@टिल्लू शर्मा◾टूटी कलम डॉट कॉम#…. रायगढ़ सशंकित त्यौहार पर लोगो ने जमकर धन खर्च किया। महंगाई महंगाई का विलाप करते लोगो ने अपनी अंटी इस उम्मीद से कर दी कि लक्ष्मी पूजन के समय निकला धन कई गुना बढ़कर लौटेगा। महंगाई के बावजूद दुपहिया,चार पहिया वाहन रातभर दौड़ते रहे।प्रतिबंध के बावजूद तेज आवाज,सीरियल पटाखे रातभर फूटते रहे। जब रात में अचानक से ठहर ठहर कर पटाखे फूटे तो यह तय हो जाता था कि किसी धनकुबेर,धनाढ्य के प्रतिष्ठान में सिंह लग्न में चल रहा महालक्ष्मी का अनुष्ठान संपन्न हुआ है। पूजा के बाद पुजारी पटाखे चलाने को कहते है। जिसके बाद अचानक से धूम धड़ाम की आवाजें गूंजने लगी। टूटी कलम
तेज आवाज के कारण आती लक्ष्मी, गणेश,कुबेर सहित लौट जाती है…तेज आवाज के पटाखे पशु पक्षियों को,हांथियो को खदेड़ने के लिए चलाये जाते है। जिससे शांत वातावरण अशांत हो जाता है। सड़क पर रखकर फोड़े जाने वाले पटाखो की वजह से इंसान भी बचकर निकलते है कि कहीं किसी चिंगारी से हानि न पहुंच जाए तो भला धन की देवी समुंदर वासिनी माता लक्ष्मी धूम धड़ाके के बीच कैसे किसी के द्वार जा सकती है। माता के आगमन के लिए यदि अनार,मेहताब,रस्सी,फुलझड़ी आदि के द्वारा रंग-बिरंगी रौशनी बिखेरी जाये तो माता लक्ष्मी, विष्णु,गणेश,कुबेर सहित पधारने में संकोच नही करती। भवनों,प्रतिष्ठानों पर रंग बिरंगी झालर,गोबर,गेंदा, कमल,केला,आम पत्ते,कुमुदिनी आदि इसीलिए सजाये जाते है। मगर बमों की तेज आवाज से पूरा गुड़ गोबर हो जाता है।