टूटी कलम रायगढ़ —- उद्योगों द्वारा एक अलग फंड निकाला जाता है जिसे जनकल्याण में खर्च किया जाता है। रायगढ़ जिले में बड़े बड़े उद्योग है। इसके बावजूद उद्योग आने जाने वाले मार्ग मोहन जोदड़ो हड़प्पा की खुदाई के अवशेष की तरह नजर आते है। सबसे ज्यादा गलती भारी वाहन मालिकों की मानी जायेगी क्योंकि आर्थिक लालच के कारणों से वे फैक्ट्रियों तक कोयला आयरन ओर ओवरलोड कर पहुंचाने एवं फैक्ट्रियों में निर्मित लौह सामग्रियों को बाहर पहुचाने की होड़ में वाहन खराब कर इंश्योरेंस कम्पनियों को आर्थिक नुकसान पहुंचा रहे है। आमजन के आवागमन के लिए नेशनल हाईवे 49 बन चुका है। जिस वजह से जिंदल की कुदृष्टि इस मार्ग को लील लेने के लिए लगी हुई है। जिस वजह से यह मार्ग दिनों दिन बद से बदतर होता जा रहा है। जिंदल आया जिंदल आया के शोर मचाकर धनकुबेरों ने इस क्षेत्र की जमीनें मुंहमांगी कीमतों पर खरीदकर सुनहरे भविष्य की कल्पना की थी और यही लोग आज मिनरल वाटर पी पी कर जिंदल को कोस रहे है। जिंदल के विरोध में आवाज उठाने वालों को गोल्डन बूट मारकर चुप बैठा दिया जाता है। विज्ञापन देकर कलम खरीद ली जाती है। दो- चार डंडे पडवाकर नोकर बना लिया जाता है। राजनीतिक दलों को मोटा चंदा देकर नजरे फिरा दी जाती है।

जिंदल के चेयरमैन नवीन जिंदल का बयान आया कि खनिजों पर उद्योगों का हक होना चाहिए जो कि बहुत ही हास्यास्पद एवं बचकाना है। छत्तीसगढ़ के खनिजों पर पहला हक छत्तीसगढ़ियों का तो दूसरा हक छत्तीसगढ़ सरकार का है। बाहर से आकर आदिवासियों,गरीबो की जमीनों पर उद्योग लगाने वालों का अधिकार किस वजह से दिया जाना चाहिए। छत्तीसगढ़ में तभी तक शांति है जब तक छत्तीसगढ़िया लोग,ओड़िसा,बंगाल,बिहार,महाराष्ट्र,हिमांचल प्रदेश के लोगो की तरह से एकजुट नही हो जाते। छत्तीसगढ़ियों में एकता की भावना जिस रोज पनप जायेगी तो बाहरी लोगों को अपना बोरिया बिस्तर समेटना पड़ जायेगा।
जब एक सड़क तक न बनवा पा रहा है जिंदल उद्योग तो उससे शहर की भलाई के लिए सोचना भी बेनामी होगा। छत्तीसगढ़ प्रदेश के खनिजों से होने वाली कमाई सारी की सारी बाहर जा रही है। इस ओर किसी ने शायद ध्यान नही दिया होगा कि ये निजी हवाई जहाज,160 करोड़ रुपये का खरीदा हुआ घर सारे तामझाम यहीं की कमाई से जुटाए गए है।