रायगढ़——– पिछले 1 साल से निगम कागजो में शहर की सड़कें हर बैठक में बना रहा है।बकायदा लागत सहित कार्य का उल्लेख कर अपनी पीठ थपथपा रहा है जबकि निगम के कोष में फंड नही होने का फंडा है कि वास्तविकता इसे वही समझे जो निगम की राजनीति को समझे। जिंदल स्टील को 40 करोड़ ₹का टैक्स जमा करने के नोटिस का मामला लगभग टांय टांय फिस्स हो गया लगता तो कुछ ऐसा ही है। 40 करोड़ ₹ में से 5 करोड़ ₹ देने के आश्वासन के बाद फाईल नीचे दब गई। पूर्व कलेक्टर यशवंत कुमार सिंह ने अपने कार्यकाल में निगम को कई कार्य करने के आदेश दिए थे। उन कार्यो का न श्री गणेश हुआ न ही अमल किया गया। निगम कोई भी कार्य एक दिन के अतिरिक्त दूसरे दिन नही करती।इसका कारण लोग मोटी तोंद वाले एवं पतलू से सेटिंग हो जाना बतलाते है। जैसा कि इन दिनों मेडिकल कालेज रोड पर अवैध प्लाटिंग,नाला पाटने का कार्य जोर शोर से चल रहा है परन्तु शायद निगम प्रशासन ने कानो में रुई और आंखों पर पट्टी चढ़ा ली है। कौहाकुंडा में अवैध निर्माण एवं बालसमुंद नाले को जिम जाने की गतिविधियां किसी रोहड़ा के इशारे पर चल रही है।
निगम में जब किसी विशिष्ट जन का आगमन या बैठक या वी सी होती है तो निगम के शहरी मंत्रियों द्वारा कोविड 19 के नियमो की खुलकर धज्जियां उड़ाई जाती है। न मुंह पर मास्क होता है और न ही 2 गज की दूरी का ख्याल रखा जाता है। जिसके कई फोटोज देखे जा सकते है।
रोजाना यह देखा जा रहा है कि निगम आयुक्त,महापौर, एम आई सी सदस्यो,पार्षदो के वार्ड निरीक्षण आदि के समय राजनीति पार्टी के अध्यक्ष भी साथ ही रहते है। जिसका कारण हर प्रबुद्ध व्यक्ति की समझ से बाहर है। इनका निगम के कार्यो में दखल देना कहां तक उचित है। विपक्ष भाजपा शायद अपने निष्क्रिय लोगो के कारण अपनी पहचान खोती जा रही है। न किसी कार्य का विरोध,न धरना,न प्रदर्शन करना कांग्रेस के हर कार्य मे मौन सहमति अपने व्यवसायिक कारणों से दे रही है। किरोड़ीमल चौक की स्थिति पर भी चुप्पी साधे रहना कही न कही आपसी समझौता हो सकता है। पूरा शहर अस्त व्यस्त है और विपक्ष अपने आप मे मस्त है। वहीं निगम के आला जनप्रतिनिधि द्वारा अपने बाईट में स्व.इंदिरा जी एवं स्व.वल्लभ भाई पटेल दोनों को पूर्व प्रधानमंत्री बतलाना कोई कम हास्यास्पद नही है। स्व. वल्लभ भाई पटेल देश के पूर्व गृहमंत्री थे न कि प्रधानमंत्री धन्य है कट्टर कांग्रेसी,धन्य है व्यवसाय में लगा विपक्ष