कह रहे हैं। वे ही कल इस समारोह परअंगुलिया उठाते हुए कांग्रेस का कार्यक्रम बतलाने से पीछे नहीं हटेंगे।
चक्रधर समारोह को रायगढ़ की पहचान बतलाने वाले इतना जान ले की रायगढ़ की पहचान सुर, ताल, छंद, अलंकार,नृत्य नाटिका, ता थई, तत तत, वीणा वादन, बांसुरी वादन, तबला ढोलक कि थाप, शास्त्रीय संगीत, आदि से नहीं है। रायगढ़ की पहचान एक विकासशील शहर,धनाढ्य नगरी, लोहा कोयला विद्युत उत्पादन की वजह से है एवं ईडी की छापेमारी रायगढ़ शहर को एक नई ऊंचाइयों पर लाकर खड़ा कर दिया है। देश के प्रसिद्ध उद्योग घरानों टाटा, बिड़ला ,जिंदल, अदानी, अंबानी आदि सभी की निगाहें रायगढ़ जिले की कोयले की खदानों पर जमी रहती है। रायगढ़ में उत्पादित रेल की पटरियां विदेशों तक जाती है एवं उत्पादित बिजली देश के कई प्रदेशों को दी जाती है। इन कारणों से रायगढ़ जिले का नाम राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं अपितु अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाना पहचाना जाता है।
रायगढ़ कला एवं संस्कृति की नगरी नाम मात्र की रह गई है। बदलते समय के साथ रायगढ़ एक औद्योगिक नगरी बन चुकी है। रायगढ़ का व्यवसाय बहुत ऊंचाइयों पर जा पहुंचा है। मल्टीनेशनल ब्रांडो के बड़े बड़े शो रूम खुल चुके है। छोटे बड़े उद्योगों की भरमार हो गई है। शहर की सीमाओं के चारों तरफ बड़े बड़े वाहनों की रेलम पेल लगी हुई है। देश के सभी प्रांतों से लोग आकर यहां पर अपना घर परिवार पालने का साधन आसानी से जुटा लिए हैं और रहे हैं। रायगढ़ के स्थानीय लोग अपनी पहचान दिनोंदिन होते जा रहे हैं। जिसका कारण है कि रायगढ़ शहर महानगर बनने की दिशा में चल रहा है। राजगढ़ जिले की राजनीति भी बाहरी लोगों के आने एवं उनके मतदाता बन जाने की वजह से अनिश्चितता की स्थिति में आ चुकी है।









