@टिल्लू श्रम◾ टूटी कलम डॉट कॉम# रायगढ़…… महिला एवं बाल विकास के कारनामे भी बहुत अजब-गजब हैं। एक अपात्र युवक को किसी भी तरह पात्र साबित करने के लिए पूरा अमला जुट गया है। पहले तो गलत अनुभव प्रमाण पत्र को मान्य किया गया और जब खुलासा हुआ तो लीपापोती करने के लिए चयन समिति ने उसमें से नंबर घटा दिए। इसके बाद भी युवक को पात्र बना दिया गया। टूटी कलम
सखी वन स्टॉप सेंटर में महिला एवं बाल विकास विभाग ने आईटी वर्कर के एक पद के लिए विज्ञापन जारी किया था। इसके लिए महिलाओं को प्राथमिकता दी जानी थी, ऐसा विज्ञापन में ही अंकित था। कंप्यूटर या आईटी आदि विषय में डिप्लोमा के साथ किसी भी संकाय में स्नातक की योग्यता तय की गई थी। साथ ही जिला, राज्य स्तर पर गैर शासकीय आईटी आधारित संस्था से डेटा प्रबंधन, प्रक्रिया लेखन, वेब आधारित रिपोर्टिंग व वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में न्यूनतम तीन साल का अनुभव अनिवार्य था, लेकिन चयन में गड़बड़ी की गई है। फर्जीवाड़े की शिकायत एक अन्य आवेदक खीरसागर देवांगन ने की है, जो प्रारंभिक सूची में एकमात्र पात्र अभ्यर्थी था। चयन समिति में डीपीओ महिला एवं बाल विकास विभाग टिकवेंद्र जाटवर, जिला रोजगार अधिकारी रामजीत राम, ज्वाइंट कलेक्टर राजीव पांडे और अपर कलेक्टर आरए कुरुवंशी शामिल थे। टूटी कलम
प्रारंभिक सूची का जब प्रकाशन किया गया तो इसमें 78 आवेदकों में से केवल एक खीरसागर देवांगन को पात्र पाया गया। बाकी में ज्यादातर को अनुभव नहीं होने के कारण अपात्र कर दिए गए। दावा आपत्ति के बाद जो सूची सामने आई उसमें प्रारंभिक सूची में अपात्र नितीश साहू पात्र होकर पहले स्थान पर भी आ गया। दावा आपत्ति में भी दस्तावेज स्वीकार किए गए। इसकी पड़ताल की गई तो पता चला कि नितीश ने एक कंप्यूटर सेंटर का अनुभव प्रमाण पत्र संलग्न किया। जब वहां से पता किया गया तो पांच साल काम करने की बात झूृठ निकली। पांच साल का अनुभव जोड़कर नितीश को पात्र बनाया गया था, जिसमें 4 अंक अतिरिक्त दिए गए थे। खुलासा होने के बाद अफसरों ने खुद को बचाने के लिए चार अंकों को घटाया, मतलब पहले अंक जोड़ा जाना गलत पाया गया।
चार अंक घटाने के बाद भी वही पात्र
महिला बाल विकास विभाग के डीपीओ टिकवेंद्र जाटवर ने जांच का जिम्मा खुद उठाया। उन्होंने 21 साल के युवक को सिलेक्ट करने के लिए पांच साल का अनुभव जुड़वाया था। नियमानुसार तीन साल से अधिक अनुभव होने पर प्रत्येक वर्ष के दो अंक अतिरिक्त जुड़ जाएंगे। नितीश को पांच साल के अनुभव के हिसाब से दो साल के 4 अंक अतिरिक्त मिले। उनके कुल अंक 53.38 हुए। दूसरे स्थान पर रही सृष्टि मिश्रा ने तीन साल का अनुभव प्रमाण पत्र दिया था इसलिए उसको अतिरिक्त अंक नहीं मिले। उसके कुल अंक 49.55 रहा। फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद नितीश को दिए गए चार अंक घटाए गए। ऐसे में उसके कुल अंक 49.38 होते जो सृष्टि से कम थे, लेकिन अब भी डीपीओ का कहना है कि नितीश ही पात्र है। टूटी कलम
मनमानी का सटीक उदाहरण
महिला एवं बाल विकास विभाग में भर्ती फर्जीवाड़े का यह मामला इस बात का उदाहरण है कि किस तरह मनकानी की जा रही है। प्रारंभिक सूची में नितीश के पूर्णांक और कुल प्राप्तांक भी नहीं डाले गए थे। 21 साल के नितीश ने अनुभव प्रमाण पत्र जिस संस्था का दिखाया गया, वहां तो पांच साल उसने काम किया ही नहीं। चयन कमेटी ने 16 साल की नाबालिग उम्र से उसका काम करना मान्य किया। अधिकारियों ने गड़बड़ी को ठीक करने के बजाय अपनी जिद पूरा करने के लिए अब किसी भी तरह से नियुक्ति को वैध बताने का खेल शुरू किया है। हालांकि मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। टूटी कलम
क्या कहते हैं जाटवर
हमने जांच की तो सब कुछ सही पाया गया। अनुभव के दो साल हटाने पर भी वही पात्र होगा। आवेदन के समय बीई की पढ़ाई पूरी हो चुकी थी – टी. जाटवर, डीपीओ