टूटी कलम रायगढ़ -काफी अध्ययन के पश्चात हर निष्कर्ष सामने निकलकर आया कि वर्तमान में जो माहमारी फैली है। वह कोई नई नही है। हाँ समय के साथ माहमारी का नामकरण हो जाता है। पिछले 400 वर्षों का अध्ययन करने पर मालूम हुआ कि माहमारी फैलना कई ईस्वी से चली आ रही है। समय समय पर छोटे छोटे रूपो में एवं सदी पूर्ण होने पर विकराल रूप में प्रकट होती है। जो पृथ्वी का बैलेंस बनाती है।
सन 1720 में प्लेग,सन 1820 में चेचक, सन 1920 में कालरा अब सन 2020 में कोरोना के रूप में मानव समाज मे व्यापक तबाही मचाने फैली हुई है। कभी स्वाईन फ्लू,तो कभी इन्फ्लुएंजा,तो कभी इंसेफेलाइटिस तो कभी,हेपेटाइटिस तो कभी पीलिया,तो कभी डायरिया तो कभी एड्स के रूप में उपस्थित रहता है। जिनसे लड़ने के लिए समय समय पर मेडिसिन टेक्नोलॉजी के द्वारा बचाव के लिए उपाय भी खोजे जाते है परन्तु उपाय या दवाओं के रिसर्च में समय लगना वाजिब है। प्लेग,चेचक,कालरा आदि के कारगर टीके आने में सदी बित जाती है।
वर्तमान में जो माहमारी फैली हुई है। इससे बचने के लिये जरूरी है कि घर पर रहे अनावश्यक न घूमे,लोगो से दूरी बनाकर रखें,बात करते समय,छींकते समय,खांसते समय रुमाल चेहरे पर रखे,हाँथ मिलाने की अपेक्षा दोनो हाथ जोड़ ले,बाहर निकलते समय फेसकवर पहने,साबुन से बार बार अपने हांथ धोते रहे,कोविड के नियमो का पालन करें,भीड़भाड़ वाली जगह जाने से बचे,