टूटी कलम रायगढ़—– निगम आयुक्त आशुतोष पांडेय के रायपुर तबादला होने के बाद से रोजाना चर्चा में रहने वाला एवं सुर्खियां बंटोरने वाले निगम की गतिविधियां एवं किये जा रहे विकास कार्यों का पहिया थम गया है। आशुतोष पांडेय के स्थान पर किसने कार्यभार संभाला है। इसका जवाब शायद निगम के कर्मचारी भी न दे पाएंगे। निगम के जनसूचनार्थ विभाग की कोई प्रेस विज्ञप्ति न आना भी इसका प्रमाण है कि निगम की गतिविधियां शिथिल हो चुकी है। आशुतोष पांडेय के तबादले के समय विलाप करने वाले और निगम की पोल खोलने का आश्वासन देने वाली कलम भी खामोश हो चुकी है। जिसके भी दो ही मायने निकल सकते है। पहला घड़ियाली आंसू और दूसरा सेटिंग। नये निगम आयुक्त के आने के बाद आस जगी थी कि आशुतोष पांडेय के अधूरे कार्य अब मूर्त रूप ले सकेंगे क्यूंकि नवपदस्थ आयुक्त की जान पहचान या जात सगा नही होना कारण बन सकेगा कि आयुक्त शहर में चल रहे विकास कार्यो पर तेजी एवं कसावट लायेंगे।
13 जून को आशुतोष पांडेय रायपुर प्रस्थान किये और नये आयुक्त ने पदभार ग्रहण किया। एक पखवाड़ा बीत गया परन्तु नये आयुक्त का कोई भी ऐसा कार्य सामने नही आया कि जिसे सराहा जा सके। जब पुराने ही कार्य पूरे नही हो रहे है तो नये कार्यो की उम्मीद करना बेकार है। रायगढ़ की जनता के दिलो में अमिट छाप छोड़कर जाने वाले पूर्व आयुक्त आशुतोष पांडेय के द्वारा करवाये गए कार्य शहर की पहचान बन चुकी है। नये आयुक्त एक आईएएस अधिकारी है। इस वजह से जनसाधारण को इनसे रायगढ़ के कायाकल्प की ज्यादा उम्मीदे है। रविशंकर शुक्ल मार्केट की दुकानों के छज्जे हटाने,पूर्व में स्थित गांधी प्रतिमा से एम जी रोड के पीछे से संजय काम्प्लेक्स, श्याम मंदिर होते हुए पुराने शनि मंदिर पर निकलने वाली बनी बनाई सड़क को अस्तित्व में लाना ताकि शहर की चरमराई यातायात व्यवस्था पटरी पर लौटाई जा सके। इतवारी बाजार में मंडी की जमीन पर हुए अतिक्रमणों पर एक्सीवेटर चलकर बेजा कब्जा मुक्त करवाना,गांधी गंज के भीतर पार्किग स्थल को व्यवस्थित कर सड़के बनवाना आदि कार्यो का श्री गणेश आशुतोष पांडेय ने अद्भ्य साहस से शुरू करवा दिया था। बस अब नए आयुक्त को इन कार्यो को पूरा करने के लिये अपनी दृढ इच्छा शक्ति को जगाना होगा।