रायगढ़—— धरमजयगढ़,छाल,हाटी, कापू आदि क्षेत्रों में आतंक का पर्याय बन चुके ग्रामीणों एवं वनविभाग का सरदर्द बन चुके गणेश को शायद किसी साजिश के तहत मार डाला गया है।
सैकड़ो लोगो की बलि लेने वाला विशालकाय दंतैल हांथी का नाम वनविभाग ने गणेश रखा था। लोगो के घरों को तोड़ना,फसलों को रौंदना, इंसानों को अपनी सूंड़ में लपेटकर पटकना गणेश की आदतों में शुमार था। गणेश के नाम से पूरा वन परिक्षेत्र के लोग थर्राते थे। उसे पकड़ने के सारे प्रयास विफल हो गये तो शायद उसे इंसानी दिमाग का आपराधिक इस्तेमाल कर मार डाला गया है। जो कि जानवर की जान लेने का घृणित तरीका है।
गणेश हांथी को काबू में करने के सारे प्रयास विफल हो गए थे। उसे एक बार ट्रेंकोलाइजर गन से बेहोश कर रस्सियों,जंजीरों में जकड़कर जे सी बी की सहायता से हाइवा में चढ़ाया गया था ताकि उसे किसी अभ्यारण्य में छोड़ दिया जाये। उसकी पल पल की जानकारी मिलती रहे इसके लिए उसको कॉलर आई डी पहनाया गया था परन्तु उसको बेहोश करने वाले गन का प्रभाव बहुत कम समय का था। इसे वनविभाग की लापरवाही कही जानी चाहिये कि गणेश को बेहोश रखने के लिये दुबारा से इंजेक्शन नही लगाया गया था। गणेश ने होश में आते ही सारी जंजीरे,रस्से तोड़ डाले एवं हाईवा को क्षतिग्रस्त कर जंगलों में फरार हो गया। कॉलर आई डी लगे होने की वजह से कुछ दिनों तक उसकी लोकेशन मिलती रही। मगर गणेश दिमाग के मामले वनविभाग से तेज निकला और उसने कॉलर आई डी निकालकर फेंक दी।
पिछले 8 दिनों में 6 हाथियों का मरना किसी बड़ी साजिश का इशारा है। एक हांथी की मौत का ठीकरा बिजली विभाग के अधिकारियों के साथ ग्रामीणों के सर पर फोड़ा गया है। जबकि जंगली जानवरों की मौतों पर वनविभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों को कुसूरवार माना जाना चाहिये। बेहरामार गांव में एक दंतैल हांथी के मारे जाने की खबर आई है और उसे गणेश कहा जा रहा है। हांलाकि की इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है की मारा गया हांथी गणेश ही है या फिर कोई अन्य गजराज है। लेकिन जो भी हो सरकार को चाहिये कि हांथियो की हो रही मौतों का आरोप वनकर्मियों पर लगाया जाकर दंडित,निलंबन किया जाना चाहिए।