🌀टिल्लू शर्मा ✒️ टूटी कलम रायगढ़ … ओ पी चौधरी का रायगढ़ विधानसभा से चुनाव लड़ना भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए सर दर्द बन रहा है. भाजपा कार्यकर्ता ओ पी के समर्थक, जिस गली मोहल्ले गांव में ढोल बाजे के साथ जाकर ओ पी को माला पहनाकर उनको भाजपा का प्रत्याशी बताते हुए मतदाताओं से कमल निशान पर बटन दबाने की बात कहते है। तो लोगो की निगाहे कुछ खोजने लगती है और अंततः वे पूछते है की वोट किसको देना है । तब ओ पीके साथ चल रहे समर्थकों के द्वारा इशारा करके बतलाया जाता है। जिस पर लोगों के द्वारा पूछा जाता है कि ये कहां रहते हैं ? इससे पहले हमने कभी इन्हें देखा ही नहीं है। तब भाजपा कार्यकर्ताओं के द्वारा बताया जाता है ये ओ पी चौधरी है जो पूर्व में कलेक्टर रह चुके हैं और जनता सेवा के लिए त्यागपत्र देकर राजनीति में कूद पड़े हैं. सब लोगों के द्वारा पूछा जाता है कि आखिर किस कारण से इन्होंने त्यागपत्र दिया ? क्या जनप्रतिनिधि कलेक्टर से ज्यादा प्रभावशाली होता है ? कलेक्टर पूरे जिले का राजा होता है जो जिला दंडाधिकारी होता है. कलेक्टर के हाथ में पूरा शासन होता है. कलेक्टर रहते हुए जन सेवा अधिक अच्छे से की जा सकती थी. छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी कलेक्टर छोड़कर राजनीति में कदम रखा था और क्यों रखा था ? इसे सब जानते हैं.
विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में ओ पी चौधरी को प्रत्याशी के रूप में पेश करने में काफी दिक्कत भाजपाई उठा रहे है. ग्रामीण कहते है की ये ओ पी चौधरी कौन है ? इससे पहले हमने इन्हे गांव में देखा ही नहीं है ? तब गांव वालों को पूरा बताना पड़ता है इनका नाम ओमप्रकाश चौधरी है. जो खरसिया विधानसभा क्षेत्र नंदेली से सटे हुए ग्राम बायंग के निवासी है. जो 2018 का पिछला चुनाव रायगढ़ जिले के लाडले स्वर्गीय नंदकुमार पटेल के नंदन उमेश पटेल से खरसिया विधानसभा से चुनाव हार चुके हैं और इस बार रायगढ़ विधानसभा से जीतना चाह रहे है.
मतदाता कहते हैं इन्हें मतदान करने से क्या फायदा होगा क्योंकि रायगढ़ विधानसभा के निवासी न होकर खरसिया विधानसभा के निवासी है. इसलिए हम अपना वोट अपने क्षेत्र के प्रत्याशी को ही देंगे. जो कार्य पड़ने पर सहज उपलब्ध हो सकता है. जिसके घर एवं कार्यालय आसानी से जा सकते हैं। ओ पी चौधरी को हम लोग कहां खोजते फिरेंगे.







