🔱टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम 🎤 न्यूज 🌍 रायगढ़ छत्तीसगढ़ 🏹 राजधानी के बहुचर्चित कुनबी समाज संगठन के परिवाद प्रकरण में न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी रायपुर कामिनी वर्मा की अदालत में 4 जून को आरोपी देवराज पारधी, पुरूषोत्तम टोंडरे और श्याम देशमुख की जमानत अर्जी पर सुनवाई प्रारंभ हुई थी, जिसमें इन अपराधियों की जमानत याचिका का विरोध करने के लिये परिवादी की ओर से मिश्रा चेम्बर रायगढ़ के सीनियर एडवोकेट अशोक कुमार मिश्रा-आशीष कुमार न्यायालय में उपस्थित हुए थे ।
परिवादी के वकील अशोक कुमार मिश्रा और कुमारी भावना साहू ने जमानत का विरोध करते हुए व्यक्त किया कि अपराधियों के विरुद्ध भारतीय दण्ड विधान की धारा 467, 468, 471 का अपराध पंजीबद्ध किया गया है, जिसमें आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है तथा इन अपराधियों ने स्वयं को कुनबी समाज संगठन का फर्जी तौर पदाधिकारी घोषित कर संगठन की रकम का गबन, आम जनता से ठगी और दस्तावेजी कूटरचना का गंभीर अपराध किया है तथा ऐसे गंभीर अपराध के आरोपी जमानत पर रिहाई के पात्र नहीं है।
न्यायालय का ध्यान इस ओर भी आकर्षित किया गया कि अपराधियों का अपराध आजीवन कारावास के दण्ड से दण्डनीय अपराध है, जिसके कारण उन्हें इस न्यायालय से जमानत पर मुक्ति की पात्रता भी नहीं है। प्रकरण में सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अशोक कुमार के साथ पीड़ित रामेश्वर नाकतोड़े और नेतराम नाकतोड़े भी न्यायालय में उपस्थित थे । अपराधियों द्वारा अपराध करने के स्वरूप और अपराध की गंभीरता को देखते हुए समस्त अपराधियों का जमानत आवेदन पत्र खारिज कर दिया। अपराधियों की जमानत याचिका खारिज होने के बाद न्यायालय कक्ष में पुलिस फोर्स बुलाई गई एवं सभी अपराधियों को न्यायालय कक्ष में गिरफ्तार करके जेल दाखिल कर दिया गया । न्यायालय के इस फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए परिवादी के वकील अशोक कुमार मिश्रा और भावना साहू ने कहा कि इस फैसले से राजधानी में फर्जी संगठन चलाने वाले अपराधियों का अपराध ही बंद हो जाएगा । वहीं दूसरी ओर रामेश्वर नाकतोड़े ने इस फैसले को ऐतिहासिक फैसला करार देते हुए कहा कि इस फैसले ने साबित कर दिया है कि कोई अपराधी बाहुबली नहीं होता है बल्कि लोकतंत्र में कानून बाहुबली होता है।