🔱टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम 🎤 न्यूज 🌍 रायगढ़ छत्तीसगढ़ 🏹.. जब भी बरसात आई है तो रेत के नाम पर वसूली, उगाही, धमकी, चमकी, देने का कार्य शुरू हो जाता है. खनिज विभाग अपनी कार्रवाई करती है तो मीडिया अपने नजराने की वसूली के लिए धमकी चमकी देने से नहीं चूकती है. गर्मी एवं ठंड में रेत की तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता है. नदियों से रेत निकालने का काम पूरी दुनिया में चलता है.इसी रेत से विकास के कार्य होते हैं, इसी रेत से भवन,आवास आदि का निर्माण कार्य चलता है. यदि नदियों से रेत नहीं निकाली जाए तो राष्ट्र की उन्नति होना असंभव है. रेत प्रकृति के द्वारा मानव समाज के द्वारा प्रदत मुफ्त उपहार है. जो पानी के द्वारा पत्थरों चट्टानों पहाड़ों को पीसकर रेत के रूप में पानी में बहकर आती है. जिसका प्रयोग मानव के द्वारा विश्व के विकास कार्य में किया जाता है. रेत निर्माण होने में सरकार या किसी भी निजी संस्थाओं की कोई भूमिका नहीं रहती है और ना ही किसी का एक आना भी खर्च होता है. इसके बावजूद सरकार के द्वारा रेत को बेशकीमती खनिज बतलाकर वसूली की जाती है. रेत में निकाशी के लिए बाकायदा टेंडर जारी किए जाते हैं और घाट उपलब्ध करवाए जाते हैं. जबकि नदी और रेत पर किसी का भी कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए.
सारा संसार जलमग्न हो जाएगा सरकार को नदियों से रेत निकालने वालों को पुरस्कृत किया जाना चाहिए. यदि नदियों से रेत नहीं निकाली जाएगी तो बहुत जल रही संसार जलमग्न हो जाएगा.नदियों में बहकर आने वाली रेत की वजह से विश्व की सभी नदियों की गहराई प्रतिवर्ष कम हो रही है. इसी वजह से बारिश के दिनों में बाढ़ का पानी सड़कों एवं शहर में घुस जाया करता है. रेत पर राजनीति करने वालों को यह जान लेना आवश्यक है कि एक दशक पूर्व नदी एवं नालों की गहराई कितनी थी ? और वर्तमान में कितनी है ? इसके लिए संबलपुर के हीराकुंड डैम जाकर हकीकत का पता लगाया जा सकता है कि जब टाइम बना था तब उसकी गहराई कितनी थी ? और वर्तमान में उसकी गहराई कितनी है ? आने वाले कितने वर्षों में विद्युत उत्पादन कितना प्रतिशत घट जाएगा ? नदियों से रेत नहीं निकाले जाने पर जब रेत का स्तर पुलों के समानांतर हो जाएगा तो वह स्थिति कितनी विकट होगी ? पानी सड़कों पर आ जाएगा और जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाएगा. खेत खलिहान जलमग्न हो जाएंगे. पूरी दुनिया बर्बाद हो जाएगी.
नदियों से रेत निकाल कर गहराई करवाने के लायक धन नहीं है सरकार के पास.. यदि भारत सरकार चाहे कि देश की सभी नदियों से रस निकाल कर गाड़ी कारण करवाया जाए तो शायद सरकार के पास रेत निकालने के लायक पर्याप्त धन नहीं होगा और यदि रेत निकल वाली भी जाए तो उसे कहां डंप किया जा सकेगा ? मुफ्त में रेत बांटने पर भी कोई नहीं लगा. वही लगा जिसे कुछ विकास कार्य करने होंगे और वह प्रकृति के द्वारा उपलब्ध फ्री के खनिज पर क्यों धन व्यर्थ करेगा ? एक समय ऐसा आएगा की सरकार को घोषणा करनी पड़ जाएगी की जो भी नदी से अधिक रेत निकलेगा. उसे राष्ट्रीय, प्रादेशिक, स्थानीय स्तर पर पुरस्कार दिया जाएगा, क्योंकि रेत के ना निकाले जाने की वजह से देश के सैकड़ों शहरों को जलमग्न होने का खतरा उत्पन्न हो जाएगा.
नदी,नाले,समंदर,रेत,पहाड़,मिट्टी, पेड़ पौधे, सूर्य का प्रकाश,चांद की शीतलता,तारों का टिमटिमाना,ऑक्सीजन, प्राणियों का जीवन मृत्यु सब ईश्वर के द्वारा प्रदत्त है. ना कि किसी के बाप की हुकूमत है.








