टूटी कलम विशेष लेख प्रायः यह देखा जा रहा है कि बच्चे के जन्म,शिक्षा, दीक्षा, शादी,मृत्यु आदि सभी अवसरों पर ब्राम्हण की उपस्थिति निर्धारित रहती है ताकि पूजा-पाठ,हवन,मंत्रों, श्लोकों,तिलक आदि के माध्यम के कारण वातावरण सुगन्धित एवं शान्तिपूर्व रहकर भविष्य अच्छा से गुजारा जा सके।टूटी कलम विशेष लेख
परन्तु इन सब कार्यो की एवज में ब्राम्हणों को मोल भाव कर सबसे कम पारिश्रमिक दिया जाता है। उसके बावजूद ब्राम्हण अपने यजमान को आशीर्वाद देने से पीछे नही रहता। लोगो की शादी करवाने में ब्राम्हण सबसे ज्यादा समय जाया करता है। सगाई से लेकर बिदाई तक मे अपनी भूमिका निभाने वाले ब्राह्मण को ठग दिया जाता है। पाणिग्रहण वाले दिन बेचारा ब्राम्हण ब्राम्हण 24 घँटे हाजिर रहकर दिन रात रस्मो की अदायगी करवाता रहता है एवं जब पारिश्रमिक देने का वक्त आता है तो सबसे कम ब्राम्हण को दिया जाता है। वहीं दूसरी तरफ बारात,निकासी,पार्टी,होटलो,विवाहघरों,धुमाल,टेंट, भोजन,केटरिंग आदि पर लाखों रुपए व्यय कर अपना रसूख दिखलाया जाता है। मगर ब्राम्हण को 2100,5100,11000 ही देकर एहसान जतलाया जाता है। केटरिंग का कार्य करने बाहर से बुलाई गई एक गर्ल भी ब्राह्मण से ज्यादा पारिश्रमिक ले जाती है और कम पारिश्रमिक पाने वाले ब्राम्हण से आशीर्वाद लिया जाता है।टूटी कलम विशेष लेख
व्यक्ति की मृत्यु होने पर शोक संतप्त परिवार की ब्राम्हण सुबह शाम ड्यूटी बजाता है। क्रियाकर्म के सारे कार्य सम्पन्न करवाता है और पारिश्रमिक 9 दिनों तक बाँची गई गरुड़ पुराण के बदले में आये चढ़ावे को राउंड फिगर में मिलाकर दिए जाने वाले धन से पूरे किए जाते है। जबकि गरुड़ पुराण पर आया चढ़ावा एवँ मेहनताना अलग अलग दिया जाना चाहिए। गरुड़ पुराण बांचने पर प्रति व्यक्ति के द्वारा मात्र 10 रुपये ही चढ़ावा दिए जाने के नियम शायद इसलिए बना दिये गए है कि ब्राम्हण को ज्यादा धन न मिल सके। ब्राम्हण को इसका तीखा विरोध करना चाहिए कि गरुड़ पुराण पर व्यक्ति अपनी श्रध्दा नुसार दान करने पर स्वतंत्र किया जाना चाहिए। टूटी कलम विशेष लेख
ब्राम्हणों में एकता होनी चाहिए कि शादी-विवाह,जन्म ,मांगलिक,मृत्यु,मुंडन,यज्ञोपवीत, सत्यनारायण कथा,नवग्रहों की पूजा,हवन,लक्ष्मी पूजन आदि पर एक मोटी धनराशि दान स्वरूप स्वीकारनी चाहिए। मृत्यु भोज पर मृतक की पसंद के व्यंजनों,कपड़ो,जूतों, के एवज में नगद राशि लेनी चाहिये। महज धोती,गमछा,अंडरवियर, बनियान,तरोई,मखना,भिंडी,आलू,पूड़ी,गुलाबजामुन, बूंदी,भुजिया,दहीबड़े, से ही मृतक की आत्मा एवँ उदर को शांति प्राप्त नही होती। मांस,मटन,मदिरा के शौकीन मृतक की शांति के लिए उक्त वस्तुओं के एवज में नगद रकम ली जानी चाहिए। टूटी कलम विशेष लेख