बाहुबल पर धनबल पड़ता है भारी
शहर की तासीर के लिए हो सकता है घातक
विधायक की छवि धूमिल करने की कुचेष्टा
जातिय संघर्ष की ओर धकेला जा रहा है शहर को
✒️ टूटी कलम ✒️ रायगढ़—– विगत कुछ महीनों से कुछ खोपड़ियां अपना वजूद बचाये रखने हेतु तरह तरह के खेल खेलकर जनमानस के दिलो दिमाग मे जहर का बीज बोने का निकृष्ट कार्य कर रही है. जो भाईचारे के रूप में विख्यात इस शहर के भविष्य के लिये किसी भी तरह से उचित नही है.
जो आरोप वर्तमान विधायक पर लगाये जा रहे है. उससे इनका दूर दूर तक कोई मतलब नही है क्योंकि वे पिछले 1 माह से अपने अनुज को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने की उधेड़बुन में व्यस्त है तो विपक्ष उनके अनुज को हराने के लिये घटिया चाल चल रहे है.मगर साँच को आंच नही लगती. एक विधायक के सम्बंध विधानसभा की पूरी जनता है रहता है. जिसमे समाजिक, आपराधिक, हरिश्चंद्र, नटवरलाल,गब्बर,जय,वीरू आदि आदि तरह के लोगो से उनसे जुड़े रहना एक जनप्रतिनिधि का कार्य एवं मजबूरी होती है.चुनाव के समय हर हथकंडे कार्य करते है.चुनाव जीतने के बाद मर्यादा परम् धरम होता है.कोई भी प्रशासनिक अधिकारी नही बोल सकता कि विधायक ने किसी भी किस्म का दबाव उनपर कभी बनाया है.लगातार कामयाबी के ओर बढ़ रहे विधायक के कदमो में कांटे उगाने का कार्य ओच्छी मानसिकता के लोग कर सकते है परन्तु सुलझी हुई विचारधारा के लोग इस तरह के घटिया हथकंडे नही अपनाते वरन वे किसी की लाईन को छोटी करने की अपेक्षा अपनी लाईन बड़ी करने का प्रयास करते है मगर किसी की लाईन को मिटा कर तो कदापि नही,यह तो दिनों दिन विधायक का मुफ्त प्रचार होने का खालिस सस्ता साधन मिल गया कि जब वे अपने शागिर्दों का इतना खयाल रखते है तो कौन उनका शागिर्द बनना न चाहेगा ?