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🔱टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम 🎤 न्यूज रायगढ़ 🌍 छत्तीसगढ़ 🏹 सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार एक वकील पूर्णकालिक पत्रकारिता नहीं कर सकता। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के नियमों के अनुसार, एक वकील को वकालत के साथ-साथ पूर्णकालिक या अंशकालिक पत्रकारिता करने की अनुमति नहीं है।
विस्तार में:
बीसीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि एक वकील पत्रकारिता सहित किसी भी अन्य पूर्णकालिक पेशे में शामिल नहीं हो सकता है। यह नियम आचार संहिता के नियम 49 के तहत लगाया गया है। इसका मतलब है कि एक वकील या तो वकील के रूप में अभ्यास कर सकता है या पत्रकार के रूप में, लेकिन दोनों एक साथ नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बात पर जोर दिया है कि वकील को या तो वकील होना चाहिए या पत्रकार। दोहरी भूमिका की अनुमति नहीं दी जाएगी क्योंकि यह एक महान पेशे की गरिमा को कम करता है। इसलिए, यदि कोई वकील पत्रकारिता करना चाहता है, तो उसे पहले अपनी वकालत छोड़नी होगी।
आम जनता को चाहिए कि यदि कोई व्यक्ति स्वयं को पत्रकार एवं वकील बताएं तो इसकी लिखित शिकायत अधिवक्ता संघ एवं प्रेस क्लब में करनी चाहिए और साथ ही पुलिस के उच्च अधिकारियों को भी इस विषय से अवगत करवाना चाहिए. यदि तब भी छद्म व्यक्तियों पर कार्रवाई नहीं होती है तो हाई कोर्ट में याचिका दायर की जा सकती है एवं बिलासपुर हाईकोर्ट में भी अधिवक्ता संघ को लिखित आवेदन दिया जा सकता है.