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🏹टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम 🎤न्यूज रायगढ़ छत्तीसगढ़…. केवल 255 वोट से पत्थलगांव विधानसभा चुनाव जीती रायगढ़ लोकसभा की निष्क्रिय पूर्व सांसद आमसभा को संबोधित करते हुए जशपुरिया और रायगढ़िया में फर्क पैदा करते हुए कहती है कि वे पत्थलगांव को भाजपा का गढ़ बनाएगी. ज्ञात रहे कि गोमती साय लटपट करके चुनाव जीत चुकी है. पत्थलगांव सीट शुरू से ही कांग्रेस की रही है.यहां से वयोवृद्ध हो चुके.राम पुकार सिंह सन 2003 से अब तक हुए पंच चुनाव में तीन बार चुनाव जीत चुके हैं. पत्थलगांव विधानसभा में कांग्रेसी मतदाताओं की संख्या अधिक है. इस बार के चुनाव में अपने ही कुछ लोगों ने धोखा दे दिया जिस वजह से राम पुकार सिंह महज 255 वोटो से चुनाव हार गए थे. सांसद गोमती साय को विधायक बनने पर अपनी सांसदी छोड़नी पड़ी थी जिस की भाजपा का मास्टर स्ट्रोक कह जाना चाहिए. गोमती सहाय के विधायक बनने पर भी उन्हें किसी भी पद में नहीं रखा गया है. रायगढ़ लोकसभा की सांसद रह चुकी गोमती साय की निष्क्रियता के चर्चे भाजपा संगठन में मुद्दा बन जाया करते थे. इसलिए उन्हें बड़ी ही चतुराई से विधानसभा पत्थलगांव की सीट से चुनाव लड़वाया गया. ताकि वे चुनाव हार जाए. किंतु कांग्रेसियों की भीतरी घात की वजह से है गोमती साय चुनाव हारते हारते चुनाव जीत गई. विधानसभा में भाजपा के बहुमत आने के पश्चात यह लगने लगा था कि शायद गोमती साय को प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है. केंद्रीय गृहमंत्रीअमित शाह कुनकुरी दौरे के दौरान जनता से कहा था कि आप विष्णु देव साय को चुनाव जिताओ इसे मैं बड़ा आदमी बना दूंगा. अमित शाह ने अपना वादा पूरा करते हुए विष्णु देव साय को छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री बना दिया.मगर पूरे मंत्रिमंडल के गठन होने के पश्चात भी गोमती साय को कोई भी मंत्रालय नहीं दिया गया. इसके बाद यह लगने लगा कि शायद गोमती साय को राज्यसभा भेजा जा सकता है. रायगढ़ के देवेंद्र प्रताप को राज्यसभा भेजकर गोमती के अरमानों पर पानी फेर दिया गया. अंतिम अवसर लोकसभा चुनाव को लेकर था कि शायद गोमती को रायगढ़ लोकसभा की पुनः प्रत्याशी बनाया जा सकता है. मगर गोमती साय की निष्क्रियता के किस्से नरेंद्र मोदी और अमित शाह की डायरी में नोट हो चुका था एवं खुफिया रिपोर्ट ने भी बतला दिया था कि इस बार गोमती लोकसभा का चुनाव नहीं जीत सकेगी. जिस वजह से गोमती साइन का पत्ता काटते हुए राधे श्याम राठिया को टिकट दे दी गई.
गोमती साय के पंचवर्षीय संसदीय कार्यकाल के दौरान रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र में एक भी कोई भी ऐसा बड़ा काम नहीं हुआ है. जिससे मतदाताओं को प्रभावित किया जा सकता था. रायगढ़ से जशपुर तक की सड़क 5 साल पहले उतनी खराब नहीं थी. जितनी गोमती साय के कार्यकाल के दौरान हो गई. गोमती साय ने सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, रेल टर्मिनल, एयरपोर्ट, आदि विषयों पर केंद्र का ध्यान आकर्षण नहीं करवाया. अगर इस बार पुनः गोमती को प्रत्याशी बना दिया जाता तो उन्हें लाखों वोट से हार का मुंह देखना पड़ता. जनता उनसे केवल एक ही सवाल पूछती. वोट मांगने आए हो हमारे द्वार कहां थी गोमती पिछले 5 साल