टूटी कलम विजयादशमी विशेष… बुराई के प्रतीक पैरा,पुट्ठा, टायर,सानिया,बारदाना,बांस,टटरा, पटाखो से निर्मित महा पराक्रमी लंकेश के पुतले को जलाने की तैयारियां की जा चुकी थी,हजारों की संख्या में जनसमुदाय एकत्रित हो कर नेता जी के आगमन की प्रतीक्षा कर रहे थे।जबकि स्वयं नेता जी के भीतर रावण ने अधिकार जमा रखा था। नेता जी ने जैसे ही आतिशबाजी के लिए हाँथ बढ़ाये तभी मेघ के समान आवाज गूंजी की ठहरो…. टूटी कलम विजयादशमी विशेष
लोग हैरान,परेशान,हो गए,नेता जी थरथर कांपने लगे,चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी,शरीर मे कमजोरी सी छा गई, तब आकाशवाणी हुई कि शताब्दियों से मुझे क्यो जलाते आ रहे हो ? मेरा कुसूर क्या था ? क्या अपनी बहन के अपमान का बदला चुकाना भी गुनाह है ? धर्मराज युधिष्ठिर पार्टनरशिप में मिली पत्नी को जुए में हार कर भी धर्मराज क्यो कहला रहे है ? जो लोग सामूहिक दुष्कर्म करते है क्या वे रावण नही है ? जो लोग दोस्ती के नाम पर अपनी पत्नि को दोस्त के हवाले कर देते है क्या वे रावण नही है ? अगर मैं रावण न होता तो राम भी नही होता ? टूटी कलम विजयादशमी विशेष
यदि रावण ब्राम्हण न होकर वैश्य,शुद्र होता तो उसे अब तक भगवान का दर्जा देने का श्वेत पत्र संसद में जारी हो चुका होता। नेताओ के हांथो से हांथो से रावण के पुतले का दहन करवाना न्यायोचित नही माना जाना चाहिए। यदि रावण को अग्नि दे भी देते है तो रावण का पिंड दान भी करना चाहिए ऐसा शास्त्र कहते है। रावण का पिंड दान न होने की वजह से वह आज भी अजर अमर होकर मनुष्यो में विराजमान है। दशहरे के बाद 12 वें दिन ब्राम्हण एवँ दरिद्र नारायण को भोज करवा कर पगड़ी रस्म की जानी चाहिए एवं नदी के बहते जल में तर्पण आदि कर रावण की आत्मा के शांति के लिए प्रयास किये जाने चाहिए। ब्राम्हण रावण की मृत्यु के बाद मात्र जला कर छोड़ देने की वजह से ही शायद रावण यत्र तत्र सर्वत्र विधमान हो चुका है। टूटी कलम विजयादशमी विशेष
सूर्यास्त के पश्चात अग्नि संस्कार करना प्रतिबंधित है…हिंदुओ में मान्यता है कि किसी भी मृतक का अग्नि संस्कार सूर्यास्त के पश्चात नही किया जाना चाहिए। जबकि रावण का पुतला दहन व्यापक अंधेरा होने के बाद जगह जगह अपनी अपनी सहूलियत के हिसाब से किया जाता है। इन्ही सब कारणों से मन मन रावण राज करता है। टूटी कलम विजयादशमी विशेष
दम तोड़ते रावण ने लक्ष्मण को लगाई थी लताड़..राम-रावण युद्ध की समाप्ति के पश्चात राम ने रावण से निवेदन कर लक्ष्मण को दीक्षा देने को कहा तो लक्ष्मण रावण के सिर के समीप खड़े हो गए। तब रावण ने कहा कि दीक्षा लेनी हो तो मेरे पैरों के समीप खड़े रहो क्योंकि शिष्य को हमेशा अपने गुरु के पैरों पर ध्यान केंद्रित रखना चाहिए। टूटी कलम विजयादशमी विशेष
नीलकंठ पक्षी देखना क्यो शुभ माना जाता है… कहते है कि विजयादशमी के दिन नीलकंठ (महादेव) पक्षी देखना शुभ माना जाता है। इसका कारण यह हो सकता है कि इस दिन ही शिव जी के परम भक्त रावण का शिवलोक गमन हो गया था। किसी की मृत्यु के पश्चात देव दर्शन करने की परंपरा आदि काल से चली आ रही है।