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🛑टिल्लू शर्मा ✒️ टूटी कलम न्यूज 🎤 रायगढ़… छत्तीसगढ़ से कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशियों की सूची रुकी हुई थी जिसे कल जारी कर दी गई. रायगढ़ से सारंगढ़ गिरी विलास पैलेस की राजकुमारी मेनका देवी सिंह को कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी घोषित किया है. मेनका देवी सिंह का नाम आते ही जिला कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी कार्यकर्ता सकते में आ गए. कांग्रेसी पदाधिकारी मीडिया से फोन लगाकर पूछते पाए गए की यह मेनका देवी सिंह कौन है ? इनके द्वारा पिछले 30 वर्षों में कांग्रेस के लिए क्या कार्य किया गया है जिस वजह से इनका टिकट दे दी गई ? किसी समय जब छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश में हुआ करता था तब अर्जुन सिंह के समय सामंती राज चलता था. उस समय रायगढ़ जिला सारंगढ़ से लेकर जशपुर तक एक हुआ करता था. उस समय जिले की राजनीति कृष्णा सा मिल से ठाकुर बंधुओ स्व.जगतपाल सिंह,पृथ्वी पाल सिंह के कदमों तले घूमा करती थी. रायगढ़ जिले के आला अधिकारी कलेक्टर पुलिस अधीक्षक कृष्ण शामिल में रोजाना हजार हाजिरी बजाने जाया करते थे. सारंगढ़ से लेकर जशपुर तक की विधानसभाओं के टिकट स्वर्गीय ठाकुर जगतपाल सिंह के हस्ताक्षर के बाद ही तय की जाती थी. किसी समय रायगढ़ लोकसभा की प्रत्याशी पुष्पा देवी सिंह हुआ करती थी जो ठाकुर बंधुओ के आशीर्वाद की वजह से तीन बार सांसद चुनी गई थी. मदर सन 1998 में स्वर्गीय राजीव गांधी के द्वारा छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री स्वर्गीय अजीत जोगी को रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र से चुनाव में उतारा था और अजीत जोगी रायगढ़ से सांसद निर्वाचित हुए थे. जिसके बाद से सारंगढ़ राजमहल गिरी विलास पैलेस की राजनीति पर पूर्ण विराम लग गया था.
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद कांग्रेस एक बार भी चुनाव नहीं जीत पाई है

Chhattisgarh: रायगढ़ लोकसभा सीट पर बीजेपी का रहा है दबदबा, छत्तीसगढ़ गठन के बाद कांग्रेस आज तक नहीं खोल पाई खाता
Raigarh News: छत्तीसगढ़ बनने के बाद कांग्रेस आज तक रायगढ़ लोकसभा सीट पर चुनाव नहीं जीत पाई है. इस सीट पर बीजेपी का लगातार दबदबा कायम है. यहां से सीएम विष्णु देव चार बार सांसद बन चुके हैं.
रायगढ़ लोकसभा सीट पर बीजेपी का दबदबा छत्तीसगढ़ की रायगढ़ लोकसभा का इतिहास काफी पुराना है. 1962 में अस्तित्व में आई रायगढ़ लोकसभा के लिए अब तक 15 बार आम चुनाव हो चुके हैं. छत्तीसगढ़ बनने के बाद आज तक इस सीट पर कांग्रेस चुनाव नहीं जीत पाई है. 1962 के बाद आज तक लोकसभा के लिए हुए आम चुनाव में बीजेपी का दबदबा रहा है. 15 बार हुए चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस 6 बार चुनाव जीती है. जबकि आठ विधानसभा वाले इस लोकसभा सीट पर बीजेपी ने 7 बार और जनता पार्टी ने 1 बार चुनाव जीता है. इसके अलावा 1962 के पहले आम चुनाव में रामराज्य परिषद ने चुनाव जीता था.
अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व रायगढ़ लोकसभा के अंदर 8 विधानसभा शामिल है. जिसमें जशपुर जिले की 3 विधानसभा और रायगढ़ जिले की 5 विधानसभा शामिल हैं. जशपुर जिले की जशपुर, कुनकुरी, पत्थलगांव विधानसभा. तो रायगढ़ जिले की लैलूंगा, धरमजयगढ़, रायगढ़, सारंगढ़, खरसिया विधानसभा शामिल है.
यहां रहा बीजेपी का दबदबा
1962 में पहली बार अस्तित्व में आई इ0स लोकसभा सीट पर 1962 में ही पहला आम चुनाव हुआ. पहले आम चुनाव उस दौर के संगठन रामराज्य परिषद के विजया भूषण सिंहदेव ने चुनाव जीता था. फिर 1967 ,1971 के दोनो चुनाव में कांग्रेस की विजिया सिंह, उम्मेद सिंह राठिया ने चुनाव जीता. 1977 के आम चुनाव में जनता पार्टी के नरहरि सिंह साईं, 1980-1984 के दो आम चुनाव में पुष्पा देवी सिंह यहां से सांसद चुनी गईं. 1989 में बीजेपी के नंद कुमार साय, 1991 में कांग्रेस की पुष्पा सिंह फिर चुनाव जीत गई. 1996 में बीजेपी के नंद कुमार साय , 1998 में कांग्रेस के अजीत जोगी ने चुनाव जीता.
रायगढ़ सीट पर बीजेपी का कब्जा
छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद अब तक लोकसभा के लिए हुए 4 आम चुनाव में रायगढ़ संसदीय सीट पर बीजेपी का कब्जा है. इस सीट पर छत्तीसगढ़ बनने के बाद 2004 में लोकसभा चुनाव हुए. जिसमें 2004, 2009, 2014, आम चुनाव में विष्णु देव साय रायगढ़ से सांसद चुने गए. इसके साथ ही छत्तीसगढ़ बनने के पहले 1999 के चुनाव में भी बीजेपी के विष्णु देव यहां से चुनाव जीते थे. मतलब आज छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु इस सीट पर अविभाजित मध्य प्रदेश के जानने से अब तक 4 बार सांसद बनने के साथ केन्द्रीय इस्पात राज्य मंत्री रह चुके हैं. विष्णु देव साय के बाद इस सीट पर 2019 से अब तक में गोमती साय सांसद हैं. साथ ही इस बार वो पत्थलगांव विधानसभा से विधायक भी चुनी गई है.
पिछले तीन चुनाव का ब्यौरा
रायगढ संसदीय क्षेत्र के लिए 2009 में हुए आम चुनाव में बीजेपी के विष्णु देव साय और कांग्रेस के हृदयराम राठिया के बीच सीधा मुकाबला था. जिसमें साय को 47.44 प्रतिशत वोट बैंक के साथ 4 लाख 43 हजार 948 वोट मिले थे और वो 55848 वोट से चुनाव जीत गए थे. इसी तरह 2014 के आम चुनाव में फिर से बीजेपी की ओर से विष्णु देव साय प्रत्याशी बनाए गए और इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस की आरती सिंह से हुआ.
इस चुनाव में भी विष्णु देव साय ने 53.16 प्रतिशत वोट शेयर के साथ कांग्रेस की आरती सिंह को 2 लाख 16 हज़ार 750 वोट के बड़े अंतर से चुनाव हरा दिया. अब बारी 2019 के आम चुनाव की थी. इस बार बीजेपी ने विष्णु देव साय को बदल कर गोमती साय को अपना प्रत्याशी बनाया. जिनका मुकाबला कांग्रेस के लालजीत सिंह राठिया से था. इस चुनाव में बीजेपी की गोमती साय ने 48.76 प्रतिशत वोट शेयर के साथ कांग्रेस प्रत्याशी को 66 हज़ार 27 वोट के बड़े अंतर से हरा दिया. इस तरह छत्तीसगढ़ बनने के बाद से अब तक कांग्रेस ने रायगढ़ सीट से जीत का स्वाद ही नहीं चखा. और बीजेपी लगाकर अजेय पारी खेल रही है.
अब क्योंकि रायगढ़ जशपुर सारंगढ़ अलग-अलग जिले बन चुके हैं. इसलिए राजनीतिक परिस्थितियां भी करवट ले चुकी है. अगर मोटे तौर पर देखा जाए तो सारंगढ़, खरसिया, लैलूंगा, धर्मजयगढ़ विधानसभाओं में कांग्रेस के प्रत्याशी चुनाव जीते हैं और रायगढ़ एवं जयपुर की तीन विधानसभाओं में भारतीय जनता पार्टी का कमल खिला है. अगर लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो रायगढ़ सारंगढ़ जशपुर जिले की आठों विधानसभाओं में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार राधेश्याम राठिया मतगणना में आगे रहेंगे. संभवत कांग्रेस किसी एक राउंड में भी आगे नहीं निकल पाएगी. रायगढ़ लोकसभा के चुनाव संचालन की जिम्मेवारी यूथ आईकॉन प्रदेश के वित्त मंत्री रायगढ़ विधायक ओपी चौधरी के हाथों में रहेगी. ओ पी चौधरी करिश्माई व्यक्तित्व के मालिक हैं. जिनके पास युवा वर्ग की बहुत लंबी चौड़ी फौज है. स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव स्वर्गीय अजीत जोगी के बाद, ओपी चौधरी ही ऐसे नेता है. वे जहां पर खड़े होते हैं. वहां स्वतः भीड़ लग जाया करती है. ओपी चौधरी जुबान के बहुत मधुर हैं जिनकी बातों से अच्छे से अच्छा बुद्धिमान व्यक्ति भी उनका कायल हो जाया करता है.