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🔱टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम 🎤 न्यूज रायगढ़ 🌍 छत्तीसगढ़ 🏹.. रायगढ़ में होने वाले शास्त्रीय कार्यक्रम तबला, संतूर, गिटार बांसुरी वादन कत्थक,कुचिपुड़ी,ओडिसी, भरतनाट्यम,सुआ नाच, आदि नृत्य के मंच को अंतरराष्ट्रीय मंच बोला जाता है जिसे चक्रधर समारोह का नाम दिया गया है. संध्या 6:00 बजे से शुरू होने वाले इस कार्यक्रम में 500 दर्शक भी उपस्थित नहीं रहते हैं. यदि शासकीय अधिकारियों,कर्मचारी पुलिस विभाग के पॉइंट ड्यूटी अधिकारी कर्मचारी को हटा दिया जाए तो संख्या 50 और 100 के बीच रहती है. ऐसे कार्यक्रम में 10 करोड रुपए खर्च कर देना कोई बुद्धिमानी का कार्य नहीं है.
सजती है नाश्ता टेबलें
10 दीनी कार्यक्रम के दौरान vvip लोगों,अधिकारियों,नेताओं, चापलूसों,चाटुकारों, लोगों के लिए प्रथम पंक्ति में सोफे के साथ नाश्ता टेबल लगा दी जाती है और उपस्थित लोगों के सामने और मंच पर अपनी कलाकारी दिखा रहे कलाकारों के सामने चाय नाश्ता करने से कलाकारो की जुबान भी स्वतः मीठी हो जाया करती है. यह देखकर शराबी पिक्चर के अमिताभ बच्चन की याद आ जाती है. जो पूरे हॉल में अकेले बैठकर शराब और चखने का सेवन करते हुए मीना जी का डांस देखते रहते हैं और मीना जी इकलौते दर्शक अमिताभ बच्चन के सामने जमकर डांस करती है.
मीडिया दीघा से आवाज आती है इधर ला इधर ला
जब कैटरिंग के वेटरों के द्वारा चाय नाश्ता पानी सर्व किया जाता है तब मीडिया दीर्घा से सबसे ज्यादा आवाज आती है और मीडिया वाले हाथ फैलाकर चिल्लाते रहते हैं इधर देना,इधर देना, इधर ला, इधर ला, एक और दे एक और दे जो अत्यंत शर्मानाक हरकत होती है. सर्व हो जाने पर इतनी बेशर्मी और गरदन उठाकर लोगों को दिखा दिखा कर खाते हैं. ताकि आम जनता उनको चलती वाला,पहुंच वाला समझने की गलती कर सके. कुछ मीडिया वाले अपना रसूख झाड़ने की खातिर मंच के पास पहुंचकर वीडियो बनाते हैं और फोटो खींचते हैं. जो किसी भी न्यूज चैनल में, न्यूज़ पोर्टल में, समाचार पत्रों में प्रसारित नहीं होते हैं. यह सब गिरी हुई,हरकत,नौटंकी अधिकारियों से परिचय बढ़ाने एवं अपना रौब झाड़ने मात्र के लिए की जाती है.
चयनकर्ताओं की होती है लंबी सेटिंग
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चक्रधर समारोह के दौरान कलाकारों को उनका मेहनताना देने से पूर्व 50-50% का एग्रीमेंट हो जाता है. जैसे की यदि किसी कलाकार को उसका पारिश्रमिक यदि 2 लाख रुपए होता है तो उसे 5 लाख का चेक देकर 3 लाख रुपए अपने खाते में ट्रांसफर करवा लिए जाते हैं. इस तरह से सरकारी ख़ज़ाने को लूटा जाता है. सूत्र यह बताते हैं कि अनेकों बार अनेक कलाकारों को कार्यक्रम की प्रस्तुति देने के उपरांत उनका पारिश्रमिक नहीं दिया गया. जिस वजह से वे कलाकार रोते,गाते, दोबारा रायगढ़ ना आने की कसम खाकर वापस चले गए.