चीनी-हिंदी भाई भाई के नारे का सहारा लेकर सन 1962 में चीन ने कायराना एवं गद्दारी की थी। जब पूरा देश दीपावली की खुशियां मना रहा था तब हमारे देश की जीवन रेखा सेना के जवान चीनी गोलियों के शिकार हो रहे थे। चीनी सैनिकों ने छिप कर हमला कर दिया था। जिसमे हजारो भारतीय सैनिकों को शहीद होना पड़ा था। हांलाकि उस युद्ध मे कोई अत्याधुनिक हथियारों का उपयोग नही किया गया था मगर भारतीय जवानों के हथियारों 303 के आगे चीनी सैनिकों के पास आटोमेटिक मशीनगनें बंदूके थी। भारतीय जवान उस समय निहत्थे थे जब चीनी सेना ने भरी ठंड में बर्फीले हिमालय पर जमीन से लगभग 1500 फिट ऊपर चढ़कर एकाएक हमला कर दिया था।
आज माना जाये तो देश 58 साल पीछे चला जा रहा है। लगता है कि बच्चो की तरह लड़ने की आदतें अभी भी वृद्ध नेताओ की दिनचर्या में शामिल है। 1947 में देश को अंग्रेजो की गुलामी से आजादी मिली थी। मतलब यह कि हमारे देश को आजाद हुऐ 73 साल मात्र हुए है। उसमें भी देश आज 1962 के युद्ध की स्थिति पर ही खड़ा है। 1962-2020=58 मतलब यह कि देश की जो हालत 1962 में थी वही हालत आज भी है। आज भी चीनी सेना लगातार छिपकर हमला कर रही है और भारतीय जवान शहीद होते जा रहे है। स्व. महात्मा गांधी ने स्वदेशी अपनाओ का नारा दिया था मगर इसे मजाक समझा जाता रहा और चीनी अपनाओ पर बल दिया जाने लगा। भारतीय कूटनीति के कारण चीन ने देश मे बहुत बड़ा व्यवसायिक क्षेत्र बनाकर देश के बाजारों को चीन निर्मित सामानों से पाटकर भारतीय अर्थव्यवस्था को तोड़कर रख दिया है। देश का सारा पैसा चीन जा रहा है। जिससे चीन दिनों दिन महाशक्ति का रूप ले रहा है। भारतीय रुपयों की बदौलत चीन के पास आज के दिन किसी चीज की कमी नही है। चीन ने सारा पैसा अपने देश की आर्थिक,सैन्य,परमाणु,शोध पर लगा रखा है। वहीं दूसरी तरफ भारतीय राजनेता देश की संपत्ति को निजीकरण कर देश लिये खुद गड्ढा खोदने में लगे है। नेताओ ने देश के लिए रोजाना किसी न किसी मुसीबत खड़ी करने की मानसिकता बना रखी है ताकि जनता पिछली घटनाओं को भुलाकर नये नये विवादों की बहस में उलझे रहें। इसका सर्वोत्तम उपाय जनता के पास ही है कि जो सरकार देश को दिनों दिन वर्षो पीछे ले जा रही है उसे उखाड़ फेके। इसके अतिरिक्त कोई उपाय नही हो सकता।
स्व. लता मंगेशकर जी ने 1962 में भारतीय सेना का बुरा हाल देखकर अजर अमर देशभक्ति गीत “ऐ मेरे वतन के लोगो जरा आंख में भर लो पानी” गाया था जिसमे उस युद्ध का जीवंत वर्णन किया गया है।