🌀टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम रायगढ़ …. रायगढ़ के राजनीतिक पटल पर छाये कुहासे के बादल छा गए. पिछले माह से यह लग रहा था कि भाजपा पार्षदों के द्वारा लाया गया महापौर के प्रति अविश्वास प्रस्ताव बहुमत से पास हो जाएगा. कल जब मोदी जी की आमसभा में सारे भाजपाई जूटे हुए थे। वही रायगढ़ के कांग्रेसी विधायक प्रकाश नायक ने भाजपा में सेंधमारी करते हुए एक पार्षद पुष्पा निरंजन साहू को रायपुर ले जाकर कांग्रेस करवा कर भाजपा की रीड तोड़ दी। 21 पार्षदों वाली भाजपा के पास 20 पार्षद रह गए। जिनमे से दो पार्षद गधे के सिंग की तरह से गायब हो गये। अविश्वास प्रस्ताव को समर्थन देने भाजपा के केवल 18 पार्षद ही उपस्थित हो पाए एवं जो दो पार्षद अनुपस्थित रहे उनको विधायक प्रकाश नायक का करीबी माना जाता है। कोरम पूरा न होने की वजह से भाजपा के द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव कलेक्टर की रद्दी की टोकरी में चला गया।
प्रकाश नायक ने सधी हुई राजनीति कर अपने विरोधियों का मुंह बंद कर दिया.. जिन लोगों के द्वारा प्रकाश नायक को अलोकप्रिय बनाने एवं उनकी टिकट कटवाने की भरपूर कोशिश की जा रही है। उन सभी के मुंह प्रकाश नायक की सधी हुई रणनीति की वजह से स्वतः बंद हो गए. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की नजरों में प्रकाश नायक की छवि बहुत ज्यादा बढ़ गई है. इसलिए कांग्रेस से टिकट की मांग करने वालों को चुपचाप कांग्रेस के प्रचार करने में जुट जाना चाहिए. प्रदेश कांग्रेस हाई कमान की सूची में प्रकाश नायक का स्थान एक से लेकर 10 तक का बन गया है. नायक की इस रणनीति की वजह से भाजपा संगठन में खलबली मच गई। प्रकाश नायक के विरुद्ध में भाजपा की टिकट से चुनाव लड़ने वालों के होश फाख्ता हो गए हैं.
जयंत ठेठवार और विधायक को लेकर भाजपाई असमंजस में फंसे रह गए.. रायगढ़ नगर पालिका निगम के सभापति जयंत ठेठवार एवं रायगढ़ विधायक प्रकाश नायक लोगों की नजरों में एक दूसरे के कट्टर प्रतिद्वंद्वी माने जाते हैं. जबकि जय वीरू की जोड़ी माना जाना चाहिए. रायगढ़ की राजनीति में विधायक प्रकाश नायक का पैसा और जयंत ठेठवार का चाणक्य रूपी दिमाग 24 घंटे सक्रिय रहता है. जब जब किसी ने भी इन दोनो को अलग-अलग समझने की गलतियां की गई है. तब तब इन्होंने विपक्षियों को बैक फुट पर ला दिया है.
अब तेरा क्या होगा कालिया. अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में अनुपस्थित दो पार्षदों पर भाजपा संगठन क्या कार्रवाई करती है इस पर जनता की निगाह टिकी हुई है. विधानसभा चुनाव के ठीक पूर्व भाजपा पार्षदों के द्वारा पीठ दिखला देना शुभ संकेत नहीं माना जा रहा है. भाजपा के द्वारा यह चिख चिख कर कहा जाता है कि उनके कार्यकर्ता और सदस्य टूटने वालों में से नहीं है. मगर उनका चीखना —चिल्लाना सब जनता के सामने आ गया.