
टूटी कलम रायगढ़—- वैसे तो विकासखंड चिकित्सालय पुसौर के मेडिकल आफिसर का विवादों से घिरे रहना “चोली दामन” जैसा सांथ है। उनके देखा देखी उनके अधीन आने वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थ डाक्टरो का व्यवहार भी उन्ही के सरीखे रूखा बन गया है। ताजा मामले में NTPC लारा के सामने आंदोलनरत 3 लोगो की हालत अत्यंत गंभीर हो जाने पर उन्हें अस्पताल में भरती करने के लिए छपोरा स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया था। एम्बुलेंस से मरीजो को उतारने के पूर्व ही वहां पदस्थ महिला चिकित्सक मंजूषा शर्मा का पारा गर्म हो गया और उन्होंने मरीजो को भरती करने से स्पष्ट इंकार करते हुए। मरीजो को लाने वाले एम्बुलेंस चालक को जमकर फटकार लगाई एवं आइन्दे से मरीजो को वहां लाने से मना कर दिया।
कलेक्टर को करना पड़ा हस्तक्षेप— डाक्टर के व्यवहार से हतप्रभ मरीजो के परिजनों ने पुसौर बीएमओ को फोन लगाया,जिस पर बीएमओ ने फोन उठाना उचित न समझा। तब मरीज के परिजनों ने जिला कलेक्टर भीम सिंह को फोन लगाकर वस्तुस्थिति से अवगत करवाया। तब कलेक्टर ने फोन कर बीएमओ को जमकर लताड़ा।जिसके बाद स्वयं बीएमओ को पुसौर से छपोरा जाकर मरीजो का ईलाज करना पड़ा। जिसके बाद बीएमओ ने डाक्टर मंजूषा शर्मा को वहां से हटाते हुए दूसरे डाक्टर को पदस्थ करने के आदेश जारी कर दिए।
यहां इस बात उल्लेख करना लाजिमी है कि पुसौर स्थित चिकिसालय अनिमियताये देखी जा सकती है। दिनभर का एकत्रित मेडिकल वेस्ट खुले स्थान पर फेंके जाते है। जिसे मवेशियाँ आहार समझकर चट करते देखे जा सकते है। जिस वजह से क्षेत्र में संक्रमण फैलने का भी खतरा है।डाक्टरो की टेबलों पर रायगढ़ के निजी अस्पताल की प्रिंटेड पर्चियां रखी रहती है। जिसमे खून,पेशाब,शुगर,एक्सरे आदि की जांच के कालम रहते है। जिसमे टिक मार्क कर सम्बंधित अस्पताल में मरीजो को भेजा एवं भरती करवाया जाता है। जिसमे मोटा कमीशन फिक्स रहता है। जबकि रायगढ़ में सरकारी जिला अस्पताल है,मेडिकल कॉलेज की सुविधा है। यह चिकित्सालय दोपहर 2 के बाद बंद कर दिया जाता है एवं शाम के समय पहुंच वालो का ही इलाज संभव हो पाता है। शाम 5 बजे के बाद अस्पताल परिसर में मवेशियों एवं असमाजिक तत्वों का जमावड़ा लग जाता है। जो शराबखोरी एवं गांजे के सुट्टे लगाने वालों के लिए सुरक्षित बैठक के लिए स्वर्ग से कम नही है। कमाल तो यह है कि इससे सटकर ही थाना है मगर क्या मजाल की पुलिस उधर झांक भी ले और ऐसा भी नही है कि पुलिस उक्त कार्यों से अंजान है। टूटी कलम समाचार
अब लोगों की समझ में यह नहीं आ रहा है कि जब आंदोलनकारी NTPC के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं तब PHC के डॉक्टर उन आंदोलनकारियों को भर्ती क्यों नहीं कर रहे हैं। वैसे भी अस्पताल में सभी तरह के रोगियों को भर्ती किया जाना चाहिए। इससे वहां प्रदर्शन कर रहे लोगों में आक्रोश है। टूटी कलम समाचार
