नगर निगम क्षेत्र के हृदयस्थल वार्ड क्रमांक 19 में गांधी पुतला दोना पत्तल दुकान के पास से श्याम मन्दिर से निगम के गेट नम्बर एक तक को जोड़ने वाली पक्की सड़क पर लगभग डेढ़ सौ करोड रुपए की जमीन पर अवैध कब्जा धारी है जो निगम के टेक्स भी नहीं दे रहे अब निगम यहां के अवैध कब्जा धारियों पर भी कभी कार्रवाई कर बेशकीमती जमीन को खाली करवा सकता है। अवैध कब्जा करके लाखों रुपए का किराया वसूली कर रहे अवैध कब्जा धारियो के विरुद्ध निगम में आशीष शर्मा ने एक आवेदन दिया जिसमें संजय कंपलेक्स के पास 100 करोड़ रुपए की जमीन पर अवैध कब्जा धारियों ने पक्के निर्माण कर किराये पर उठा दिए है। दुकाने के अवैध कब्जा धारी कई सालों से किराया वसूल रहे हैं इससे परेशान होकर मोहल्ले वासियों ने निगमायुक्त महापौर और कलेक्टर से गुहार लगाई जल्द ही अवैध कब्जा धारियों को हटा कर एक नई सड़क का निर्माण करें या शासन द्वारा 152 पर्सेंट की गाइडलाइन के रूप में कर वसूल कर निगम का खजाना भरने की कवायद शुरू करे।
40 फीट चौड़े इस मार्ग के अस्तित्व में आ जाने से शहर के बीच यातायात दबाव पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है। सुभाष चौक,गांधी पुतला,एम जी रोड़ पर लगने वाले जाम से भी मुक्ति पाई जा सकती है।
कलेक्टर के वार्ड भ्रमण के दौरान पार्षद ने कलेक्टर को उक्त स्थल पर हुए अवैध अतिक्रमण की जानकारी देने या मौका स्थल दिखलाने पर से दूर रखा गया। कलेक्टर को गौरीशंकर मंदिर, इतवारी बाजार क्षेत्र की ही व्यक्तिगत समस्याएं बतलाई गई। जिसमें वार्ड पार्षद का शायद कोई हित रहा होगा।
*पूर्व क्लेक्टरों डाक्टर राजू,अमित कटारिया,मुकेश बंसल के नामो में शुमार हो सकता है वर्तमान कलेक्टर भीम सिंह का नाम* अपनी कार्यशैली एवं शहर के विकास को अमलीजामा पहनाने वाले पूर्व क्लेक्टरों का नाम आज भी लोगो के जेहन में है जो कि शहर के विकास के मुद्दे पर आमजन की जुबान पर आता रहता है। पुराना शनिमंदिर रोड़ कोतरारोड़,इंदिरानगर,गौरवपथ,जूटमिल रोड़,बीड़पारा आदि के चौड़ीकरण के कारण आज शायद शहर फैला हुआ सा है अन्यथा पूरे शहर का क्या हाल रहता यह एक सोचनीय बात है। शुरुआती समय मे इन क्लेक्टरों को जनप्रतिनिधियों एवं जनाक्रोश का सामना भी करना पड़ा था। मगर अपने मजबूत इरादों के कारण शहर का विकास 10 वर्षो के लिए किया गया था। अब 10 वर्षो के बाद आगामी 10 वर्षो के लिये शहर के मास्टर प्लान पुनः श्रीगणेश होने जा रहा है। पूर्व में तोड़फोड़ की मुखलाफ़त करने वाले प्रभावित लोगों अब पूर्व क्लेक्टरों के मुरीद बन चुके है।जो अमित कटारिया को एक बार पुनः रायगढ़ कलेक्टर के रूप में देखना चाह रहे है। सन 2010-11 तोड़फोड़ से गरीब तबके के लोग ज्यादा चपेट में आये थे। वे अब 2021 में होने जा रहे रशुखदारो के तोड़फोड़ को देखना चाह रहे है। शुरू होने जा रही तोड़फोड़ की कार्यवाही को रोकने के लिए अब शहर में वैकल्पिक मार्गो के साथ अपने लंबे छोड़े ताने गए आशियानों को बचाने के लिए भवन पुराने एवं चुना-पत्थर से बने होने का बहाना तलाश रहे है। जबकि सामने के निर्माण कार्य 2010 के बाद हुए है। सुभाष चौक पर शहर के मास्टर प्लान की जानकारी होने के बावजूद 3-4 मीटर आगे तक के निर्माण किये गए है।
*तब कहां थे चैम्बर वाले,जब कमजोर लोगो के आशियाने पर बुलडोजर चल रहा था* शहर में रशुखदारो एवं भाई बन्धुओ के आशियाने बचाने चैम्बर आगे आ रहा है क्योंकि इस बार धनाढ्य वर्ग के आशियाने टूटने की बारी है। जिनकी दुकानदारी भी इन रशुखदारो के कारण ही चलती है।
*बंद गलियों को खोलने, वैकल्पिक मार्ग,एकांगी मार्ग,कुछ कारगर हो सकते है मगर समाधान नही* कलेक्टर भीम सिंह, आयुक्त आशुतोष पांडेय,महापौर जानकी काटजू का दिमाग भ्रमित करने का कुत्सित प्रयास चल रहा है ताकि इन गलियों,वैकल्पिक मार्गो के सहारे अपने रिश्तेदारों, शुभचिंतको के आशियाने महफूज रखे जा सके। वैसे गांधी पुतला से श्रीश्याम मन्दिर होते हुए पूराना शनि मंदिर तक बनी बनाई सड़क है।जिसे अस्तिव में लाया जा सकता है। वहीं पुराना माल धक्का निर्मल लाज से बड़पारा शराब भट्ठी से संजीवनी नर्सिंग होम होते हुए नए शनिमंदिर सड़क निर्माण की जा सकती है। लक्ष्मी नारायण मंदिर के पीछे से गांधी गंज होते हुए। पुलिस अधीक्षक कार्यालय एवं स्टेशन रोड़ पर थोड़ी सी तोड़फोड़ करने पर रास्ते निकाले जा सकते है।निगम कार्यालय से इतवारी बाजार तक कि सड़क बहुत कम खर्च में बनाई जा सकती है।न्यू मार्केट से गद्दी चौक को जोड़ने वाली डालडा गली को व्यापारियों ने मूत्रालय में बदल डाला है। वह पुनः शुरू होनी चाहिए। मिलनी क्लब के सामने से महिला महाविद्यालय सड़क पर निकले वाली सड़क अतिक्रमण की भेंट चढ़ गई है। सेवा कुंज से गायत्री मंदिर गर्ग पर निकलने वाले मार्ग को कबाड़ियों,शराबियो,गंजेडीयो की शरण स्थली बन चुकी है। हंडी चौक से जनकर्म परिसर से अशर्फी देवी चिकित्सालय पर निकलने वाले मार्ग पर भी अतिक्रमण किया जा चुका है। रायगढ़ शहर एक सड़क 84 गलियों का शहर है। यदि जनप्रतिनिधि अपने स्वार्थ त्याग कर कलेक्टर को वार्ड की जगह गलियों की महत्ता दिखलाये तो आगामी 50 वर्षो तक शहर में यातायात व्यवस्थित किया जा सकता है । एम जी रोड़, हंडी चौक को एकांगी मार्ग के लिए गाटर,खंबे गाड़कर भारी वाहनों के बेतरबी से खड़े रहने की समस्याओं से निजात मिल सकती है।
*सड़क,बिजली,पानी,शिक्षा, चिकित्सा,नाली,नाले,की जरूरत पूरी हो जाती है परंतु अवैध अतिक्रमणों से मुक्ति,यातायात से उबारना पहली प्राथमिकता होनी चाहिये। संवेदनशील कलेक्टर की सबसे बड़ी खासियत है कि वे सभी पक्षों की सुनकर फैसला लेते है। जबकि पूर्व कलेक्टर किसी का पक्ष न सुनकर शहर को नया रूप देने के लिए। पुलिस बल,बेरिकेट्स का सहारा लेते थे। तभी आज शहर कुछ हद तक समस्याओ से निपट रहा है।
*शहर की सड़कों पर बने डिवाइडरों पर ध्यान देना चाहिये* शायद रायगढ़ ही एकलौता ऐसा शहर होगा। जहां सड़को पर बनाये गए डिवाइडरो के बीच बीच मे अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए 10- 15 कदम कदम पर जगह छोड़ दी गई है। जिससे यातायात नियमो की धज्जियां उड़ाते लोगो को आसानी से देखा जा सकता है। बड़े शहरो में 1-2 किलोमीटर चलने के बाद ही वाहनों को सही दिशा में लाया जाता है। लोगो को भी घूमकर आने जाने की आदत पड़ी हुई है जबकि रायगढ़ के लोग शार्टकट तरीके से चलने में विश्वास रखते है।
*कलेक्टर के मौखिक आदेश पर कोई अमल नही* उर्जावान कलेक्टर भीमसिंह अलसुबह उठकर अपने लाव लश्कर सहित प्रत्येक रोज 1 वार्ड का भ्रमण कर जनता की मूलभूत समस्याओ को ध्यान से सुनते है और उनके समाधान के लिए सम्बन्धित विभाग के अधिकारियों को मौखिक आदेश देकर। अगले वार्ड के दौरे पर निकल पड़ते है एवं अधिकारी कलेक्टर की बाते एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देते है।नगर के सभी 48 वार्डो का दौरा करने में लगभग 4 महीने लगेंगे। इस बीच कलेक्टर ने क्या क्या आदेश दिए थे। वे सब भूला दिए जायेंगे।