जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज मंगलवार को सुनवाई शुरू हो गई है. 5 जजों की संवैधानिक बेंच के सामने सीनियर वकीलों ने मामला उठाया और पूरे मसले को बड़ी बेंच के पास भेजने की मांग की.
सीनियर वकील राजीव धवन ने कोर्ट से कहा कि पहले वो वकील अपना पक्ष रख दें, जो इस मामले को बड़ी बेंच के पास भेजने के पक्ष में हैं या खिलाफ हैं. राजीव धवन ने आज अपनी दलील रखने और बहस करने से छूट मांगी जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया.
इस पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार इस मामले की सुनवाई बड़ी बेंच में करने के पक्ष में नहीं है.
इस पर वकील संजय पारिख और दिनेश द्विवेदी मामले को बड़ी बेंच के सामने भेजने के समर्थन में बोले. हालांकि कई अन्य सीनियर वकीलों ने इस केस को बड़ी बेंच के पास भेजने का विरोध किया.
राजीव धवन, राजू रामचंद्रन ने कोर्ट छोड़ दिया क्योंकि केवल सीमित शुरुआती प्रारंभिक मुद्दों पर ही तर्क लिए जा रहे थे.
अनुच्छेद 370 के खिलाफ वरिष्ठ वकील दिनेश द्विवेदी ने दलील पेश करते हुए कहा कि दरअसल अनुच्छेद 370 भारतीय संविधान और जम्मू-कश्मीर को जोड़ने वाली सुरंग की तरह है. जम्मू-कश्मीर संविधान सभा 1957 में राज्य का विशेष संविधान बनने के बाद भंग हो गई थी. इसके बाद अनुच्छेद 370 ही जरिया रही भारतीय संविधान और जम्मू-कश्मीर के बीच विशिष्ट रिश्ते और संवाद का, लेकिन मौजूदा सरकार ने उसे फ्रिज कर दिया है.