@टिल्लू शर्मा◾टूटी कलम डॉट कॉम# …..जिला प्रशासन खनिज की तस्करी पर कोई लगाम नहीं लगा पा रहा है। एक तरफ प्रतिबंधित खदानों को फ्लाई एश से पाटा जा रहा है तो दूसरी ओर उतनी ही अवैध खदानें शुरू हो चुकी हैं। गुड़ेली में धड़ाधड़ अवैध खदानें शुरू होती जा रही हैं। इन पर कार्रवाई नहीं होती क्योंकि क्रशर संचालकों का संरक्षण हासिल है।टिमरलगा और गुड़ेली में सालों से खनिजों का अवैध दोहन हो रहा है। अब भी यह बदस्तूर जारी है। यहां खनन माफिया सुनियोजित तरीके से काम करता है। स्थानीय दबंग लोग दूसरे की जमीनों में खनन करते हैं और इसे क्रशरों में सप्लाई करते हैं। क्रशर संचालक प्रति ट्रैक्टर इन्हें पेमेंट करते हैं।
इन अवैध खदानों तक खनिज विभाग या राजस्व विभाग कभी नहीं पहुंचता क्योंकि सब कुछ संरक्षण में ही होता है। क्रशर संचालक इन अवैध खदानों को बचाने के लिए पूरी ताकत लगा देते हैं। गुड़ेली में इन दिनों नए खनन माफिया पैदा हो गए हैं। 5 स्थानीय अवैध खदानों से तेजी से लाइमस्टोन निकाल रहे हैं। दूसरे की निजी जमीनों और सरकारी जमीनों को भी नहीं छोड़ा जा रहा है। दोनों का लिंक कुछ क्रशरों से है। ठेके पर पत्थरों की सप्लाई की जाती है। जिनके पास खनिपट्टे हैं, वे भी इन्हीं दोनों से लाइमस्टोन मंगवाते हैं। हैरत की बात है कि खनिज विभाग को इसके बारे में जानकारी भी है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जाती। अवैध पत्थर बन जाते हैं वैध 5 स्थानीय निवासियों द्वारा लाइमस्टोन का अवैध खनन कर क्रशरों में सप्लाई करते हैं। खनिपट्टाधारक अपनी खदान के आधार पर रॉयल्टी पर्ची जारी करवाते हैं। इन्हीं पर्चियों पर अवैध पत्थर की गिट्टी का परिवहन होता है। इस तरह से अवैध पत्थर वैध बन जाते हैं। सालों से गुड़ेली और टिमरलगा में यही चल रहा है। टूटी कलम
5 खनिज माफिया, जिनपर नहीं डालता कोई हाथ
गुड़ेली में सभी क्रशरों को खनिपट्टा नहीं मिला है। लेकिन ये अपनी लीज पर खनन करने के बजाय अवैध खदानों पर चल रहे हैं। इनकी खदानों की जांच की ही नहीं जाती। पहले राजस्व, पर्यावरण, विद्युत और खनिज विभाग की संयुक्त जांच टीम कार्रवाई करती थी। अगर खदानों का सीमांकन करवाया जाए तो हैरान करने वाला खुलासा होगा। उग्रसेन, धर्मेन्द्र, सुभाष, रवि, नागेन्द्र, जैसे अवैध खनन करने वाले इस कारोबार की अहम कड़ी हैं, जिन पर कोई हाथ नहीं डालता। टूटी कलम
नये बनने वाले जिलों में प्रथम स्थान पर चल रहे सारंगढ जिले को शुरुआती दिनों से ही प्रदूषण, खनिज तस्करी जैसे मामलों से जूझना पड़ सकता है। सारंगढ जिला के बनते ही टीमरलगा,गुडेली,सरीखे खनिज संपदा से युक्त गावो की भेंट मिलेगी परन्तु अवैध खनन,रेत परिवहन,डोलोमाइट, क्वार्ट्ज,लाइम स्टोन पत्थरो,क्रेशरों की मनमानियों की वजह से करोड़ो रूपये राजस्व का महीना हानि उठानी पड़ेगी। इन दिनों रायगढ़ जिले के पर्यावरण, खनिज विभाग,जिला प्रशासन दोनो हांथो से समेटने में ही लगा हुआ है। इसलिए चूना खदानों को विस्तार देने में विशेष रुचि दिखला रहे है। इस दिशा में अब सारंगढ के जनप्रतिनिधियों, नेताओ एवं पत्रकारो को ही विरोध दर्ज करवाने से ही जिले का भविष्य तय होगा। टूटी कलम