🔱टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम 🎤 न्यूज 🌍 रायगढ़ छत्तीसगढ़ 🏹… पुलिस की सुस्त करवाई को देखते हुए जनमानस में चर्चा का विषय बना हुआ है कि साल दर साल रायगढ़ पुलिस निष्क्रिय होते जा रही है. बड़े-बड़े मामलों पर लीपा पोती कर दी जाती है और छोटे-छोटे शराब कोचियों,चोर,उच्चकों, साइकिल चोरों,बकरी चोरों,गांजे के छोटे-छोटे विक्रेताओं को पकड़ कर अपनी पीठ थपथपा ली जाती है. बिहार,झारखंड,महाराष्ट्र, उड़ीसा, जामताड़ा आदि प्रांतों से कुछ लोगों को खड़े कर साइबर ठगी के अपराधी बताकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दी जाती है. उपस्थिति मीडिया वालों को चाय नाश्ता करवा कर उनकी बोलती बंद रखी जाती है.
रायगढ़ जिले के हाई प्रोफाइल ठगी के मामले पर जिले के अनेक थानों में पीड़ितों के द्वारा आवेदन दिए जाने के बावजूद ठगो रंजीत पर पिछले दो वर्षों से कोई कार्रवाई नहीं की गई. जबकि पुलिस की प्रेस कॉन्फ्रेंस में दोनों ठगराज बकायदा उपस्थित होते रहे और पुलिस के आला अधिकारियों से बाइट लेते रहे. जिन जिन थाना क्षेत्र में उनके खिलाफ आवेदन लगे हुए हैं उन क्षेत्रों के थाना प्रभारी से गलबहियां होते रहे. बेहिचक,बे डर, बगैर चिंता के उन थानों मैं लगातार आते रहते रहे और थाना प्रभारी के चेंबर बैठकर चाय पानी पीते रहे. रंजीत के खिलाफ सिटी कोतवाली थाना ,चक्रधर नगर थाना, तमनार थाना, घरघोड़ा थाना पुसौर थाना, सरिया थाना आदि कई थानों में मैं पीड़ित जाते रहे और रंजीत के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाने के लिए थाना प्रभारीयों से मिन्नते करते रहे. मगर प्रभारीयों का दिल नहीं पसीजा और रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई. जिस वजह से पीड़ितों ने हार मानते हुए अपने पापी पेट के लिए नौकरी आदि करने में लग गए.
प्रदेश के पावरफुल लोगों के सामने मामला जाने पर तत्कालीन थाना प्रभारी के द्वारा बहुत लेट लतीफी करने के बाद महज 420 का मामला दर्ज कर अपना फर्ज निभा दिया गया था. फर्जी सरकारी दस्तावेजों,सील मोहर, हस्ताक्षर, फर्जी नियुक्ति पत्र देकर दुरुपयोग करने की और ध्यानाकर्षण करवाने के बाद बे मन से 67, 68, 71 की धाराएं जोड़ी गई, क्योंकि उक्त धाराएं नहीं जोड़े जाने पर थाना प्रभारी के आगे भविष्य में मुसीबत खड़ी हो सकती थी. 420 की रिपोर्ट दर्ज होने के तुरंत बाद सुदीप और रंजीत के फरार होने से पूर्व अगले दिन सुबह 07, 7:30 बजे के बीच कलेक्टर ऑफिस के सामने छोटे दरोगा और सुदीप मंडल के द्वारा गुप्त वार्ता की गई. जो कलेक्टर ऑफिस के सामने लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई. उक्त जानकारी चश्मदीद के द्वारा के दी गई. रंजीत और सुदीप मंडल के फरार होने से पूर्व छोटे दरोगा के द्वारा की गई गोपनीय वार्ता देखने वालों के लिए आश्चर्य और अचंभित करने वाला विषय बन गया है.
पुलिस के पास रंजीत और सुदीप मंडल के कारनामों के पर्याप्त सबूत होने के बावजूद पुलिस के द्वारा उनकी धर पकड़ क्यों नहीं की जा रही है. आम जनता,मीडिया,पीड़ितों की नजरों में पुलिस की छवि निरंतर धूमिल और किरकिरी हो रही है. प्रिंट मीडिया,टूटी कलम वेब मीडिया में लगातार समाचार प्रसारित करने के बावजूद पुलिस के द्वारा कार्रवाई नहीं करना और सुस्त पड़ जाना. खामोश होकर लोग अपने प्रश्नों का उत्तर ढूंढ ले रहे हैं.