🌀 टिल्लू शर्मा ✒️ टूटी कलम रायगढ़ … रायगढ़ जिले की चार विधानसभाओं का नामांकन भाजपा प्रत्याशियों के द्वारा सामूहिक रूप से दाखिल किया गया. शायद इस वजह से की इसी बहाने शक्ति प्रदर्शन कर अपनी ताकत बतलाई जा सके. रामलीला मैदान से भाजपा अभ्यर्थियों की निकलने वाली रैली लेकर जिस तरह की मन में आशाएं कल्पनाएं थी वह पूरी तरह से कोरी साबित हुई क्योंकि शहर वासियों को भाजपा के कद्दावर नेता पूर्व विधायक विजय अग्रवाल , पूर्व विधायक स्वर्गीय रोशन लाल अग्रवाल के द्वारा निकाले जाने वाले रैली की आदत पड़ चुकी है. पिछले चुनाव के समय स्वर्गीय रोशन लाल अग्रवाल के द्वारा निकाली गई रैली को लेकर लोग आज भी बात किया करते हैं. उस समय भीड़ का यह आलम था की शहर की सभी गलियों से जन मानस जन सैलाब के रूप में उमड़ पड़ा था. जितने लोग रैली में शामिल हुए थे उसते लोग तो प्रतिदिन निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे विजय अग्रवाल के चुनावी कार्यालय में बैठे रहा करते थे.
बलवीर शर्मा शामिल हुए भाजपा में.. किसी समय छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय अजीत जोगी एवं रेणु जोगी के सबसे खासम खास समझे जाने वाले एवं जोगी के घर में रसोई तक में प्रवेश रखने वाले बलवीर शर्मा जो कई दशकों से कांग्रेस के कद्दावर नेता माने जाते रहे हैं. रायगढ़ से लेकर दिल्ली तक के सभी कांग्रेसी नेता बलवीर शर्मा को बकायदा नाम से जाना पहचाना करते है. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सदस्य स्वर्गीय अजीत जोगी को रायगढ़ सांसद के लिए बलबीर शर्मा ने ही रायगढ़ से चुनाव लड़ने के लिए राजी किया था. राजनीति के चाणक्य अजीत जोगी ने भांप लिया था कि देर सबेर मध्य प्रदेश के अलग कर छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण होना है. इसलिए अजीत जोगी ने केंद्र की राजनीति छोड़कर प्रदेश की राजनीति शुरू कर दी ताकि वे छत्तीसगढ़ के इतिहास में प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में अजर अमर रह सके. बलवीर शर्मा पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के समय से कट्टर कांग्रेसी के रूप में जाने पहचाने जाते हैं. जिसका फायदा उन्हें मिला और नेहरू युवा केंद्र के रायगढ़ जिले के समव्यक पद पर उनकी नियुक्ति की गई. वे सरकारी नौकरी भी करते रहे और कांग्रेस,अजीत जोगी,का समर्थन भी करके रहे. जिसका विरोध करने का साहस कोई नहीं जुटा सका. कांग्रेस के कद्दावर नेता “असलम शेर खान से” इनके व्यक्तिगत पारिवारिक संबंध रहे हैं. कांग्रेस राज में शर्मा ट्रांसपोर्ट कंपनी की गाड़ियां रोकने की हिम्मत प्रदेश पुलिस की नही थी. किसी की नौकरी लगवाना, ट्रांसफर करवाना, निलंबित करवाना प्रमोशन करवाना यह सब बलवीर शर्मा के बांए हाथ के खेल थे. जोगी के संकट काल के दौरान इन्होने जोगी को मझधार में छोड़ दिया था. जबकि इनके द्वारा रावतपुरा सरकार को राज्य अथिति का दर्जा जोगी के द्वारा दिलवाया गया था. मगर अब शर्मा ने भाजपा की सदस्यता ले ली है। इसलिए आने वाले समय में शर्मा को कांग्रेस भाजपा दोनों में सम्मान मिलना असंभव हो चला है.
गोपिका गुप्ता ने किया नामांकन दाखिल,भाजपा से बगावत का बिगुल फूंका.. पिछले 20 वर्षों से भाजपा का झंडा थामे पार्टी की कद्दावर महिला नेत्री कोलता समाज से बिलॉन्ग करने वाली “गोपिका गुप्ता” के मन में भाजपा से टिकट पाकर चुनाव लड़ने की मंशा बना रखी थी। इस वर्ष उन्हें टिकट मिलने की आशा की क्योंकि रायगढ़ शहर के तमाम भाजपा नेता फिसड्डी साबित हो गए थे. बीच इसी बीच खरसिया विधानसभा से पिछला चुनाव हार चुके ओपी चौधरी अपनी टिकट लाने में सफल रहे जिस वजह से गोपिका गुप्ता को काफी आघात लगा और उन्होंने निर्जला प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़कर भाजपा को हराने का मन बना लिया इसलिए उन्होंने बगावती तेवर अपनाते हुए ओपी चौधरी के विरोध में ताल ठोक दी. कारण से भाजपा में बवंडर सा खड़ा हो गया और गोपिका गुप्ता को मनाने के लिए उच्च स्तरीय प्रयास किए जाने लगे किंतु का किसी के प्रलोभन बहकावे में ना आते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया. अभी नामांकन पत्र वापस लेने का समय शेष है. यदि वे किसी के दबाव में आकर नामांकन पत्र वापस ले लेती है तो उनके समर्थकों की नाराजगी होना निश्चित है और चुनाव के पश्चात उनका भाजपा से निष्कासन होना भी सुनिश्चित है इसलिए गोपिका को चाहिए कि वह चुनाव लड़कर निष्कासित हो जाए. गोपिका गुप्ता के पास पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह का फोन आने का समाचार है. अगर गोपिका गुप्ता डॉक्टर रमन सिंह की बात मानकर अपना नामांकन वापस ले भी लगी तो उनकी उनके क्षेत्र में खूब फजीहत होगी और निष्कासन भी होगा. यह भी तय है. अगली बार उनका जिला पंचायत सदस्य बनना भी मुश्किल होगा.
व्यवसायई शंकर लाल अग्रवाल ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस को चुनौती दे डाली… सरायपाली बसना के व्यवसायई शंकर लाल अग्रवाल ने रायगढ़ आकर अपने व्यवसाय के साथ कांग्रेस संगठन में अपनी पैठ बनाना शुरू कर दी. धन बल के जोर पर उन्होंने समर्थक और मीडिया को अपनी और आकर्षित करना शुरू कर दिया. मीडिया ने शंकर लाल अग्रवाल को इतना ज्यादा हाईलाइट कर दिया कि वह स्वयं को रायगढ़ का विधायक समझने लगे और कांग्रेस के वर्तमान विधायक प्रकाश नायक तक को चुनौती देने से पीछे नहीं रहे. शंकर ने सरिया कुछ और क्षेत्र की कीर्तन मंडलियों, कर्मा पार्टियों को टारगेट करना शुरू किया और उन्हें उनका रजिस्ट्रेशन करवाने का प्रलोभन देकर अपनी और आकर्षित करना शुरू कर दिया. नामांकन पत्र दाखिल करने से एक दिन पूर्व शंकर ने किसी सफेद के फार्म हाउस में कीर्तन, कर्मा वालो को भोज करवाए जाने के पुष्ट समाचार है. शंकर के नामांकन दाखिल करने के समय कीर्तन,कर्मा वाले उपस्थित रहे.
मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को देखने सुनने उड़ीसा से लोग आए थे.. ओके चौधरी के नामांकन रैली के समय यह देखने को मिला कि पड़ोसी प्रांत उड़ीसा के बेलपहाड़, ब्रजराजनगर, झारसुगुड़ा, क्षेत्र से बहुतायत लोग अपने प्रदेश के नेता धर्मेंद्र प्रधान को देखने सुनाने आए थे। जिस वजह से ओ पी चौधरी की रैली में कुछ भीड़ भाड़ दिखी. यदि उड़ीसा के लोग लोग शामिल नहीं होते तो रैली कितनी बड़ी होती इसे समझदार लोग समझ सकते हैं.








