🌀टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम रायगढ़ … गणेश चतुर्थी के रोग सुबह 8:30 बजे एक्सिस बैंक ढीमरापुर रोड रायगढ़ में हुई 5 मार्च करोड़ 62 लाख रुपए की हुई संदिग्ध डकैती से बैंक प्रबंधन पर कई प्रश्न वाचक चिन्ह लग गये है। जिनका जवाब पुलिसिया पूछताछ के तरीकों से प्राप्त हो सकता है। डकैती के तरीके को देखकर यह नहीं लगता है की डकैत पेशेवर रहे होंगे क्योंकि बगैर घातक हथियारों के इतने बड़े कांड को अंजाम देना नौसिखिए या परिचित लोगो के द्वारा ही संभव हो सकता है। ना फायरिंग हुई,न रिवाल्वर,कट्टे निकाल कर लहराए गए और न कोई गंभीर रूप से घायल हुआ और इतनी बड़ी रकम जेवर की डकैती हो गई।
घटना क्रम में यह बात स्पष्ट हो रही है की डकैतों को कोई हड़बड़ी चिंता फिकर नही थी। वे बैंक के बाहर बैठे बैंक खुलने का इंतजार कर रहे थे। बैंक कर्मचारियों के अंदर घुसते ही वे भी पीछे पीछे घुसकर छोटे से सब्जी काटने वाले चाकू जैसी चीज से सबको कवर करके एक कमरे में बंद करते हैं और फिर लाकर की चाबी लेकर नगदी एवं जेवर को बैगों में भरकर बड़ी आसानी और इत्मीनान से बैंक के बाहर खड़ी मोटर साइकिल में ला ला कर लादते है और बहुत कम गति से मोटर साइकिल चलाते हुए निकल जाते हैं। ना कोई शोर शराब, ना कोई हल्ला गुल्ला, और डकैती 5. 5 करोड रुपए से ऊपर की।
जब भी कोई प्रतिष्ठान, बैंक, ऑफिस,आदि सुबह खोले जाते हैं तो सबसे पहले साफ सफाई के बाद सब व्यवस्थित किया जाता है उसके बाद गतिविधियां संचालित की जाती है। बगैर साफ सफाई, सुचारु व्यवस्था किए कोई भी बैंक नही खुलता है। सबसे आश्चर्य का विषय तो यह है की सुबह 8:30 बजे किस शहर का किस देश का बैंक खुला जाया करता है।
डकैत रायगढ़ जिला से बाहर नहीं निकल पाए होंगे… डकैतों के सुस्ती भरी डकैती करने के अंदाज से लग रहा है कि डकैत क्षण मात्र की हड़बड़ी में नहीं थे। उनका लोकेशन शहर से सटे गांव गेजामुड़ा पाया गया था। जबकि गेजामुड़ा गांव शहर वासी भी बगैर पूछे नहीं पहुंच सकते हैं। इससे अंदाजा लगता है कि डकैतों ने भागने के लिए जो मार्ग चुना है। उनके द्वारा वह मार्ग भली भांति देखा भाला गया होगा और निकट के गांवो में उनके कोई रिश्तेदार रहते होंगे। जहां जाकर उन्होंने शरण ले ली होगी। जिंदल उद्योग के कारण आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में दिगर प्रांतों से आए हुए लोग बहुतायत निवास करते हैं। इस वजह से यह संभावना बलवती हो जाती है कि डकैत रायगढ़ की सीमा से बाहर नहीं निकले होंगे। उन्हें इंतजार होगा पुलिस कार्रवाई ठंडी पड़ने का मगर डकैतों को पकड़ना पुलिस के लिए चैलेंज के समान है.
फर्नीचर दुकान में लगे सीसीटीवी कैमरे मददगार साबित हुए… कितने डकैत आए ? कैसे आए ? किसमें आए ? किस तरह गए उनकी एक-एक हरकत बैंक के सामने स्थित फर्नीचर दुकान में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। बतलाया जा रहा है कि बैंक के बाहर लगे कैमरे खराब हो गए है। जिन्हें बनवाने की आवश्यकता बैंक प्रबंध महसूस नहीं करता है। ना ही बंदूकधारी गार्डों की आवश्यकता बैंको द्वारा महसूस की जाती है। जबकि उनका वेतनमान बैंको के प्रधान कार्यालय से स्वीकृत रहता है।