रायगढ़/ धरमजयगढ़—– केरल में गर्भिणी हथिनि की हत्या अनानास में विस्फोटक भर कर खिलाने से कर दी गई तो छत्तीसगढ़ में कटहल में करेंट प्रवाहित कर हांथी को मार डाला गया। आतंक का पर्याय बन चुके ख्यातिप्राप्त गजराज गणेश की मौत की जो खबरे आ रही है। उसकी पुष्टि भी वनमण्डलाधिकारी ने कर दी है। गणेश हत्याकांड में बिजलीकर्मियों पर एकतरफा कार्यवाही कर उनको जेल दाखिल करने की अपेक्षा कोरोना पॉजिटिव बतलाकर क्वारेंटिंन किया जाना भी किसी रहस्य से कम नही है। गणेश हत्याकांड से पूर्व विद्युत विभाग के कर्मचारी कितने दिनों से कोरोना पॉजिटिव होकर कहां कहां घूमे फिरे कितने लोगों के सम्पर्क में आये यह अब गहन जांच का विषय बन गया है। साथ ही वनकर्मियों को क्लीन चिट कैसे दी जा सकती है। चोर,उच्चको,बलात्कारियों,हत्यारो,ब्लैकमेरो,सूदखोरों आदि अपराधीयो को जेल दाखिल करने के पहले क्या इन लोगो की कोरोना जांच कर जेल भेजा गया है ।जो कि बहुत बड़ा सवालिया निशान है।वृक्षो, बांसों में विद्युत लाईन खीचना आपराधिक कृत्य है। इस मामले पर वनकर्मियों के द्वारा संज्ञान क्यो नही लिया गया। क्या वनकर्मियों का कार्य लकड़ी चोरों,खनिज माफियाओं, जंगली जानवरों का अवैध शिकार,अवैध खनन आदि पर से नजरें फेर लेना ही है।
बतलाया जा रहा है कि बेहरामार में जो हांथी मारा गया है वह गणेश ही है। कुमकी हांथियो को चकमा देने वाला गणेश इतनी आसानी से शायद मरने वाला न हो। लगता है कि अपने परिवार से बिछड़कर या फिर किसी हंथनी के कारण गणेश अपना मानसिक संतुलन खोकर उन्मादी,हिंसक,पागल,हत्यारा बन गया था। गणेश की जो पहचान बतलाई जा रही है। उसमे भिन्नता लग रही है। गणेश का एक दांत टूटा एवं पैरो में चोट के निशान है जबकि मारा गया हांथी के दोनों दांत पूरे है एवं उसके शरीर पर करेंट के निशान पाये गये बतला जा रहे है। अब इस हत्याकांड का सच क्या है वह पूरा खुलासा स्पष्ट होने के बाद ही कुछ बोला जा सकता है। भविष्य में अगर किसी इंसान की मौत,घरो को क्षति, खेतियों को निकसान निकाल किया किया जाये गये तो गणेश की जीवित होने की संभावना की आशा बलवती हो सकती है। फिलहाल प्रदेश सरकार को हांथियो की मौतों पर सख्त कार्यवाही किया जाना अति आवश्यक है ताकि भविष्य में बेजुबान जानवरों की हत्या पर नियंत्रण लग सके।