🔱टिल्लू शर्मा ✒️ टूटी कलम 🎤 न्यूज रायगढ़ 🌍 छत्तीसगढ़ 🏹.. जब तक सूरज चांद रहेगा,इंदिरा तेरा नाम रहेगा, उप नारा केवल पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी के ऊपर ही फिट बैठता है. स्वर्गीय इंदिरा गांधी में फैसले लेने की क्षमता थी. इंदिरा के सामने अमेरिका और रूस भी सर झुकाते से. इंदिरा गांधी के शासनकाल में सरकार के द्वारा पंचवर्षीय योजनाएं बनाई जाती थी. 21 सूत्रीय कार्यक्रम 5 सूत्रीय कार्यक्रम तय हुआ करते थे. इंदिरा गांधी को विदेशो में भी आयरन लेडी के नाम से जाना जाता था.
दिनांक 25 जून सन 1975 में जब पूरा देश सो रहा था तो आधी रात को इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी थी और एक रात के अंदर ही पूरे देश के नेताओ,पत्रकारो,व्यवसाईयो, छात्र नेताओं, गुंडे, मवालियों आदि सब को पकड़ कर जेल में ठूस दिया गया था. जिसका कारण देश की आर्थिक व्यवस्था का डगमगाना, नेताओं के द्वारा बेनामी संपत्ति का मालिक बनना, व्यवसाईयों के द्वारा ब्लैक मार्केटिंग, कालाबाजारी करना,सामग्रियों का भंडारण करना,दंपतियों के द्वारा मनमानी बच्चे पैदा करना,मीडिया के द्वारा सरकार का विरोध करना. इन सब कार्यों की वजह से देश का भविष्य देखते हुए इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा कर दी थी. स्वर्गीय इंदिरा गांधी को मालूम था कि उनके इस कदम से उनकी सरकार गिर जाएगी. मगर इंदिरा गांधी ने सरकार के चिंता ना करते हुए देश की चिंता पर ध्यान दिया. जिस वजह से 1977 के चुनाव में कांग्रेस की बुरी तरह से हर हुई थी और इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा था. इसके बाद जनता पार्टी आई और प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई बनाए गए पार्टी में आपसी खींचतान के चलते 2 साल में ही सरकार गिर गई. इसके बाद इस चुनाव में कांग्रेस के इंदिरा गांधी संजय गांधी सभी के सभी दिग्गज नेता चुनाव हार गए थे. इसके बाद हुए चुनाव में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत के साथवापसी हुई और इंदिरा गांधी फिर से प्रधानमंत्री चुनी गई.
यदि 1975 में इंदिरा गांधी के द्वारा आपातकाल घोषित नहीं किया जाता तो देश की आधी जनता महंगाई की वजह से भूखे मर जाती, देश में अराजकता फैल जाती, यदि उस समय नसबंदी कार्यक्रम नहीं चलाया जाता तो आज शायद भारत की जनसंख्या 200 करोड़ के ऊपर हो सकती है और हालात बद से बदतर हो जाते. आज किसी भी तरह के कार्यक्रम नहीं बनाए जाते हैं. वर्तमान में जो भी कार्यक्रम बनते हैं. वे केवल दो ही अघोषित व्यक्ति तय करते हैं अडानी और अंबानी