रायगढ़———जिले में बढ़ रहे प्रदूषण के मामले में केवल उद्योगों पर ही दोषारोपण करना ही सही नही है। टूटी फूटी सड़कें खेतो का रूप धारण कर रही है। इतनी धूल उड़ती है कि सामने वाले को कुछ दिखलाई ही नही पड़ता। जिससे दुर्घटनाओ में इजाफा हो रहा है। राष्ट्रीय राज मार्ग 49 जो कि नया बना है और अभी भी सौंदर्यीकरण का काम चल रहा है परन्तु उद्योगों से निकलने वाली फ्लाईएश डस्ट को इस मार्ग के दोनों तरफ डंप किया जा रहा है। जिससे खेत खलिहान तो बर्बाद हो ही रहे है साथ कि प्राकृतिक नालों एवं तालाबो को भी पाटा जा रहा है। राष्ट्रीय राज मार्ग के दोनों ओर डंप राखड़ वाहनों की आवाजाही से उड़ती रहती है। जिससे कई दुर्घटनाएं भी घट चुकी है। साथ ही आसपास के ग्रमीणों भी त्वचा,सर्दी,खांसी,टी बी जैसी बीमारियों का शिकार बन रहे है।
पंचायत में डंप करने का नही है अधिकार-फ्लाईएश की डंपिंग किसी भी कीमत पर नही की जा सकती। माननीय न्यायालय एवं एन जी टी(नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) का सख्त आदेश है कि किसी भी पंचायत क्षेत्र में उक्त घातक राखड़ की डंपिंग नही होगी। केवल क्रेशरों से हुए गढ्ढो में डालना होगा साथ ही जमीन समतलीकरण में यदि उपयोग किया जाये तो उसपर पानी के छिड़काव के साथ ऊपर से मिट्टी का आवरण चढ़ाया जाये। मगर कुछ धन लोलुप ट्रांसपोर्टर उद्योगों से फ्लाईएश को बाहर निकालने का ठेका लेकर,खरसिया,बरमकेला,पुसौर,सरिया,आदि क्षेत्रों में जहां मर्जी तहां डंप कर नियम कानून की धज्जियां उड़ा रहे है। सरपंचों से मंत्री,विधायक का खास बतलाकर मोटी रकम एवं धमकी चमकी के सहारे निजी जमीनो पर सैकड़ो हाइवा फ्लाईएश डाल रहे है जबकि जमीन मालिक की जमीन का रकबा काफी कम होता है। ट्रांसपोर्टर के रसूख के आगे भोले भाले ग्रामीण मन मोसकर रह जाते है। यदि फ्लाईएश डंपिंग का खेल इसी रफ्तार में चलता रहा तो आने वाली पीढ़ी खेत खलिहान देखने को तरस सकते है साथ ही खेती पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है। प्रदेश के मुख्यमंत्री खेती का रकबा बढ़ाने पर जोर दे रहे है परन्तु अफसरशाहों को तो कहीं जाकर झांकने तक कि फुर्सत नही है। जिला पर्यावरण अधिकारी शायद रायगढ़ को बर्बाद करने की कसम खा लिए है। उनके द्वारा किस पर क्या कार्यवाही की गई यह भूसे में सुई ढूंढने का कार्य हो सकता है। सुई तो फिर भी मिल सकती है मगर पर्यावरण अधिकारी की कोई उपलब्धि नही मिल सकती।
कभी भाजपा का कार्य करने वाले सरकार बदलते ही अपना पाला भी बदल लिया—–एक समय अमलड़िहा गांव एवं आसपास के क्षेत्रों में भाजपाई के रूप में पहचाने जाने सेठ ने समय के साथ भगवा गमछे के स्थान पर कांग्रेसी गमछा धारण कर लिया। विधायक के पड़ोसी होने का भरपूर फायदा सेठ उठा रहा है। मंत्री के आगमन पर बड़े बड़े होर्डिंग्स,विज्ञापनों के सहारे अपने आप को मंत्री के करीबी होने का अधिकारियों पर प्रभाव डालने का प्रयास भी किया जाता है ताकि कोई भी उसके विरुद्ध किसी किस्म की कार्यवाही न कर पाये। शहर,जिले में कद्दावर मंत्री,विधायक ,जनप्रतिनिधियों होने के बावजूद कोई कार्रवाई न होना। दबी जुबान में फुसफुसाहट का कारण बन रही है। विपक्षी भी सारे चुप बैठे है। शायद लक्ष्मी के आगे वे भी नतमस्तक हो चुके है। क्रमशः————लगातार——नये प्रमाणित खुलासे के साथ”टूटी कलम”✍️✍️✍️✍️