🔱टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम 🎤 न्यूज 🌍 रायगढ़ छत्तीसगढ़ 🏹 रायगढ़ शहर के बहुचर्चित ठगी कांड के मास्टरमाइंड रंजीत और सुदीप की जुगल जोड़ी ने केवल 1 साल के भीतर करोड़ों रुपए ठग कर विलासिता की बहुत सी वस्तुएं खरीद ली सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार फुटपाथ पर बैठकर मछली काट कर बेचने वाले सुदीप मंडल ने अपने घर के पास जमीन खरीद कर बाउंड्री करवाई,बोर खुदवाया, बच्चों का एडमिशन बड़ी स्कूल में करवाया, अपने घर में 5 एयर कंडीशन लगवाये, पल्सर मोटरसाइकिल खरीदी और न जाने क्या-क्या किया यह सब पुलिस जांच का विषय है. इसी तरह रंजीत चौहान ने KIA SONET चार पहिया लग्जरी वाहन खरीदी,अपने गांव डूमरपाली के आसपास के गांव बेलरिया,बनोरा आदि में जमीन खरीदने के समाचार मिल रहे हैं. इसके द्वारा भी रुपए कहां-कहां पर इन्वेस्ट किए गए यह पुलिस जांच से ही स्पष्ट हो सकेगा.
ठगी की आड़ बन गया मीडिया और एनजीओ… रंजीत ने लोगों को ठगने के लिए सबसे पहले मीडिया का सहारा लिया और शासकीय अधिकारियों,कर्मचारियों विशेष कर पुलिस विभाग में अपनी पैठ जमानी शुरू कर दी. फर्राटेदार इंग्लिश बोलने वाले रंजीत की शक्ल सूरत रहन-सहन हाव भाव से कोई नहीं भांप सका कि भोली सूरत के पीछे बहुत बड़ा शैतान छुपा हुआ है. रंजीत ने अपनी मदद के लिए ओल्ड सागर बंगाली कॉलोनी में रहकर फुटपाथ पर मछली का व्यवसाय करने वाले सुदीप मंडल को अपनी और आकर्षित कर ऐसा फंसाया कि शादीशुदा बीवी बच्चों वाला सुदीप अपने परिवार से ज्यादा रंजीत को चाहने लगा और रंजीत के कहने पर उसने भोले वाले ग्रामीण,महिलाओं, युवतियों, बेरोजगारों को ठगना शुरू कर दिया. रंजीत और सुदीप पूरे रायगढ़ जिले में विभिन्न चैनलों की माइक आईडी लेकर घूमने लगे और अपने विशेष गुरु की सलाह पर एनजीओ का रजिस्ट्रेशन करवा लिया. इसके बाद मीडिया एवं एनजीओ की आड़ में ठगी करने का गोरख धंधा शुरू कर दिया.
बैंक खाते में जमा 10 करोड रुपए.. सन 2023 में रंजीत और सुदीप के असीम कृपा फाऊंडेशन के नाम से खोले गए स्टेट बैंक के खाते में 1 दिसंबर 2023 में मात्र 22,000 ₹ ही थे. लेकिन 7 जून 2024 में इनके बैंक खाते में 9,89,53,563 (9 करोड़ 89 लाख 53,000 हजार 563 रुपए) किस मद से और कहां से जमा हुए. यह बहुत ही गहराई से छानबीन का विषय है.


पुलिस ने की पूरी मदद… असीम छाया एनजीओ की आड़ और मीडिया चैनल की आड़ लेकर ठगी करने वालों रंजीत और सुदीप के क्रियाकलापों को जब ठगी का शिकार बन चुके लोगों ने अपने साथ हुई ठगी का एहसास हुआ तो उन्होंने अपने द्वारा दिए गए रुपए वापस मांगने शुरू कर दिए. तब उनके द्वारा असीम छाया के संयुक्त खाते और रंजीत ने अपने खाते से चेक देना शुरू कर दिया. इनके द्वारा दिए गए चैंकों को सभी बैंकों के द्वारा अलग-अलग कारण बताते हुए वापस कर दिए जाते रहे. स्वयं से ठगी का पुख्ता एहसास हो जाने पर ग्रामीणों ने पुलिस थानों का रुख किया और लिखित आवेदन दिया जाने लगा. मगर 2 साल लगभग बीत जाने पर भी पुलिस के द्वारा कोई कार्रवाई इनके ऊपर नहीं की गई. तब एक युवक उत्तम प्रधान ने हिम्मत दिखाते हुए ऊपर तक लिखित शिकायत पहुंचा दी. ऊपर से रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश आने के बावजूद लगभग 15 दिनों तक कोई कार्रवाई नहीं होने की वजह से उत्तम प्रधान ने फिर से शिकायत की तब दबाव की वजह से चक्रधर नगर थाने में रंजीत के खिलाफ 420 का पहला मामला दर्ज किया गया. उसके दो दिन के बाद ही राज किशोर साहू का दूसरा मामला 318 का दर्ज किया गया. मगर रंजीत के द्वारा सरकारी दस्तावेजों के साथ खिलवाड़ करने का मामला दबा दिया गया था. तब मीडिया के द्वारा थाना प्रभारी को बताया गया तो कहीं जाकर 467 468 471 की धाराएं भी जोड़ दी गई. इस बीच रंजीत और सुजीत रायगढ़ से फरार हो गए. जीने ढूंढ निकालने के लिए पुलिस के द्वारा कोई प्रयास नहीं किया गया. क्रमशः शेष समाचार पढ़िए अगली पोस्ट में