
टूटी कलम रायपुर डेस्क रायपुर की दो फर्मों के जरिए खरसिया के राइस मिलर एक सिंडिकेट की तरह फ्री सेल का खेल कर रहे हैं। वहीं भनक लगने पर कलेक्टर भीमसिंह ने जांच शुरू करवाई है, यदि जांच रसूखदारों के हस्तक्षेप से प्रभावित नहीं होगी, तो आने वाले दिनों में कई बड़े खुलासे होंगे। टूटी कलम समाचार
सूत्रों की मानें तो सरकारी धान की मिलिंग करने के बजाय राईस मिलर दूसरे राज्यों को रेलवे रैक के जरिए चावल बेच रहे हैं। इसमें जांजगीर के बोड़ासागर और फगुरम के कुछ मिलरों के नाम भी सामने आ रहे हैं। राईस मिलरों ने फ्री सेल का काम ऐसे समय में किया है, जब शासन का धान समितियों में सड़ रहा था। शासन के धान को उठाने में देरी कर अब खुद दूसरे राज्यों को चावल बेचा जा रहा है। बताया जा रहा है कि रायपुर की फर्म बागड़िया ब्रदर्स और सत्यम बालाजी के जरिए इंडेन्ट लगवाया जाता है। वहीं इनके माध्यम से गोंदिया और दूसरे राज्यों में चावल भेजा जाता रहा। टूटी कलम समाचार
जिला विपणन विभाग की गहन जांच की जानी चाहिए —इस खेल का मास्टरमाइंड जिला विपणन विभाग को माना जा रहा है। जहां जिले भर के राइस मिलर्स का आना जाना लगा रहता है। छोटे से सीलन सड़ांध भरे,पानी टपकते कमरे के कार्यालय में तभी काम किया जा सकता है। जहां करोड़ो की हेराफेरी के कार्यो को अंजाम दिया जा सकता है। इस विभाग के अधिकारियों के पास महंगी महंगी लक्जरी वाहने है। टूटी कलम समाचार
नहीं देते मंडी टैक्स
इन मिलरों की वजह से केवल कस्टम मिलिंग ही प्रभावित नहीं होती बल्कि मंडी टैक्स भी नहीं चुकाया जाता। मिलर जिन किसानों से धान खरीदते हैं, उनको भी बहुत कम दाम मिलते हैं। समर्थन मूल्य से आधी कीमत में धान खरीदा जाता है। मंडी बोर्ड से सांठगांठ कर धान परिवहन किया जाता है और टैक्स भी नहीं दिया जाता। जानकारों की मानें तो इस सिंडिकेट द्वारा ट्रांसपोर्टरों से मिलकर राइस मिल में रखे घटिया धान को मंडी में लाया जाता है, वहीं अधिकारी और कर्मचारियों से मिलकर अच्छे किस्म का धान परिवहन किया जा रहा है। यह सारा कुछ सोची-समझी नीति के तहत गोपनीय रूप से किया जा रहा है। इसकी भी जांच की जाए तो एक बहुत बड़ा धान घोटाला सामने आने की संभावना है। टूटी कलम समाचार
▪️ एफसीआई से भी होती है सेटिंग
फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया द्वारा राइस मिलों से जो चावल खरीदा गया है, इसकी जांच भी जरूरी है। बताया जा रहा है कि यहां भी मिलीभगत की बड़ी संभावना है। जो चावल पीडीएस दुकानों में जा रहा है, यदि उसकी जांच की जाए तो 15 से 20 परसेंट कनकी एवं धान मिला हुआ हो सकता है। बताया जा रहा है कि इस प्रकार के मिलावटी चावल को लेने के लिए एफसीआई के अधिकारी और कर्मचारी एक निश्चित प्रतिशत लेकर चावल पास कर राइस मिल के मालिकों को बड़ा मुनाफा पहुंचाते हैं। वहीं आम गरीब जनता को घटिया किस्म का चावल मिल पाता है। राइस मिलर्स के द्वारा एमएसपी से कम दर पर धान खरीद कर उसी धान को चावल बना कर सरकार को दिया जा रहा है। वहीं अच्छे किस्म के धान को मिलिंग कर अन्य प्रांतों में ऊंचे दर पर बेचा जा रहा है टूटी कलम समाचार
जांजगीर-चाम्पा जिले के बोड़ासागर और फगुरम के कुछ मिलर्स के अलावा रायगढ़ जिले के मिलर्स भी संदेह की परिधि में शामिल हैं। जिनमें आलोक राईस मिल, बसंती राईस मिल, भगवती राईस मिल, हनुमान ट्रेडिंग, हरिलक्ष्मी मिल, जय भारत राईस मिल, जिंदल पैडी, एमआर राईस मिल, कबीर राईस मिल, मां भगवती ट्रेडर्स, मोहन इंडस्ट्रीज, एमएम राईस मिल, आरके राईस मिल, शोभा राईस मिल, दुर्गा राईस मिल, गौरीशंकर राईस मिल, आरसी उद्योग, शारदा राईस मिल, सुमित्रा राईस मिल, सुनील ट्रेडिंग कंपनी और स्वास्तिक राईस मिल में से कई मिलरों के साथ एक सिंडीकेट बना हुआ है, जो फ्री सेल के जरिए खेल करता है। इनके अतिरिक्त रायगढ़ की राइसमिलो के भौतिक सत्यापन की नितांत आवश्यकता है। टूटी कलम समाचार







