@टिल्लू शर्मा◾टूटी कलम डॉट कॉम# रायगढ़ 01 नवम्बर। महिला एवं बाल विकास विभाग में भर्ती फर्जीवाड़ा अब अदालत की दहलीज पर पहुंच गया है। प्रारंभिक सूची में एकमात्र पात्र आवेदक ने प्रशासन से न्याय नहीं मिलने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। उसका कहना है कि आरटीआई के तहत जानकारी मांगने पर भी उसे नहीं दी गई और गुमराह किया गया। कलेक्टर जनदर्शन में शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। टूटी कलम
पूरा मामला महिला एवं बाल विकास विभाग के सखी वन स्टॉप सेंटर से जुड़ा हुआ है। यहां आईटी वर्कर के एक पद के लिए भर्ती में फर्जीवाड़ा किया गया। पात्रता सूची जारी की गई तो उसमें केवल एक आवेदक खीरसागर देवांगन ही पात्र था। सूची पर दावा-आपत्ति मंगवाई गई लेकिन चयन समिति ने इस दौरान ही कई आवेदकों के दस्तावेज स्वीकार करते हुए पुन: पात्र कर दिया, जबकि दावा-आपत्ति के दौरान कोई भी दस्तावेज स्वीकार नहीं किए जा सकते। चयन समिति में डीपीओ टिकवेंद्र जाटवर, के अलावा जिला रोजगार अधिकारी, ज्वाइंट कलेक्टर राजीव पांडे और अपर कलेक्टर आरए कुरुवंशी शामिल थे। दावा आपत्ति के बाद आठ पात्र हो गए। अंतिम चयन सूची जब जारी हुई तो इसमें 21 वर्षीय नितीश कुमार साहू को चयनित कर लिया गया। नितीश का सिलेक्शन करने के लिए नियम विरुद्ध काम किया गया। यही नहीं खीरसागर ने 2 अक्टूबर को कलेक्टर से जनचौपाल में लिखित शिकायत की थी। उसने 22 जुलाई के इंटरव्यू का हवाला देते हुए आरोप लगाया है कि आवेदनों की स्क्रूटनी के दौरान अनियमितता की गई है। टूटी कलम
चयन समिति के अधिकारियों और कर्मचारियों ने अपात्र आवेदकों के अनुभव संबंधी दस्तावेजों को नियम विरुद्ध स्वीकार कर पात्र घोषित कर दिया। किसी भी पद में भर्ती के दौरान दावा-आपत्ति के दौरान अभ्यर्थी के दस्तावेज स्वीकार नहीं किए जाते। नितीश साहू को अपात्र होने के बावजूद साजिश कर फर्जी तरीके से चयनित कर लिया गया। इस आवेदन की पड़ताल जनचौपाल की वेबसाइट में की गई तो पता चला कि डीपीओ टिकवेंद्र जाटवर ने आवेदन का 16 अक्टूबर को ही निराकरण कर दिया। डीपीओ ने शिकायतकर्ता के आरोपों को खारिज करते हुए लिखा है कि आईटी वर्कर की भर्ती प्रक्रिया और चयन की कार्यवाही जिला स्तरीय चयन समिति द्वारा पूर्ण पारदर्शिता व नियमानुसार की गई है। खीरसागर देवांगन ने अब इस फर्जीवाड़े पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। टूटी कलम
विभाग के भ्रष्टाचार की असली तस्वीर
इस प्रकरण ने महिला एवं बाल विकास विभाग में चल रही मनमानी और भ्रष्टाचार को उधेड़कर रख दिया है। चयन समिति में डीपीओ के अलावा अपर कलेक्टर आरए कुरुवंशी और एक ज्वाइंट कलेक्टर राजीव पांडे भी हैं। इतने बड़े अफसरों ने भर्ती प्रक्रिया में एक अपात्र को पात्र बनाकर नौकरी दे दी। अब मामला खुल गया तो किसी से जवाब देते नहीं बन रहा है। जनचौपाल की शिकायत पर भी लीपापोती कर दी गई। टूटी कलम
आरटीआई में भी नहीं दी जानकारी
महिला एवं बाल विकास विभाग में मनमानी यहीं नहीं थमी। जब खीरसागर देवांगन ने आरटीआई के तहत जानकारी मांगी तो उसका आवेदन यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि पोस्टल ऑर्डर में दिनांक नहीं लिखा गया था। इसकी जानकारी भी एक महीना गुजर जाने के बाद दी गई। इसके बाद अपर कलेक्टर के कोर्ट में अपील की गई तो वहां भी पेशी दिनांक की जानकारी आवेदक को नहीं दी गई। अपर कलेक्टर के आदेश की जानकारी भी उसे कई दिनों बाद मिली।
क्या कहते हैं कुरूवंशी
मुझे देखना पड़ेगा कि मामला क्या है। दावा आपत्ति तो विभाग में ही मंगवाए गए थे। वहीं से कुछ हुआ होगा। पता करता हूं : आरए कुरुवंशी, अपर कलेक्टर
क्या कहते हैं जाटवर
आईटी वर्कर की नियुक्ति में गड़बड़ी की जनचौपाल में शिकायत का निराकरण किया गया है, लेकिन यह पुराना है। अपर कलेक्टर की अध्यक्षता में एक कमेटी पुनर्विलोकन करेगी:टिकवेंद्र जाटवर, डीपीओ